🕌 आयाते कुरआनिया में: पहली फ़स्ल 🕋
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1). व अल्लमा आदमल_अस्माआ कुल्लहा सुम्मा अरज़हुम अलल_मलाइकते और अल्लाह तआला ने आदम को तमाम चीज़ों के नाम सिखाए, फिर सब चीज़ें मलाइका पर पेश कीं।

तफ़्सीर मदारिक में इसी आयत के मातहत है~

हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को तमाम चीज़ों के नाम बताने के माना यह हैं कि रब तआला ने उनके वह तमाम जिन्सें दिखा दीं जिसको पैदा किया है और उनको बता दिया कि इसका नाम घोड़ा और उसका नाम ऊँट और इसका नाम फुलां, हज़रत इब्ने अब्बास से मरवी है कि उनको हर चीज़ के नाम सिखा दिए, यहाँ तक कि प्याला और डोई के भी।

तफ़्सीरे ख़ाज़िन में इसी आयत ने यही मज़्मून बयान फ़रमाया, इतना और भी ज्यादा फ़रमाया कहा गया है कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को तमाम फ़रिश्तों के नाम सिखा दिए और कहा गया है कि उनकी औलाद के नाम, और कहा गया है कि उनको तमाम ज़बानें सिखा दीं।

तफ़्सीरे कबीर में इसी आयत के मातहत है ~

तर्जमा - आदम अलैहिस्सलाम को तमाम चीज़ों के औसाफ़ और उनके हालात सिखा दिए, और यही मशहूर है
कि मुराद मख़्लूक़ में से हर हादीस की जिन्स के सारे नाम हैं जो मुख्तलिफ़ ज़बानों में होंगे जिनको औलादे आदम आज तक बोल रही है अरबी, फ़ार्सी, रूमी, वग़ैरह।

तफ़्सीर अबू_अअस्सऊद में इसी आयत के मातहत है~

तर्जमा - कहा गया है कि हज़रत आदम को गुज़िश्ता और आइंदा चीज़ों के नाम बता दिए, और कहा गया है कि अपनी सारी मख़्लूक़ के नाम बता दिए अक़्ली, हिस्सी, ख़्याली, वहमी चीज़ें बता दीं और उन चीजों की जा़त, उनके नाम, उनके ख़ास्से, उनकी पहचान, इल्म के क़वाइद, हुनरों के क़ानून, उनके औज़ारों की तफ़्सील और उनके इस्तेमाल के तरीक़े का इल्म हज़रत आदम को इल्हाम फरमाया।

तफ़्सीर रूहुल_बयान में इसी आयत के मातहत है ~

तर्जमा - और हज़रत आदम को चीज़ों के हालात सिखाए और कुछ उन में दीनी व दुनियावी नफ़ा हैं वह बताए, और उनको फ़रिश्तों के नाम उनकी औलाद और हैवानात और जमादात के नाम बताए, और हर चीज़ का बनाना बताया, तमाम शहरों और गाँवों के नाम, परिन्दों और दरख़्तों के नाम, जो हो चुका या जो कुछ भी होगा उनके नाम और जो क़्यामत तक पैदा फरमाएगा उनके नाम और खाने पीने की चीज़ों के नाम, जन्नत की हर नेमत ग़र्जे़कि हर चीज़ के नाम बता दिए, हदीस में है कि हज़रत आदम को सात लाख़ ज़बानें सिखाई गई।

इन तफ़्सीरों से इतना मालूम हुआ कि मा काना और मा यकूनु के सारे उलूम हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को दिए गए, ज़बानें चीज़ों के नफ़ा व नुक़्सान बनाने के तरीके आलात का इस्तेमाल सब दिखा दिए, लेकिन अब मेरे आक़ा व मौला सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के उलूम को तो देखो, हक़ यह है कि यह इल्मे आदम मेरे आक़ा के इल्म के दरिया का एक क़तरा या मैदान का एक ज़र्रा है।

शैख़ इब्ने अरबी फुतूहाते मक्किया बाबे दहुम में फरमाते हैं~

अव्वला नाइबिन काना लहू सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व ख़लीफ़तुहू आदम अलैहिस्सलाम हुजूर अलैहिस्सलाम के पहले ख़लीफ़ा और नाइब आदम अलैहिस्सलाम हैं।

मालूम हुआ कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम हुजूर अलैहिस्सलाम के ख़लीफ़ा हैं, ख़लीफ़ा उसको कहते हैं जो असल की ग़ैर मौजूदगी में उसकी जगह काम करे, हुजूर अलैहिस्सलाम की पैदाइशे पाक से पहले सारे अंबिया हुजूर अलैहिस्सलाम के नाइब थे, यह मौलवी क़ासिम साहब ने भी तहज़ीरुन्नास में लिखा है, जैसा कि हम बयान करेंगे ख़लीफ़ा के इल्म का यह हाल है।

नसीमुर्रियाज़ शरह शिफ़ा क़ाज़ी अयाज़ में है~

हुजूर अलैहिस्सलाम पर सारी मख़्लूक़ात अज हज़रत आदम ता रोज़ क़्यामत पेश की गई, पस उन सब को पहचान लिया, जैसे कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को सब नाम सिखाए, इस इबारत से मालूम हुआ कि हुजूर अलैहिस्सलाम सबको जानते पहचानते हैं,

2). व यकूनर्रसूलू अलैकुम शहीदा और यह रसूल तुम्हारे निगहबान व गवाह हों।

तफ़्सीरे अज़ीज़ी में इसी आयत के मातेहत हैं.........
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📕 जा_अल_हक़ व ज़हक़ल_बातिल
       सफ़हा न०-44-46

🖌️पोस्ट क्रेडिट ~  एस. अली. औवैसी  &  शाकिर अली बरेलवी

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