〽️इब्ने मरज़ूक बयान करते हैं के जज़ीराऐ शिक्र के एक मुसलमान को दुश्मनों ने क़ैद कर लिया और उसके हाथ पाँऊ लोहे की ज़ंजीरों से बाँध कर क़ैदख़ाने में डाल दिया और उस मुसलमान ने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम का नाम लेकर फ़रियाद की और ज़ोर से कहने लगा “या रसूलल्लाहﷺ" ये नअरा सुन कर काफ़िर बोले अपने रसूल से कहो तुम्हें इस क़ैद से छुड़ाने आए फिर जब रात हुई और आधी रात का वक़्त हुआ तो क़ैदख़ाने में कोई शख़्स आया और उसने क़ैदी से कहा, उठो! “अज़ान कहो”

कैदी ने अज़ान देना शुरू की और जब वो इस जुमले पर पहुँचा अशहदन्ना मोहम्मदुर्ररसूलल्लाह तो उसकी सब ज़ंजीरें टूट गयीं और वो आज़ाद हो गया फिर उसके सामने एक बाग़ ज़ाहिर हो गया और वो उस बाग़ से होता हुआ बाहर आ गया, सुबह उसकी रिहाई का सारे जज़ीरे में चर्चा होने लगा।

#(शवाहिद-उल-हक, सफा- 162)


🌹सबक़ ~
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मुसलमान हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का नअराऐ रिसालत हमेशा लगाते रहें और इस नअरा का मज़ाक़
उड़ाना दुश्मनाने रिसालत का काम है और ये भी मालूम हुआ की हुज़ूरﷺ का नाम मुश्किल कुशा है, ये नाम लेते ही मुसीबत की कड़ियाँ टूट जाती हैं।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 64-65, हिकायत नंबर- 49

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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