🕌 चौथा बाब 🕋
अक़्वाले मुफ़स्सेरीन व मुहद्देसीन
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दारमी बाबुल_इक़्तिदा बिल_उलमा में है~

तर्जमा ख़बर दी हमको याला ने उन्होंने कहा कि मुझसे कहा अब्दुल_मलिक ने उन्होंने अता से रिवायत की कि इताअत करो अल्लाह की और इताअत करो रसूल की और अपने में से अम्र वालों की फरमाया अता ने ऊलुल_अम्र इल्म और फ़िक़्हा वाले हज़रात हैं।

तफ़्सीर ख़ाज़िन ज़ेरे आयत~

तर्जमा तुम उनसे पूछो जो मोमिन हैं और कुरआन जानने वाले उलमा हैं।

तफ़्सीर दुर्रे मन्सूर इसी आयत फ़रअलू अहलज़्ज़िक़्रे की तफ़्सीर में है~

तर्जमा इब्ने मरदुव्विया ने हज़रत अनस से रिवायत की फरमाते हैं कि मैंने हुजूर अलैहिस्सलाम से सुना कि फरमाते थे कि बाज़ शख्स नमाज़ पढ़ते हैं, रोज़े रखते हैं, हज और जिहाद करते हैं, हालांकि वह मुनाफ़िक़ होते
हैं।

अर्ज़ किया कि या रसूलुल्लाह, किस वजह से इनमें निफ़ाक़, नाइत्तेफ़ाक़ी आ गया । फ़रमाया कि अपने इमाम पर तअना करने की वजह से, इमाम कौन है फ़रमाया कि रब ने फ़रमाया *फ़र अलू अल, आयत* ।

तफ़्सीर सावी सूर :कहफ़ वज़्कुर रब्बेका इज़ा नसीता की तफ़्सीर में है~

यानी चार मज़्हबों के सिवा किसी की तक़्लीद जाइज़ नहीं, अगरचे वह सहाबा के क़ौल और सहीह हदीस और आयत के मुवाफिक़ ही हो, जो इन चार मज़्हबों से ख़ारिज है वह गुमराह और गुमराह करने वाला है ।

क्योंकि हदीस व कुरआन के महज़ ज़ाहिरी मानी लेना कुफ़्र की जड़ है।

अहादीस मुस्लिम जिल्द-अव्वल, सफ़ा-54, बाब बयान इन्नद्दीना अन्नसीहतु में है~

तर्जमा तमीम दारी से मरवी है कि हुजूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि दीन ख़ैर ख़्वाही है हमने अर्ज किया किस की, फरमाया अल्लाह की और उसकी 📖 किताब और उसके रसूल की और मुसलमानों के इमामों की और आम मोमिनीन की।

इस हदीस की शरह नुववी में है~

तर्जमा यह हदीस उन इमामों को भी शामिल है जो उलमा_ए_दीन हैं और उलमा की ख़ैर ख़्वाही से है उनकी रिवायत की हुई अहादीस का क़बूल करना और उनके अहकाम में तक़्लीद करना और उनके साथ नेक गुमान करना।

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📕 जा_अल_हक़ व ज़हक़ल_बातिल
       सफ़हा न०-28-29

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~  एस. अली. औवैसी  &  शाकिर अली बरेलवी

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