🕌 बहस इल्मे ग़ैब 🕋

दूसरी फ़स्ल: ज़रूरी फ़ायदों के बयान में
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इल्मे ग़ैब के मसअले में गुफ़्तगू करने से पहले यह चन्द बातें ख़ूब ख्याल में रखी जांए तो बहुत फ़ायदा होगा और बहुत से एतराज़ात ख़ुद_ब_खुद ही दफ़ा हो जाएंगे ---

(1). नफ्से इल्म किसी चीज़ का भी हो बुरा नहीं, हां बुरी बातों का करना या करने के लिए सीखना बुरा है, हां यह हो सकता है कि कुछ इल्म दूसरे इल्मों से ज़्यादा अफ़्ज़ल है जैसे इल्म अक़ाइद, इल्मे शरीअत, इल्मे तसव्वुफ़ दूसरे इल्मों से अफ़्ज़ल हों।

मगर कोई इल्म फ़ी नफ़्सेही बुरा नहीं, जैसे कुछ आयाते कुरआनिया कुछ से ज़्यादा सवाब रखती हैं, कुल हुवल्लाहु में तिहाई कुर आन का सवाब है मगर तब्बत यदा में यह सवाब नहीं (देखो रूहुल, ब्यान) ज़ेरे आयत व लव काना मिन इन्दे ग़ैरिल्लाहि तवजदु फ़ीहि इख़्तिलाफ़न कसीरा लेकिन कोई आयत बुरी नहीं, इसलिए कि अगर 1 कोई बुरा इल्म होता तो ख़ुदा को भी वह हासिल न होता, कि ख़ुदा हर बुराई से पाक है।

(2). और फ़रिश्तों को ख़ुदा की ज़ात व सिफ़ात का इल्म तो था मगर हजरत आदम अलैहिस्सलाम को आलम की सारी अच्छी बुरी चीज़ों का इल्म दिया, और वही इल्म उनकी अफ़्ज़लीयत का सुबूत हुआ, इस इल्म की वजह से वह मलाइका के उस्ताद क़रार पाए, अगर बुरी चीज़ों का इल्म बुरा होता तो हज़रत आदम को यह इल्म देकर उस्ताद न बनाया जाए।

(3). और दुनिया में सबसे बदतर चीज़ कुफ्र व शिर्क, मगर फ़ुक़हा फ़रमाते हैं कि इल्म हसद व बुग़्ज़ और अल्फा़ज कुफ़्रिया व शिर्किया का जानना फ़र्ज है ताकि इससे बचे, इसी तरह जादू सीखना फ़र्ज़ है दफ़ाए जादू के लिए।

शामी के मुक़द्दमा में है-

यानी इल्मे रिया और हसद व हराम और कुफ्रिया कल्मों का सीखना फ़र्ज है,
और वल्लाह यह बहुत ही ज़रूरी है।

इसी मुक़द्दमा शामी बहस इल्मे नुजूम और रमल में फरमाते हैं-

वफ़ी ज़ख़ीरतिन्नाज़िरते तअल्लुमुहू फ़रजुन लेरद्दे साहिरिन अहिलल_हर्बे ज़ख़ीरा नाज़िरा में लिखा है कि जादू सीखना फ़र्ज है अहले हर्ब के जादू को दफ़ा करने के लिए।

इहया_उल_उलूम, जिल्द अव्वल, बाब अव्वल, फस्ले सोम, बुरे उलूम के ब्यान में है इल्म की बुराई खुद इल्म होने की वजह से नहीं बल्कि बन्दों के हक़ में तीन वज्हों से है।

✳️ इस बयान से बख़ूबी वाजेह हुआ कि नफ़्स इल्म किसी चीज़ का बुरा नहीं, अब मुन्केरीन का वह सवाल उठ गया कि हुजूर अलैहिस्सलाम को बुरी चीज़ों जैसे चोरी, ज़िना, जादू, अशआर का इल्म नहीं था क्योंकि उनका जानना ऐब है, बताओ ख़ुदा को भी उनका इल्म है या नहीं, इसी लिए उन्होंने शैतान और मलकुल, मौत का इल्म हुजूर अलैहिस्सलाम से ज़्यादा माना यह तो ऐसा हुआ जेसे मजूसी कहते हैं कि ख़ुदाए पाक बुरी चीज़ों का ख़ालिक़ नहीं है क्योंकि बुरी चीज़ों का पैदा करना भी बुरा है, नऊज़ु बिल्लाह अगर इल्म जादू बुरा है तो उसकी तालीम के लिए रब की तरफ़ से दो फ़रिश्ते हारूत व मारूत क्यों ज़मीन पर उतरे, मूसा अलैहिस्सलाम के जादूगरों ने जादू के इल्म के ज़रिया से मुसा अलैहिस्सलाम की हक़्क़ानियत पहचानी और आप पर ईमान लाए, देख़ो इल्मे जादू ईमान का ज़रिया बन गया।

(4). सारे अंबिया और सारी मख़्लूक़ के उलूम हुजूर अलैहिस्सलाम को अता हुए, उसको मौलवी मुहम्मद क़ासिम साहब नानौतवी ने तहज़ीरुन्नास में माना है जिसके सारे हवाले आते हैं, तो जिस चीज़ का इल्म किसी मख़्लूक़ को भी है वह हुजूर अलैहिस्सलाम को ज़रूर है, बल्कि सबको जो इल्म मिला वह हुजूर अलैहिस्सलाम ही की तक़्सीम से मिला, जो इल्म शागिर्द उस्ताद से ले ज़रूरी है कि उस्ताद भी उसको जानने वाला हो। अंबिया में हज़रत आदम अलैहिस्सलाम भी हैं इसलिए हम हज़रत आदम व हज़रत ख़लीलुल्लाह अलैहिस्सलाम के इल्म से भी बहस करेंगे।

(5). कुरआन और लौहे महफ़ूज़ में सारे वाक़यात कुल मा काना वमा यकूनु हैं और इस पर मलाइका और कुछ औलिया व अंबिया की नज़रें हैं और हर वक़्त वह हुजूर अलैहिस्सलाम के पेशे नज़र है, इसके हवाला भी आते हैं, इसी लिए हम लौहे महफ़ूज़ और कुरआनी उलूम का भी ज़िक्र कर देंगे, इसी तरह कातिबे तक़्दीर फ़रिश्ता के उलुम का भी ज़िक्र कर देंगे यह तमाम बहसें इल्मे मुस्तफा अलैहिस्सलाम के साबित करने को होंगे।

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📕 जा_अल_हक़ व ज़हक़ल_बातिल
       सफ़हा न०-41-42

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~  एस. अली. औवैसी  &  शाकिर अली बरेलवी

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