〽️हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक रहमतुल्लाह अलैह एक बड़े मजमऐ के साथ मस्जिद से निकले तो एक सय्यदज़ादे ने उनसे कहा, ऐ अब्दुल्लाह! ये कैसा मजमअ है? देख मैं फ़रज़न्द रसूल हूँ और तेरा बाप तो ऐसा ना था।

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक ने जवाब दिया, मैं वो काम करता हूँ जो तुम्हारे नाना जान ने किया था और तुम नहीं करते और ये भी कहा के बेशक तुम सय्यद हो और तुम्हारे वालिद रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम हैं और मेरा वालिद ऐसा ना था मगर तुम्हारे वालिद से इल्म की मीरास बाक़ी रही, मैंने तुम्हारे वालिद की मीरास ली मैं अज़ीज़ और बुज़ुर्ग हो गया तुम ने मेरे वालिद की मीरास ली
तुम इज्ज़त ना पा सके।

उसी रात ख़्वाब में हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक ने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम को देखा के चेहराऐ मुबारक आपका मुतग़य्यर है, अर्ज़ किया या रसूलल्लाहﷺ! ये रंजिश क्यों? फरमाया! तुम ने मेरे एक बेटे पर नुक्ता चीनी की है अब्दुल्लाह बिन मुबारक जागे और उस सय्यदज़ादे की तलाश में निकले ताके उससे माफ़ी तलब करें।

इधर इस सय्यद ज़ादे ने भी उसी रात को ख़्वाब में हुज़ूरे अक्रमﷺ को देखा और हुज़ूर ने उससे ये फ़रमाया के
बेटा अगर अच्छा होता तो वो तुम्हें क्यों ऐसा कलमा कहता वो सय्यदज़ादा भी जागा और हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक की तलाश में निकला।

चुनाँचे दोनों की मुलाक़ात हो गई और दोनों ने अपने-अपने ख़्वाब सुना कर एक दूसरे से मआज़रत तलब कर ली।

#(तज़करत-उल-औलिया, सफ़ा-173)


🌹सबक़ ~
=========

हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम उम्मत की हर बात पर शाहिद और हर बात से बाख़बर हैं और ये भी मालूम हआ की हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम से निस्बत रखने वाली किसी चीज़ पर नुक्ता चीनी करना हुज़ूर की ख़फ़्गी का मौजिब है।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 67-68, हिकायत नंबर- 52

--------------------------------------------------------
🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html