〽️हज़रत अबुअलख़ैर फ़रमाते हैं एक मर्तबा मैं मदीना मुनव्वरह में हाज़िर हुआ तो मुझे पाँच दिन का फ़ाक़ह आ गया, मैं रोजाऐ अनवर पर हाज़िर हुआ और हुज़ूरﷺ पर सलाम अर्ज़ करके फिर हज़रत अबु बक्र और हज़रत उमर रदिअल्लाहु अन्हुमा पर सलाम अर्ज़ किया और फिर अर्ज़ किया या रसूलल्लाहﷺ! मैं तो आप का मेहमान हूँ और पाँच रोज़ से भुका हुँ।

अबुअलख़ैर कहते हैं कि मैं फिर मिंबर के पास सो गया तो ख़्वाब में देखा की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम तशरीफ़ लाए हैं आपके दायें तरफ़ हज़रत सिद्दीक़ और बायें तरफ़ हज़रत उमर और आगे हज़रत अली (रदिअल्लाहु अन्हुम) थे। हज़रत अली ने मुझे आगे बढ़ कर ख़बरदार किया और फ़रमाया उठो वो देखो! रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल तशरीफ ला रहे हैं और तुम्हारे लिए खाना लाए हैं, मैं उठा और देखा कि हुज़ूरﷺ के हाथ में रोटी है वो रोटी हुज़ूरﷺ ने मुझे अता फ़रमाई। मैंने हुज़ूरﷺ की पैशानी अनवर को बोसा देकर वो रोटी ले ली और खाने लगा आधी खाली तो मेरी आँख खुल गई क्या देखता हूँ के बाकी आधी रोटी मेरे हाथ में है।

#(हुज्जत-उल्लाह अली अलआलमीन, सफा-805)


🌹सबक़ ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम विसाल शरीफ़ के बाद भी क़ासिम रिज़्क़ उल्लाह हैं और मोहताजों के लिए दाता हैं और ये भी मालूम हुआ के बुज़ुर्गाने दीन अपनी तकलीफ़ व मुश्किलात बारगाहे नबव्वी में पेश किया करते थे और हुज़ूरﷺ विसाल के बाद भी अपने गुलामों की फ़रियाद रसी फ़रमाते हैं।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 61-62, हिकायत नंबर-46
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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