〽️बनी इस्राईल जब ख़ुदा की नाफरमानी में हद से ज्यादा बढ़ गए तो ख़ुदा ने उन पर एक ज़ालिम बादशाह बख़्त नस्र को मुसल्लत कर दिया। जिसने बनी इस्राईल को क़त्ल किया, गिरफ्तार किया और तबाह किया और बैत-उल-मुक़द्दस को बर्बाद व वीरान कर डाला।

हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम एक दिन शहर में तशरीफ़ लाए तो आपने शहर की वीरानी व बर्बादी को देखा, तमाम शहर में फिरे, किसी शख्स को वहाँ ना पाया। शहर की तमाम इमारतों को मुनहदिम देखा। ये मंज़र देख कर आपने बराह तआज्जुब फ़रमाया। अन्नीया यूहियी हाज़ीहिल्लाहू बअदा मौतिहा यअन ऐ अल्लाह! इस शहर की मौत के बाद उसे फिर कैसे ज़िंदा फ़रमाएगा?

आप एक दराज़ गोश पर सवार थे और आपके पास एक बर्तन ख़जूर और एक पियाला अंगूर के रास का था। आपने अपने दराज़गोश को एक दरख्त से बाँधा और उस दरख़्त के नीचे आप सो गए। जब सो गए तो खुदा में उसी हालत में आपकी रूह क़ब्ज़ कर ली और गधा भी मर गया।

इस वाक़ये के सत्तर साल बाद अल्लाह तआला ने शाहाने फ़ारस में से एक बादशाह को मुसल्लत किया और वो अपनी फ़ौजें लेकर बैत-उल-मुक़द्दस पहुँचा और उसको पहले से भी बेहतर तरीके पर आबाद किया और बनी इस्राईल में से जो लोग बाक़ी रहे थे, खुदा तआला उन्हें फिर यहाँ लाया और वो बैत-उल-मुक़द्दस और उसके नवाह में आबाद हुए और उनकी तअदाद बढ़ती रही। उस ज़माना में अल्लाह तआला ने हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम को दुनिया की आँखों से पौशीदा रखा और कोई आपको देख ना सका। जब आपकी वफ़ात को सौ साल गुज़र गए तो अल्लाह ने दोबारह आपको ज़िन्दा किया। पहले आँखों में जान आई। अभी तमाम जिस्म मुर्दा था। वो आपके देखते-देखते ज़िन्दा किया गया। जिस वक़्त आप सोए थे, वो सुबह का वक़्त था और सौ साल के बाद जब आप दोबारह ज़िन्दा किए गए तो ये शाम का वक्त था। खुदा ने पूछा। ऐ उज़ैर! तुम यहाँ कितने ठहरे? आपने अंदाज़े से अर्ज़ किया कि एक दिन या कुछ कम। आपका ख़याल ये हुआ के ये उसी दिन की शाम है जिसकी सुबह को सोए थे।

खुदा ने फ़रमाया- बल्की तुम तो सौ बरस ठहरे हो, अपने खाने और पानी यानी खजूर और अंगूर के रस को देखिये के वैसा ही है इसमें बू तक नहीं आई और अपने गधे को भी ज़रा देखिए। आपने देखा तो वो मरा हुआ और
गल चुका था, आज़ा उसके बिखरे हुए और हड्डियाँ सफेद चमक रही थीं। आपकी निगाह के सामने अल्लाह ने उस गधे को भी ज़िन्दा फरमाया। पहले उसके अज्ज़ा जमा हुए और अपने अपने मौके पर आए। हड्डियों पर गोश्त चढ़ा। गोश्त पर खाल आई। बाल निकले फिर उसमें रूह आई और आपके देखते-देखते ही वो उठकर खड़ा हुआ और आवाज़ करने लगा। आपने अल्लाह की क़ुदरत का मुशाहेदा किया और फ़रमाया मैं जानता हूँ के अल्लाह तआला हर शै पर क़ादिर है। फिर आप अपनी सवारी पर सवार होकर अपने मोहल्ले में तशरीफ़ लाए। आपको कोई पहचानता ना था। अंदाज़े से आप अपने मकान पर पहुँचे उम्र आपकी वही चालीस साल की थी। एक ज़ईफ़ बूढ़िया मिली। जिसके पाऊँ रह गए थे और नाबीना थी। वो आपके घर की बांदी थी और उसने आपको देखा था आपने उससे पूछा कि ये उज़ैर का मकान है? उसने कहा- हाँ, मगर उज़ैर के गुम हुए सौ बरस गुज़र गए। ये कह कर खूब रोई। आपने फ़रमाया- अल्लाह तआला ने मुझे सौ बरस मुर्दा रखा फिर जिन्दा किया। बूढ़िया बोली- उज़ैर अलैहिस्सलाम मुसतजाब-उल-दावात थे, जो दुआ करते क़बूल हो जाया करती थी। आप अगर उज़ैर हैं तो दुआ कीजिये कि मैं बीना हो जाऊं ताकी मैं अपनी आँखों से आपको देखूँ।

आपने दुआ की तो वो बीना हो गयी, फिर आपने उसका हाथ पकड़ कर फ़रमाया खुदा के हुक्म से उठ। ये फ़रमाते ही उसके मरे हुए पाऊँ भी दुरूस्त हो गए उसने आपको देख कर पहचाना और कहा- मैं गवाही देती हूँ कि आप बेशक उज़ैर ही हैं। फिर वो आपको मोहल्ले में ले गई। वहाँ एक मजलिस में आपके फ़रज़न्द थे। जिनकी उम्र एक सौ अठ्ठारह साल की हो चुकी थी और आपके पोते भी थे, जो बूढे हो चुके थे। बूढ़िया ने मजलिस में पुकारा- ये हज़रत उज़ैर तशरीफ़ लाए हैं, अहले मजलिस ने उस बात को झुटलाया। उसने कहा मुझे देखो, मैं आपकी दुआ से बिलकुल तनदुरूस्त और बीना हो गई हूँ। लोग उठे और आपके पास आए। आपके फ़रज़न्द ने कहा- मेरे वालिद साहब के शानों के दरमियान सियाह बालों का एक हलाल था। जिस्म मुबारक खोल कर देखा गया तो वो मौजूद था।

#(कुरआन करीम, पारा-3, रूकू-3 और ख़ज़ायन-उल-इरफ़ान, सफ़ा-65)


🌹सबक़ ~
=========

ख़ुदा की नाफ़रमानी का एक नतीजा ये भी है, ज़ालिम हाकिम मुसल्लत कर दिए जाते हैं और मुल्क बर्बाद व वीरान हो जाते हैं और अल्लाह तआला बड़ी क़ुदरातों का मालिक है वो जो चाहे कर सकता है और एक दिन उसने सब को दोबारह ज़िन्दा करके अपने हुजूर बुलाना है और हिसाब लेना है और ये भी मालूम हुआ के *नबी का जिस्म मौत वारिद होने के बाद भी सही सालिम रहता है।* हाँ जो गधे हैं वही मर कर मिट्टी में मिल जाते और मिट्टी हो जाते हैं।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 73-75, हिकायत नंबर- 60

--------------------------------------------------------
🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html