〽️हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की क़ौम बडी बदबख़्त और नाआक़्बत अन्देश थी। हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने साढ़े नो सौ साल के अर्से में दिन रात तबलीग़-ए-हक़ फ़रमाई मगर वो ना माने।

आख़िर नूह अलैहिस्सलाम ने उनकी हलाकत की दुआ मांगी और खुदा से अर्ज की कि मौला! इन काफ़िरों को बेख़ व बिन से उखाड़ दे।

चुनाँचे आपकी दुआ क़बूल हो गई और खुदा ने हुक्म दिया कि ऐ नूह! मैं पानी का एक तूफ़ाने अज़ीम लाऊँगा और उन सब काफ़िरों को हलाक कर दूंगा। तू अपने और चन्द मानने वालों के लिए एक कश्ती बना ले।

चुनाँचे हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने एक जंगल में कश्ती बनाना शुरु फ़रमाई, काफ़िर आपको देखते और कहते। ऐ नूह! क्या करते हो ? आप फ़रमाते ऐसा मकान बनाता हूँ जो पानी पर चले। काफ़िर ये सुन कर हंसते और तमसख़ुर करते थे। हज़रत नूह अलैहिस्सलाम फ़रमाते कि आज तुम हंसते हो और एक दिन हम तुम पर हंसेंगे।

हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने ये कश्ती दो साल में तैयार की। उसकी लम्बाई तीन सौ गज़, चौड़ाई पचास गज़ और
ऊँचाई तीस गज़ थी। इस कश्ती में तीन दर्जे बनाए गए थे। नीचे के दर्जे में व-हवश और दरिन्दे, दरमियानी दर्जे में चौपाए वगैरा और ऊपर के दर्जे में खुद हज़रत नूह अलैहिस्सलाम और आपके साथी और खाने पीने का सामान, परिंदे भी ऊपर के दर्जे में थे, फिर जब बहुक्म इलाही तूफ़ाने अज़ीम आया तो उस कश्ती पर सवार होने वालों के सिवा रूऐ ज़मीन पर जो कोई था। पानी में गर्क हो गया। हत्ता के नूह अलैहिस्सलाम का बेटा कनआन भी जो काफ़िर था। उसी तूफान में गर्क हो गया।

#(कुरआने करीम, सूरते हूद, ख़ज़ायन-उल-इर्फान, सफा-33)


🌹सबक़ ~
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खुदा की नाफ़रमानी से इस दुनिया में भी तबाही व हलाकत का सामना करना पड़ता है और अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान, और उनकी इताअत से ही दोनों जहान में निजात व फ़लाह मिल सकती है।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 71-72, हिकायत नंबर- 58

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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