🕌 बहस इल्मे ग़ैब 🕋

तीसरी फ़स्ल: इल्मे ग़ैब के मुतअल्लिक़ अकिदा और इल्मे ग़ैब के मरातिब के बयान में
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इल्मे ग़ैब की तीन सूरतें हैं और इनके अलग अलग अहकाम (अज़ ख़ालिसुल, एतकाद सफ़ा 5) ~

(1). अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल आलिम बिज़्ज़ात है, उसके बग़ैर बताए कोई एक हर्फ़ भी नहीं जान सकता।

(2). हुजूर अलैहिस्सलाम और दीगर अंबिया_ए_किराम को रब तआला ने अपने कुछ ग़ैब का इल्म दिया।

(3). हुजूर अलैहिस्सलाम का इल्म सारी ख़िल्क़त से ज़्यादा है, हज़रत आदम व ख़लील अलैहिस्सलाम और मलकुल, मौत व शैतान भी ख़िल्कत हैं, यह तीन बातें ज़रूरियाते दीन में से हैं, इनका इंकार कुफ्र है।

किस्मे दोम - औलिया_ए_किराम को भी बिल_वास्ता अंबिया_ए_किराम कुछ उलूमे ग़ैब मिलते हैं।

अल्लाह तआला ने हुजूर अलैहिस्सलाम को पांच ग़ैबों में से बहुत से जुज़्इयात का इल्म दिया जो इस क़िस्म दोम का मुन्किर है वह गुमराह और बद मज़हब है कि सैकड़ों अहादीस का इंकार करता है।

क़िस्म सौम - हुजूर अलैहिस्सलाम को क़यामत का इल्म मिला कि कब होगी।

तमाम गुज़िश्ता और आइंदा वाक़यात जो लौहे महफूज में हैं उनका बल्कि उन से भी ज्यादा का इल्म दिया गया।


हुजूर अलैहिस्सलाम को हक़ीक़ते रूह और कुरआन के सारे मुतशाबिहात का इल्म दिया गया। ।

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📕 जा_अल_हक़ व ज़हक़ल_बातिल
       सफ़हा न०-43

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~  एस. अली. औवैसी  &  शाकिर अली बरेलवी

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