〽️हज़रत नूह अलैहिस्सलाम ने बहुक्मे इलाही जब कश्ती बनाना शुरू की तो एक मोमिना बूढ़िया ने हज़रत नूह से पूछा कि आप ये कश्ती क्यों बना रहे हैं?

आपने फ़रमाया- बड़ी बी! एक बहुत बड़ा पानी का तूफान आने वाला है जिसमें सब काफ़िर हलाक हो जाएंगे और मोमिन इस कश्ती के ज़रिये बच जाऐंगे।

बूढ़िया ने अर्ज किया। हुज़ूर! जब तूफान आने वाला हो तो मुझे ख़बर कर दीजिएगा ताकी मैं भी कश्ती पर सवार हो जाऊँ।

बुढ़िया की झोंपड़ी शहर से बाहर कुछ फासले पर थी। फिर जब तूफान का वक़्त आया तो हज़रत नूह अलैहिस्सलाम दूसरे लोगों को तो कश्ती पर चढ़ाने में मशगूल हो गए मगर उस बूढ़िया का खयाल ना रहा हत्ता की खुदा का होलनाक अज़ाब पानी के तूफ़ान की शकल में आया और रूऐ ज़मीन के सब काफ़िर हलाक हो गए और जब ये अज़ाब थम गया और पानी उतर गया और कश्ती वाले कश्ती से उतरे तो वो बुढ़िया हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के पास हाज़िर हुई और कहने लगी- हज़रत! वो पानी का तूफान कब आएगा? हर रोज़ इस इन्तिज़ार में हूँ की आप कब कश्ती में सवार होने के लिए फरमाते हैं।

हज़रत ने फरमाया बड़ी बी! तूफान तो आ भी चुका और काफ़िर सब हलाक भी हो चुके और कश्ती के ज़रिये
खुदा ने अपने मोमिन बन्दों को बचा लिया मगर तअज्जुब है की तुम ज़िन्दा कैसे बच गईं। अर्ज़ किया- अच्छा ये बात है तो फिर उसी खुदा ने जिसने आपको कश्ती के ज़रिये बचा लिया। मुझे मेरी टूटी-फूटी झोंपड़ी ही के ज़रिये बचा लिया।

#(रूह-उल-बयान, सफा-85, जिल्द-2)


🌹सबक़ ~
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जो खुदा का हो जाए, खुदा हर हाल में उसकी मदद फ़रमाता है और बगैर किसी सबब ज़ाहिरी के भी उसके काम हो जाते हैं।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 72-73, हिकायत नंबर- 59

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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