〽️जिन दिनों लश्करे यजीद ने मदीना मुनव्वरह पर चढ़ाई की उन दिनों तीन दिन मस्जिद नबवी में अज़ान ना हो सकी।
हज़रत सईद बिन अलमसीब रदिअल्लाहु अन्हु ने ये तीन दिन मस्जिद नबव्वी में रह कर गुजारे, आप फरमाते हैं के नमाज़ के वक्त हो जाने का मुझे कुछ पता नहीं चलता था मगर इस तरह जब नमाज़ का वक्त आता कब्र अनवर से एक हल्की सी अज़ान की आवाज़ आने लगती।
#(मिश्कात शरीफ, सफा-537)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कब्र अनवर में भी ज़िन्दा हैं और जो शख्स (माज़ अल्लाह) हुज़ूर को मर
कर मिट्टी में मिल जाने वाला लिखता है वो बड़ा बे अदब और गुस्ताखे रसूल है।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 57, हिकायत नंबर- 39
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html
हज़रत सईद बिन अलमसीब रदिअल्लाहु अन्हु ने ये तीन दिन मस्जिद नबव्वी में रह कर गुजारे, आप फरमाते हैं के नमाज़ के वक्त हो जाने का मुझे कुछ पता नहीं चलता था मगर इस तरह जब नमाज़ का वक्त आता कब्र अनवर से एक हल्की सी अज़ान की आवाज़ आने लगती।
#(मिश्कात शरीफ, सफा-537)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कब्र अनवर में भी ज़िन्दा हैं और जो शख्स (माज़ अल्लाह) हुज़ूर को मर
कर मिट्टी में मिल जाने वाला लिखता है वो बड़ा बे अदब और गुस्ताखे रसूल है।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 57, हिकायत नंबर- 39
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