〽️हज़रत उमर रदीअल्लाहु अन्हु के अहेदे खिलाफ़त में एक मर्तबा कहेत पड़ गया तो हज़रत बिलाल बिन हारिस मुज़नी रदीअल्लाहु अन्हु रोज़ाऐ अनवर पर हाजिर हुए और अर्ज़ किया या रसूलल्लाहﷺ! आपकी उम्मत हलाक हो रही है बारिश नहीं होती, हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम उन्हें ख्वाब में मिले और फ़रमाया ऐ बिलाल! उमर के पास जाओ उसे मेरा सलाम कहो और कह दो के बारिश हो जाएगी और उमर से ये भी कहना के कुछ नर्मी इख्तियार करे (ये हुज़ूरﷺ ने इस लिए फरमाया के हजरत उमर फारूक रदीअल्लाहु अन्हु दीन के मामले में बड़े सख्त थे) हज़रत बिलाल हज़रत उमर की खिदमत में हाजिर हुए और हुज़ूरﷺ का सलाम व पैगाम पहुँचा दिया, हज़रत उमर ये सलाम व पैगामे महबूब पा कर रोए और फिर बारिश भी खूब हुई।

#(शवाहिद-उल-हक-लिलनबहानी, सफा-67)


🌹सबक ~
=========

मालूम हुआ के विसाल शरीफ के बाद भी सहाबा-ए-किराम मुश्किल के वक्त हुज़ूरﷺ ही की खिदमत में
हाजिर होते थे और हर मुश्किल यहीं से हल होती थी और ये भी मालूम हुआ के हज़रत उमरे फारूक रदीअल्लाहु अन्हु की बड़ी शान है और आप खलीफा बरहक हैं और इस कद्र खुशकिस्मत हैं के विसाल शरीफ के बाद भी हुज़ूरﷺ के सलाम व पैगाम से मुशर्रफ होते हैं फिर जिसे फारूके आज़म से अदावत होगी वो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम को क्यों ना बुरा लगेगा।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 58, हिकायत नंबर-41
--------------------------------------------------------
🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html