▫पोस्ट--05 | ✅ तिहत्तर में एक ✅

पिछली 4 पोस्ट में आपने पढ़ ही लिया होगा कि इस उम्मत में 73 फिरके होंगे जिनमे 1 हक़ पर होगा और 72 जहन्नमी होंगे और इसके दलायल में मैं क़ुर्आनो हदीस और फुक़्हा के क़ौल भी नकल कर चुका और ये भी बता चुका कि फिरकों में बांटना सुन्नियों का काम नहीं बल्कि बातिल फिरकों का जनम खुद हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने में यानि सहाब-ए किराम के दौर में हो चुका था, तो चलिए कुछ बातिल फिरकों के अक़ायद और उनकी तफसील मुलाहज़ा करिये~
 
 
1). क़दरिया - इस बातिल फिरके का बानी बसरा का रहने वाला एक शख्स जिसका नाम  मअबद जुहनी था और इसका अक़ीदा था कि इंसान खुद ही अपने अमल का ख़ालिक़ है जब वो कुछ करना चाहता है तब ही वो काम वजूद में आता है और तक़दीर कोई चीज़ नहीं यानि पहले से कुछ भी लिखा हुआ नहीं है और ये भी कि अल्लाह तआला को भी किसी काम का इल्म तब ही होता है जब बंदा कोई काम कर लेता है। मआज़ अल्लाह

हदीस - हज़रते यहया बिन मअमर से मरवी है कि सबसे पहले तक़दीर का जिसने इंकार किया वो मअबद जुहनी है यह्या कहते हैं की मैं और हुमैद बिन अब्दुर्रहमान हज के लिए मक्का मुअज़्ज़मा गए तो हमने कहा कि अगर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के सहाबा में से हमें कोई मिला तो हम उनसे तक़दीर के बारे में मालूमात करेंगे, इत्तिफ़ाक से हमें अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मिल गए जो मस्जिद शरीफ में दाखिल हो रहे थे तो हम दोनों उनके दाएं और बाएं हो लिए, यह्या कहते हैं कि मैं जानता था कि हुमैद खुद बात ना करके मुझसे ही बात करवायेंगे लिहाज़ा मैंने हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से अर्ज़ किया कि हमारे यहां कुछ लोग हैं जो क़ुर्आन पढ़ते हैं इल्मे दीन हासिल करते हैं और भी कुछ उनकी तारीफ करके मैंने कहा कि वो लोग खयाल करते हैं कि उनका अक़ीदा है कि तक़दीर कोई चीज़ नहीं है और इंसान का करना ही सब कुछ है और इंसान अपने कामों का खुद ही ख़ालिक़ है, ये सब सुनकर हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु ने फरमाया कि जब तुम लोग उनसे मुलाकात करना तो मेरी तरफ से कह देना कि वो मेरे नहीं और मैं उनका नहीं फिर उसके बाद आपने कसम खा कर फरमाया कि अगर कोई शख़्स उहद पहाड़ के बराबर सोना राहे ख़ुदा में खर्च करे तो अल्लाह तआला उसकी ख़ैरात को हरगिज़ क़ुबूल ना करेगा जब तक कि वो तकदीर पर ईमान ना लाये, इसके बाद हज़रत ने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की एक तवील हदीस हमको सुनाई जिसका मफहूम ये था कि अच्छी बुरी तक़्दीर का अक़ीदा रखना ईमान के लिए ज़रूरी है।

📕 मुस्लिम, जिल्द 1, सफह 27


हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने खुद इनके बारे में पहले से ही फरमा दिया था, मुलाहज़ा फरमायें~

हदीस - क़दरिया इस उम्मत के मजूसी हैं अगर वो बीमार हों तो उनकी इयादत ना करो और अगर वो मर जायें तो उनके जनाज़े में शरीक ना हो।

📕 मिश्कात, बाबुल ईमान, सफह 22


एक मुसलमान को यही अक़ीदा रखना चाहिये कि कायनात में जो कुछ होता है उन सबका ख़ालिक़ो मालिक सिर्फ अल्लाह ही है और जो भी अच्छे या बुरे काम होते हैं वो सब पहले से लिखा हुआ है और

▫पोस्ट--04 | ✅ तिहत्तर में एक ✅

दौरे हाज़ा में एक जमाअत ऐसी भी पाई जाती है जो कि 73 फिरकों वाली हदीसे पाक का पूरा मफहूम ही बदलने पर उतर आई है, जैसा कि खुद मेरे साथ गुज़रा इलाहाबाद में मदरसा गरीब नवाज़ के एक मौलवी साहब हैं उनसे मेरी बात हुई तो कहने लगे कि 72 फिरकों में वहाबी, देवबंदी, शिया वगैरह शामिल नहीं हैं बल्कि इनके कुफ्र करने से ही ये उम्मते इजाबत से निकलकर उम्मते दावत में शामिल हो गये यानि काफिरों की जमाअत में खड़े हो गए तो मैंने पूछा कि फिर 73 फिरकों में कौन होगा तो बोले इससे मुसलमानों की अंदरूनी जमाअत जैसे क़ादिरी, चिश्ती, नक़्शबंदी, अबुल ओलाई, नियाज़ी, वारिसी, साबरी वग़ैरह मुराद हैं और ये सब के सब जन्नती हैं, मुझे बड़ी हैरत हुई मैंने कहा कि आज तक तो पूरी उम्मते मुस्लिमा यही अक़ीदा रखती है कि 72 फिरकों से मुराद वहाबी देवबंदी वगैरह ही हैं ये आज आपसे एक नई बात सुनने को मिली है तो क्या आज तक हमारे सारे आलिम गलत बयानी कर रहे थे तो कहने लगे कि हमारे उल्मा से इस हदीस को समझने में गलती हुई, खैर मुझे अल्लाह के फज़्ल से इतना इल्म तो था ही कि वो गलत बोल रहे हैं इसलिए मैं वहां से चला आया ये मुआमला 2012 में मेरे साथ पेश आया और उसके बाद से लेकर आज तक कभी उनके पास नहीं गया मगर उनका मुंह बंद करने के लिए मैंने बरैली शरीफ से एक इस्तिफता किया तो वहां से जवाब आया कि ऐसा शख्स गुमराह है और तौबा व तज्दीदे ईमान का हुक्म दिया गया (फतवे के लिए इमेज देखें), जब मैंने इसकी और तहक़ीक़ की तो मुझे पता चला कि ऐसा कहने वाला वो अकेला शख्स नहीं है बल्कि इसके पीछे पूरी एक लॉबी काम कर रही है और इनका मक़सद यही है कि ये खुद तो सुलह कुल्ली टाइप के लोग हैं और कुफ्रो इर्तिदाद की जो तलवार वहाबियों बदअक़ीदों पर लटक रही है उसी तलवार की ज़द में ये लोग खुद भी हैं लिहाज़ा ऐसी सूरत में ये चाहते हैं कि 72 फिरकों की हदीस का इन्कार कर दिया जाये यानि मायने ही बदल दिया जाये ताकि इस सूरत में अगर कोई इनको अहले  सुन्नत व जमाअत से खारिज भी कर देगा तब भी ये अपने आपको 72 फिरकों में गिनकर जन्नती होने का परवाना हासिल कर लेंगे मगर ये शायद भूल गये कि क़ुर्आनो हदीस का जो मायने हमारे अस्लाफ कर गए हैं वो क़यामत तक के लिए हमारे लिए पत्थर की लकीर है और वही हुक्म अल्लाह के नज़दीक भी है लिहाज़ा इनकी अपनी मन घड़न्त बातो से ये अपने आपको बहला तो सकते हैं मगर हमेशा के लिए जहन्नम में जाने से बचा नहीं सकते, इनके लिए बस एक ही रास्ता है या तो फौरन अपने किये पर शर्मिंदा होकर तौबा करें और पूरे तरीके से अक़ायदे अहले सुन्नत पर क़ायम हो जायें वरना जहन्नम में जाने के लिए तैयार रहे, एक और बात बअज़ जाहिल किस्म के लोग कुर्आन की एक आयत पेश करते हैं पहले वो आयत मुलाहज़ा करें~
 
 
कंज़ुल ईमान - और अल्लाह की रस्सी को मजबूती से थाम लो सब मिलकर और आपस में फट ना जाना (फिरकों में ना बट जाना)।

📕 पारा 4, सूरह आले इमरान, आयत 103


इस आयत को पेश करके वो ये बताना चाहते हैं कि फिरके में बटने के लिए मौला तआला ने मना फरमाया है तो जो लोग फिरका-फिरका कर रहे हैं वो गलत राह पर हैं तो इसका जवाब ये है कि बेशक

▫पोस्ट--03 | ✅ तिहत्तर में एक ✅

हदीस - मेरी उम्मत का एक गिरोह क़यामत आने तक हक़ पर रहेगा और दुश्मन उसका कुछ ना बिगाड़ सकेंगे।.

📕 बुखारी, जिल्द 1, सफह 61

कहीं मेरे आक़ा सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ये फरमाते हैं कि मेरी उम्मत 73 फिरकों में बट जायेगी तो कहीं आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ये फरमाते हैं कि मेरी उम्मत का एक ही गिरोह हक़ पर रहेगा तो मानना पड़ेगा कि उम्मत तो फिरको में बटेगी और उनमे 1 ही हक़ पर होगा बाक़ी सब जहन्नमी और उस एक का नाम अहले सुन्नत व जमाअत है, इस बात की दलील मैं पिछली पोस्ट में दे चुका हूं फिर भी कुछ और मुलाहज़ा फरमा लें~

हदीस - हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि मेरी उम्मत गुमराही पर जमा ना होगी और जब तुम इख्तिलाफ देखो तो बड़ी जमाअत को लाज़िम पकड़ो।

📕 इब्ने माजा, सफह 283


अब बड़ी जमाअत से क्या मुराद है और कौन बड़ी जमाअत है वो भी इसी हदीस के मातहत इसी इब्ने माजा शरीफ के हाशिये में लिखा है कि~

फुक़्हा - बा वजूद तमाम 72 फिरकों के अगर वो मिलाकर भी तुम देखो तो वो अहले सुन्नत के दसवें हिस्से को भी नहीं पहुंचते ।

📕 इब्ने माजा, हाशिया 1, सफह 292


बाक़ायदा नाम के साथ फरमाया गया है कि बड़ी जमाअत अहले सुन्नत व जमाअत ही है लिहाज़ा इसमें ज़र्रा बराबर भी शक व शुबह की गुंजाइश नहीं कि अहले सुन्नत ही हक़ पर है, अब रही इसकी बात कि

▫पोस्ट--02 | ✅ तिहत्तर में एक ✅

🔆 जो लोग सुन्नियों से ये कहते नज़र आते हैं कि मुसलमानो को फिरकों में क्यों उलझा रखा है दर असल वो जाहिल अहमक़ और बे ईमान किस्म के लोग हैं वरना आफताब रौशन दलीलों से रद्द गरदानी ना करते क्योंकि फिरका सुन्नी नहीं बनाते बल्कि कुछ बे ईमान लोग अहले सुन्नत व जमाअत से निकलकर एक अलग गुमराह जमाअत बना डालते हैं सुन्नी बस उसी गुमराह जमाअत की निशान देही कराता है, और रही फिरक़ा बनने की बात तो ये तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के ज़मानये मुबारक में ही शुरू हो गया था कुछ बे ईमान मुसलमानों से अलग एक जमाअत बना चुके थे जिसे मुनाफिक़ कहा गया और उन मुनाफिक़ों के हक़ में कई आयतें नाज़िल हुई और कई हदीसे पाक मरवी है, मुलाहज़ा फरमायें ~

कंज़ुल ईमान - मुनाफेक़ीन जब तुम्हारे हुज़ूर हाज़िर होते हैं तो कहते हैं कि हम गवाही देते हैं कि बेशक हुज़ूर यक़ीनन खुदा के रसूल हैं और अल्लाह खूब जानता है कि बेशक तुम ज़रूर उसके रसूल हो, और अल्लाह गवाही देता है कि बेशक ये मुनाफिक़ ज़रूर झूठे हैं........इज़्ज़त तो अल्लाह और उसके रसूल और मुसलमानों के लिए है मगर मुनाफिकों को खबर नहीं ।

📕 पारा 28, सूरह मुनाफिक़ून,आयत 1/8


कंज़ुल ईमान - कहते हैं हम ईमान लाये अल्लाह और रसूल पर और हुक्म माना, फिर कुछ उनमें से उसके बाद फिर जाते हैं और वो मुसलमान नहीं ।

📕 पारा 18,सूरह नूर,आयत 47


कंज़ुल ईमान - ये गंवार कहते हैं कि हम ईमान लाये तुम फरमा दो कि तुम ना लाये हां युं कहो कि हम मुतीउल इस्लाम हुए, ईमान अभी तुम्हारे दिलो में कहां दाखिल हुआ।

📕 पारा 26, सूरह हुजरात, आयत 14


कंज़ुल ईमान - तो क्या अल्लाह के कलाम का कुछ हिस्सा मानते हो और कुछ हिस्सों के मुनकिर हो, तो जो कोई तुममें से ऐसा करे तो उसका बदला दुनिया की ज़िन्दगी में रुस्वाई और क़यामत के दिन सबसे ज़्यादा अज़ाब की तरफ पलटे जायेंगे, और अल्लाह तुम्हारे करतूतों से बे खबर नहीं । यही लोग हैं जिन्होंने अक़्ल बेचकर दुनिया खरीदी, तो ना उन पर से कुछ अज़ाब हल्का हो और न उनको मदद पहुंचे।

📕 पारा 1, सूरह बक़र, आयत 85-86


इन आयतों को ग़ौर से पढ़िये और बताइये कि वो कौन लोग थे जो अल्लाह पर ईमान लाते थे जो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की नुबूवत की गवाही देते थे, ज़ाहिर सी बात है कि काफिर तो ऐसा करते नहीं हैं क्योंकि वो तो सिरे से मुनकिर हैं तो मानना पड़ेगा कि ये वही लोग थे जो बज़ाहिर तो दाढ़ी रखते, टोपी लगाते, नमाज़ पढ़ते रोज़ा रखते, हज करते, ज़कात देते, मगर फिर भी दिल से ईमान नहीं लाते थे और ये वही लोग थे जो क़ुर्आन की वो आयतें मानते जो इनके लिए नफा बख्श होती और जो इनके हक़ में ना होती यानि जिनसे अम्बिया व औलिया की शान बयान होती उसका फौरन इंकार कर देते, मुनाफिक़ की यही खसलत वहाबी, देवबंदी, क़ादियानी, खारजी, राफ्ज़ी, अहले हदीस, जमाअते इस्लामी और तमाम बदमज़हबो के अंदर पाई जाती है कि क़ुर्आन की जो आयत इनके हक़ में है उस पर फौरन ईमान ले आये और जो इनके हक़ में नहीं

▫पोस्ट--01 | ✅ तिहत्तर में एक ✅

🌹 हदीस - हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मेरी उम्मत पर एक ज़माना ज़रूर ऐसा आयेगा जैसा कि बनी इस्राईल पर आया था बिल्कुल हु बहु एक दूसरे के मुताबिक, यहां तक कि बनी इस्राईल में से अगर किसी ने अपनी मां के साथ अलानिया बदफेअली की होगी तो मेरी उम्मत में ज़रूर कोई होगा जो ऐसा करेगा और बनी इस्राईल 72 मज़हबो में बट गए थे और मेरी उम्मत 73 मज़हबो में बट जायेगी उनमें एक मज़हब वालों के सिवा बाकी तमाम मज़ाहिब वाले नारी और जहन्नमी होंगे सहाबये किराम ने अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम वह एक मज़हब वाले कौन होंगे तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि वह लोग इसी मज़हबो मिल्लत पर कायम रहेंगे जिस पर मैं हूं और मेरे सहाबा हैं ।

📕 तिर्मिज़ी,हदीस नं 171
📕 अबु दाऊद,हदीस नं 4579
📕 इब्ने माजा,सफह 287
📕 मिश्कात,जिल्द 1,सफह 30


💝 तशरीह - हज़रत शेख अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु इस हदीस शरीफ के तहत फरमाते हैं कि "निजात पाने वाला फिरक़ा अहले सुन्नत व जमाअत का है अगर ऐतराज़ करे कि कैसे नाजिया फिरक़ा अहले सुन्नत व जमाअत है और यही सीधी राह है और खुदाये तआला तक पहुंचाने वाली है और दूसरे सारे रास्ते जहन्नम के रास्ते हैं जबकि हर फिरक़ा दावा करता है कि वो राहे रास्त पर है और उसका मज़हब हक है तो इसका जवाब ये है कि ये ऐसी बात नहीं जो सिर्फ दावे से साबित हो जाये बल्कि इसके लिए ठोस दलील चाहिये, और अहले सुन्नत व जमाअत की हक़्क़ानियत की दलील ये है कि ये दीने इस्लाम हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से मन्क़ूल होकर हम तक पहुंचा है और अक़ायदे इस्लाम मालूम करने के लिए सिर्फ अक़्ल का ज़रिया काफी नहीं है, जबकि हमें अखबारे मुतवातिर से मालूम हुआ और आसारे सहाबा और अहादीसे करीमा की तलाश से यक़ीन हुआ कि सल्फ सालेहीन यानि सहाबा ताबईन और उनके बाद के तमाम बुज़ुर्गाने दीन इसी अक़ीदा और इसी तरीक़े पर रहे और अक़्वाले मज़ाहिब में बिदअत व नफसानियत ज़मानये अव्वल के बाद पैदा हुई, सहाब-ए किराम और सल्फ मुताक़द्देमीन यानि ताबईन तबअ ताबईन व मुज्तहेदीन में से कोई भी उस नए मज़हब पर नहीं थे उससे बेज़ार थे बल्कि नए मज़हब के ज़ाहिर होने पर मुहब्बत और उठने बैठने का जो लगाओ पहले क़ौम के साथ था वो तोड़ लिया और ज़बानो क़लम से उसका रद्द फरमाया ।

सियाह सित्तह व हदीस की दूसरी मुसतनद किताबों की जिन पर अहकामे इस्लाम का मदार व मबनी हुआ उसके मुहद्देसीन और हनफी शाफई मालिकी व हंबली के फुक़्हा व अइम्मा और उनके अलावा दूसरे उल्मा जो उनके तबक़े में थे सब इसी मज़हबे अहले सुन्नत व जमाअत पर क़ायम थे, इसके अलावा अशारिया व मातुरीदिया जो उसूले कलाम के अइम्मा हैं उन्होंने भी सल्फ के मज़हब यानि अहले सुन्नत व जमाअत की ताईद व हिमायत फरमाई और दलायले अक़्लिया से इसे साबित फरमाया और जिन बातों पर सुन्नते रसूल सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम और इजमाये सल्फ सालेहीन जारी रहा उसको ठोस क़रार दिया इसीलिए अशारिया

Fazail E Sahaba رضي الله عنهم اجمعين, | Parts Wise Link

▫Part 01 | ☪ Fazail E Sahaba ☪ رضي الله عنهم اجمعين

بسم الله الرحمن الرحيم
الصلوة والسلام عليك يا رسول الله صلى الله عليه وسلم

☪Sahabi Kehte Kisko Hai ?

🏵Sahabi Woh Khushnasib Momin Hai Jinhone Imaan Wa Hosh Ki Halaat Me Ek Nazar Huzoor Nabi E Rahmat صلى الله عليه وسلم ko Dekha Ya Unhe Huzoor صلى الله عليه وسلم Ki Sohbaat Naseeb Huwi Ho Phir Imaan Par Khatmaa Bhi Naseeb Huwa Ho.

Masla 01 :

🏵Hazrat Sayyidna Abdullah Ibn Maktoom رضي الله عنه Aap Nabina The Chunki Aapne Jahiri Aankh Se Huzoor Nabi E Rehmat صلى الله عليه وسلم Ka Deedar Naa Kiya Par Huzoor Nabi E Rehmat صلی اللہ علیہ و سلم Ki Sohbat Mili To Ye Bhi Sahabi Huwe.

Masla 02:

🏵Sahabi Hone K Liye Imaan Par Khatma Shart Hai Jo Log Pehle Imaan waale the baad Me Murtad Huwe Aur Musailma Kazzab Par Imaan Le Aaye Wo Sahabi Nahi Hai.

Masla 03 :

🏵Kisi Buzurg Ne Khwab Me Bajahir Huzoor Nabi E Karim صلى الله عليه وسلم K Wisaal k baad

▫Part 02 | ☪ Fazail E Sahaba ☪ رضي الله عنهم اجمعين

بسم الله الرحمن الرحيم
الصلوة والسلام عليك يا رسول الله صلى الله عليه وسلم

☪Sahaba E Kiram رضي الله عنهم اجمعين Ka Darja

🏵Har Nabi عليه السلام K Saathi Huwe jinhe Hawari Kaha Jata Hai Jis Tarah Huzoor Rehmat E Aalam Hazrat Muhammad E Mustafa صلى الله عليه وسلم Tamam Nabiyo Me Sabse Afzal Makam Rakhte Aur Sabke Sardaar Huwe,

🍀Aap ki Ummat Tamam Nabiyo Ki Ummat Me Sabki Sardaar huwi Us Tarah Aap Ki Ummat K Wali Auliya Ulema Bhi Sab Tamam Ummato k Auliya Ulma k Sardar Huwe Hai,

🏵Sahaba E Kiram رضي الله عنهم اجمعين Ka Makam Bhi Us tarah k Dunya Ki Tamam Ambiya عليه السلام k Hawarin se Badke Makam Aur Martaba Huzoor Rehmat E Aalam صلى الله عليه وسلم k Sahaba Huwe

🍀Koi Gaus Kutoob Abdaal Kitna Hi Amal kare Kisi bhi Makam ko Pahoche Hatta k Aakhir Din tak Aane Waale Insaan Bhi Jama Hojaye to bhi Makam E Sahaba k Ird Gird nahi pahuch Sakte Hai Aur Ho Bhi Kyu Naa Unhe Sohbat Bhi To Tazdaar E Kaynaat Hazrat Muhammad E Mustafa صلى الله عليه وسلم ki Mili Hai.

🏵Aur Phir Tamam Sahaba Ka Bhi Darja Ek Jaisa Nahi Ahle Sunnat Wa JamaatKa Ispe Izma Hai k

▫Part 03 | ☪ Fazail E Sahaba ☪ رضي الله عنهم اجمعين

بسم الله الرحمن الرحيم
الصلوة والسلام عليك يا رسول الله صلى الله عليه وسلم

☪Quraan Aur Sahaba E Kiram رضي الله عنهم اجمعين

🏵Quran E Mukaddas Me Jamat E Sahaba k Manakib Aur Fazail Me Beshumar aayat Mauzood Hai Ye Wo Mubarak Jamaat hai k jinko samjhe bina Quran Nahi Samjha Jaa sakta Hai

🍀Quran ki aayat Farman E Ilahi Aur Irshadat E Nabvi Ko Dunya Me Failane waale Jamat wo ye sahaba ki jamaat hai.

🏵Yaha Hum Kuch Aayat E Karima Fazail E Sahaba par pesh kar rhe hai.

☪Imaan Laana Hai par Kaise ?

Ayat 01 :

وَإِذا قيلَ لَهُم آمِنوا كَما آمَنَ النّاسُ قالوا أَنُؤمِنُ كَما آمَنَ السُّفَهاءُ

🏵“Aur Jab Unse Kaha Jaaye Imaan Lao Jaise Aur Log Imaan Laaye To Kahe Kya Hum Ahmako Ki

▫Part 04 | ☪ Fazail E Sahaba ☪ رضي الله عنهم اجمعين

بسم الله الرحمن الرحيم
الصلوة والسلام عليك يا رسول الله صلى الله عليه وسلم

☪Sahaba K Imaan Par ALLAH Tabarakwatala ki MOHAR HAI.

Ayat 02 :

أُولٰئِكَ كَتَبَ في قُلوبِهِمُ الإيمانَ وَأَيَّدَهُم بِروحٍ مِنهُ ۖ وَيُدخِلُهُم جَنّاتٍ تَجري مِن تَحتِهَا الأَنهارُ خالِدينَ فيها ۚ

🏵“Ye Hai Woh Log Jinke Dilon Me ALLAH Ne Imaan Naqsh Kar Diya Aur Apni Taraf Ki Rooh Se Inki Madad Farmayi Aur Inhein Baagon Mein Le Jayega Jinke Neeche Nehrein Beh Rahi Hai, Hamesha Rahenge Unmein”
📜Surah Mujadilah Ayat 22

🍀Ayat E Karima Me Sahaba K Dilo Me Imaan K Naqsh hone ki baat kahi gayi ab Yaha Naqsh ka Kya Maana Hai Ek Misal Se samjhe Jab Deewar me kisi cheez ko tarash kar uspe Naqsh karde to wo mithaya nahi jaa sakta Is tarah Naqsh karda Imaan Sahaba Ka huwa aur ye naksh ALLAH tabarakwatala ne kiya

▫Part 05 | ☪ Fazail E Sahaba ☪ رضي الله عنهم اجمعين

بسم الله الرحمن الرحيم
الصلوة والسلام عليك يا رسول الله صلى الله عليه وسلم

☪Sahaba Se ALLAH Razi Aur ALLAH Se Sahaba Razi Huwe

Ayat 03 :

رَضِيَ اللَّهُ عَنهُم وَرَضوا عَنهُ ۚ أُولٰئِكَ حِزبُ اللَّهِ ۚ أَلا إِنَّ حِزبَ اللَّهِ هُمُ المُفلِحونَ

🏵“ALLAH Unse Razi Aur Aur Wo ALLAH Se Razi Uske Rahmat Aur Karam Se Yeh ALLAH ki Jamaaat Hai Sunta Hai ALLAH Hee Ki Jamaat Kamyab Hai ”
📜Surah Mujadilah Ayat 22

🍀Jamat E Sahaba Se ALLAH raazi Huwa Aur Wo Log ALLAH se raazi huwe kamyab huwe Aur Is jamaat Ko HIZBULLAH kaha Gaya yaani ALLAH Ki jamaat

🏵Ab Koi Shia rafzi kahe k ye Hizbullah Naa the to yakinan wo aur Uska aqeeda Quran Se To milta nahi yaani wo tafarka baaj Fitna Parast Khatmal Hai Maloon Hai Jinka Islam Aur Quran se koi lena

▫Part 06 | ☪ Fazail E Sahaba ☪ رضي الله عنهم اجمعين

بسم الله الرحمن الرحيم
الصلوة والسلام عليك يا رسول الله صلى الله عليه وسلم

☪Farmaan E Mustafa صلى الله عليه وسلم Sahaba K Fazail

🏵Koi Kitna Hi Amal Karle Sahaba k Martabe Ko Nahi Paa Sakta

Hadees 01:

🏵Hazrat Abu Hurraira رضي الله عنه se rivayat hai k Rasool Allah صلى الله عليه وسلم ne Irshad Farmaya
"Mere Sahaba Ko Bura Mat Kaho, Mere Sahaba Ko Bura Mat Kaho (Do Martaba Farmaya)

🍀Qasam Hai Us Zaat Ki Jis Ke Qabza E Qudrat Me Meri Jaan Hai Agar Tum Mein Se Koi Uhad

▫Part 07 | ☪ Fazail E Sahaba ☪ رضي الله عنهم اجمعين

بسم الله الرحمن الرحيم
الصلوة والسلام عليك يا رسول الله صلى الله عليه وسلم

☪Sahaba Ko Huzoor صلى الله عليه وسلم Ki Sohbat Ka Azr E Azeem

Hadees 02:

🏵“Hazrat Nusair Bin Zu’look رضي الله عنه Riwayat Karte Hain Ke Hazrat Abdullah Bin Umar رضي الله عنه Farmaya Karte They Ke Huzoor Nabi E Akram صلى الله عليه وسلم Ke Sahaba Kiram Ko Bura Mat Kaho

🍀Kyun Ke Huzoor Nabi E Akram صلى الله عليه وسلم Ki Sohbat Mein Guzara Huwa Un Ka Aik Lamha

▫Part 08 | ☪ Fazail E Sahaba ☪ رضي الله عنهم اجمعين

بسم الله الرحمن الرحيم
الصلوة والسلام عليك يا رسول الله صلى الله عليه وسلم

☪Jo Sahaba Ko Takleef Pahuchaye Usne Huzoor صلى الله عليه وسلم Ko Takleef Pahuchayi

Hadees 03:

🏵“Hazrat Abdullah Bin Mughaffal رَضِیَ اللهُ عَنْهُ Se Riwayat Hai Ke Huzoor Nabi E Akram صلى الله عليه وسلم Ne Farmaya :

🍀˝Mere Sahaba رضي الله عنهم اجمعين Ke Baarey Mein Allah Ta’ala Se Daro, Allah Se Daro Aur Mere Baad Inhe Tanqeed Ka Nishaana Na Banaana,

🏵Kyun Ke Jis Ne In Se Muhabbat Ki Us Ne Meri Wazah Se Un Se Muhabbat Ki Aur Jis Ne Un Se Bughz Rakha Us Ne Mere Bughz Ki Wazah Se Un Se Bughz Rakha

🍀Aur Jis Ne Unhey Takleef Pahunchaayi Us Ne Mujhey Takleef Pahunchaayi Aur Jis Ne Mujhe Takleef Pahunchaayi Us Ne Allah Ta’ala Ko Takleef Pahunchaayi Aur Jis Ne Allah Ta’ala Ko

▫Part 09 | ☪ Fazail E Sahaba ☪ رضي الله عنهم اجمعين

بسم الله الرحمن الرحيمالصلوة والسلام عليك يا رسول الله صلى الله عليه وسلم

☪Sahaba k Mutallik Huzoor صلى الله عليه وسلم Ki Wasiyat Aur Nasihat

Hadees 04:

🏵“Hazrat Jaabir Bin Samurah رضي الله عنه Se Riwayat Hai Unho ne Bayan Kiya Ke Hazrat Umar رضي الله عنه Ne Jaabiya Ke Maqaam Par Hame Khutba Diya, Phir Farmaya :

🍀Hamare Darmiyan Huzoor Nabi E Akram صلى الله عليه وسلم Yoo’n Qiyam Farmatey They Jaise Mein Tumhare Darmiyan Khara Hoo’n Aur Aap صلى الله عليه وسلم Ne Farmaya :

🏵Mere Sahaba Ke Baare Mein Meri Hifaazat Karo (Ya’ni Un Ki Izzato Ehteraam Karo.) (Aur Un Logon Ki Izzato Ehteraam Karo) Jo In Ke Baad Aaney Waaley Hain. Phir (Un Logon Ki) Jo In Ke

▫Part 10 | ☪ Fazail E Sahaba ☪ رضي الله عنهم اجمعين

بسم الله الرحمن الرحيمالصلوة والسلام عليك يا رسول الله صلى الله عليه وسلم

☪Sahaba Pe Tabbara Karne Waalo Par Lanaat

Hadees 05 :

🏵“Hazrat Abdullah Bin Umar رضي الله عنه Se Riwayat Hai Ke Rasoolullah صلى الله عليه وسلم Ne Farmaya :

🍀Jab Tum Un Logon Ko Dekho Jo Mere Sahaba Ko Bura Bhala Kehte Hain To Tum (Unhe) Kaho Tumhare Sharr (Buraayi) Par Allah Ta’ala Ki Laanat Ho.”

▫Part 11 | ☪ Fazail E Sahaba ☪ رضي الله عنهم اجمعين

بسم الله الرحمن الرحيمالصلوة والسلام عليك يا رسول الله صلى الله عليه وسلم

☪Huzoor صلى الله عليه وسلم Ka Farmaan Sahaba E Kiraam رضي الله عنهم اجمعين Sitaro Ki Manind Hai Jiski Pairwi Karoge Hidayat Paa Jaoge

🍀 Hadees 06:

🏵Hazrat Umar ibn khattab رضي الله عنه se rivayat Hai Unhone Rasool ALLAH صلى الله عليه وسلم Ko Farmate Huwe Suna Nabi صلى الله عليه وسلم Ne Farmaya Maine Apne Rab Se Apne Sahaba Ke iktelaf k Muttalik Sawal Kiya Jo Mere Baad Hoga.

🍀ALLAH Ne Meri Taraf Wahi Farmayi AYE Muhammad صلى الله عليه وسلم Tumhare Sahaba Mere Nazdik aise hai jaise aasman k sitaro ki manind hai inme baaj baaj pe afzal hai lekin sabke sab Nooroni Hai.

🏵Aye Mehboob Agar Inme Baad me Iktelaf hojaye to jo inme se jiski pairvi kare wo hidayat paa jayga.

🍀Phir Nabi E Karim صلى الله عليه وسلم Ne Farmya Aye Logo jaan lo mere Sahaba Aasman me

☆ नेकी और बुराई क्या है ☆

♥हदीस : नवास इब्ने सामआन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है कि,
मैंने रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) से पुछा -

"नेकी और बुराई क्या है..??"

आप (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

"नेकी खुश अख्लाकी है और बुराई ऐसा काम करना है जो तेरे दिल मे खटके और तुझे ओ पसंद न हो के लोग उसे जाने ।"

📚 मुस्लिम शरिफ, सहीह बुखारी, बाब किताब ऊल इमान, पार्ट-1, पेज-85

☆ नेकी गुनाहो को मिटा देती है ☆

♥हदीस : अबु जर और मौज बिन जबल (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि,
नबी__ए__करिम (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

"जहां भी रहो अल्लाह तआला से डरते रहो और गुनाह के बाद नेकी कर लिया करो के ओ नेकी इस गुनाह को मिटा देगी और लोगो के साथ हुस्न_ए_अख्लाक से पेश आओ ।"

📚 तिर्मिजी शरिफ

☆ लोगो मे खैरात तकसीम किया करो ☆

♥हदीस : असमा बिन्त अबु बक्र (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि,
रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया कि -

"माल को थैली मे बन्द कर के न रखना वरना अल्लाह तआला भी उसके खजाने मे तुम्हारे लिए बन्दीश लगा देगा,
जहां तक हो सके लोगो मे खैरात तकसीम किया करो ।"
📚 सहीह बुखारी

☆ बुजुर्गो के ताजीम की फजीलत ☆

♥रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया कि -

"जो जवान आदमी किसी बुढ़े (बुजुर्ग) की ताजीम इस के बुढ़ापे के बिना पर करेगा तो

अल्लाह तआला इसके बुढ़ापे के वक्त कुछ ऐसे लोगो को तैयार फरमा देगा जो बुढ़ापे मे इसका आजीज व एकराम करेंगे ।"

📚 मिश्कात, जिल्द-2, सफा-1423, शाह अल'मुताबेह, जन्नती जेवर, सफा-392

☆ हजार नवाफील रकअत पढ़ने से अफजल ☆

♥हदीस : हजरते अबु जर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है कि,
आका (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया-

"ऐअबु जर! तुम सुबह के वक्त किताबुल्लाह की एक आयत सिखो तो ये तुम्हारे लिए सौ (100) नवाफील पढ़ने से अफजल है,

और अगर तुम सुबह के वक्त इल्म का एक बाब (Chapter) सिखलो चाहे उस पर अमल किया गया या (अभी) अमल न किया जाए (यानी सिर्फ अमल का इरादा भी किया जाए)
ये तुम्हारे लिए हजार रकअत (नवाफील) पढ़ने से अफजल है ।"

☆ जो भलाई की सिफारिश करेगा ☆

अल-कुरआन : बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम !!!
"जो भलाई की सिफारिश करेगा ओ उसमे से हिस्सा (सवाब) पायेगा,

और जो बुराई की सिफारिश करेगा ओ उसमे से हिस्सा (सजा) पायेगा ।"
📚 सुरह-निसा (4), आयत:85


📌हदीस : रसुलल्लाह (सल्ललाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

"मेरी सिफारिश का फायदा हर उस शख्स को पहुंचेगा जो शिर्क से बचकर जिन्दगी गुजारेगा ।"

☆ दुआ की वजह से अल्लाह अपने बन्दे को 3 चीजों से जरुर नवाजता है ☆

♥हदीस : अल्लाह के रसुल (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फरमाते हैं कि -
"कोइ ऐसा मुस्लमान नही जो कोई दुआ करे जिसमे गुनाह और कित्ता रहमी न हो,
मगर अल्लाह उस दुआ की वजह से उसको 3 चीजों से जरुर नवाजता है-"

•1)- या तो फिलहाल वही चीज दे देता है

•2)- और उसकी आखिरत के लिए जकीरा देता है (आखिरत के लिए उस दुआ को बाकी रखता है,)

•3)- या कोई ऐसी ही बुराई उससे हटा देता है (या उस दुआ के बदले कोई मुसीबत टाल देता है)

सहाबा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने फरमाया -
"इस हलात मे तो हम फिर खुब कसरत (Continuously) फे दुआ किया करेंगे ।"

आप (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया

"अल्लाह के यहां इससे भी ज्यादा अता की कसरत है"
(यानी तुम दुआ मांगने मे कसरत करोगे वह फिर अता करने मे तुमसे ज्यादा कसरत करेगा,)

☆ रश्क किन इंसानों पर होना चाहिये ? ☆

♥नबी_ए_करिम (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) फरमाते हैं-


रश्क दो ही इंसानो पर होना चाहिये -

(1)- जिसे अल्लाह ने कुरआन का इल्म दिया और ओ इसके साथ रात की गहराईयों मे खड़ा होकर नमाज पढ़ता रहा,

(2)- जिसे अल्लाह ने माल दिया और ओ मोहताज पर दिन रात खैरात करता रहा ।"

📚 बुखारी, हदीस-5025, किताब-फजाइले कुरआन : बाब-कुरआन पढ़ने वाले पर रश्क करना जाएज है

💫 नोट : कोई नेअमत देखकर ये ख्याल पैदा हो के ये नेअमत उस के पास भी रहे मगर मुझे भी मिल जाए! इसे

☆ औरतों जैसी चाल-ढ़ाल अपनाने वाले मर्दो पर लानत ☆

♥हदीस : इब्ने अब्बास (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है कि,

नबी_ए_करिम (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

"औरतों जैसी चाल-ढ़ाल अपनाने वाले मर्दो पर और मर्दों जैसी चाल-ढ़ाल अपनाने वाली औरतों पर अल्लाह ने लानत भेजी है ।"

एक और रिवायत इसके तल्लुक से आता है कि,

आप (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने उन मर्दों पर लानत भेजी है जो हिजड़ा बनते है और उन औरतों पर भी लानत भेजी है जो मर्द बनती है,

और आपने इन लोगो के बारे मे ये भी फरमाया की इन्हे अपने घरों से निकालकर बाहर कर दो ।"

☆ रहमतल्लिल आलमीन से दुआ की दरख्वास्त ☆

♥हदीस : अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) फरमाते है,
रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) से मुश्रिकीन के लिए बद-दुआ करने की दरख्वस्त की गई,

आप (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया -

"मुझे लानत करने वाला बनाकर नही भेजा गया,
मुझे रहमत बनाकर भेजा गया है ।"

☆ नदामत मे गुनाह मुआफ फरमा दिये जाते है ☆

♥हदीस : अब्दुल्लाह बिन सलाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से मरवी है कि,
नबी_ए_करिम (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

"जब कोई बन्दा अल्लाह तआला के हजुर तौबा करता है और अपने गुनाह पर नदामत महसुस करता है तो उसके नदीम होने से पहले ही उसके तमाम गुनाह मुआफ फरमा दिये जाते है".

☆ नजर की पैरवी न करो ☆

♥हदीस : जरीर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से
रिवायत है कि,

मैंने रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) से पुछा की : (गैर महरम पर) अचानक गिरने वाली नजर का क्या हुक्म है...??

तो आप (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया, "तु अपनी नजर फेर ले ।"
📚 सुनन अबु दाऊद, वो-2, 381- सहीह


हदीस : बुरैदह इब्ने अल-हसीब (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है कि,

रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

"नजर की पैरवी न करो, (गैर महरम की तरफ) पहली नजर तो मुआफ है मगर दुसरी निगाह मुआफ नही".
📚 सुनन अबु दाऊद, वो-2, हदीस-382


▪️हदीस : हजरत अली (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है कि,

नबी_ए_करिम (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

"अली! पहली नजर किसी नमहरम पर पड़ने के बाद, इसपर दुसरी नजर न डालना,

☆ खुश खबरी और मुबारक-बाद हो उसके लिए ☆

♥हदीस : फरमान_ए_मुस्तफा (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) है कि -
"खुश खबरी और मुबारक-बाद हो उसके लिए जिसने मुझे देखा और मुझपर ईमान लाया,

और सात (7) मर्तबा खुश-खबरी और मुबारक-बाद हो उसके लिए जिसने मुझे नही देखा और मुझपर ईमान लाया".

📚 मुस्नाद_ए_इमाम अहमद, जिल्द-5, पेज-257, हदीस-22268

☆ मरहुम (Dead) की तरफ से भी खैरात दिया करें ☆

♥हदीस : उम्मे आईशा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है कि,
एक शख्स रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) से पुछा कि - "मेरी मां का अचानक इन्तेकाल हो गया और मेरा ख्याल है की अगर उन्हें बात करने का मौका मिलता तो ओ कुछ न कुछ खैरात करती!,

अगर मै उनकी तरफ से कुछ खैरात करुं तो क्या उन्हे इसका सवाब मिलेगा..."

आप (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया - "हां मिलेगा!"

☆ भलाई सिखाने वाले पर अल्लाह की रहमत ☆

♥हदीस : अबु उमामा बाहीली (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है उन्होंने फरमाया की,
रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) के सामने दो (2) आदमीयों का चर्चा (जिक्र) किया गया,
एक उनमे से इबादत करने वाला (आबीद) था और दुसरा आलीम,

तो रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया की-

"इबादत करने वाले पर आलीम की बढ़ाई ऐसी है जैसे की मेरी बढ़ाई तुम्हारे मामुली आदमी पर,

फिर रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया की-

"लोगो को भलाई सिखाने वाले पर अल्लाह तआला रहमत नाजील फरमाता है और उसके फरिश्ते और जमीन

☆ खालीक और मख्लुक के बीच कोई पर्दा नही ☆

♥हदीस : हजरते मुआज (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है कि,
रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने (मुझे हाकीम बना कर) भेजा तो ये फरमाया -

तुम अहले किताब के पास जा रहे हो उन्हे इस बात की गवाही की तरफ बुलाना के -

अल्लाह तआला के सिवा कोई माबुद नही,

और बेशक मैं मुहम्मद (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) अल्लाह तआला का रसुल हुँ ।

अगर ओ ये बात जाने तो उन्हे बताना के -

-बेशक अल्लाह तआला ने उन पर दिन और रात मे 5 नमाजे फर्ज की है ।

अगर ये बात मान ले तो उन्हे बताना -

-अल्लाह तआला ने उनपर जकात फर्ज की है, जो उनके मालदारों से लेकर फकीरो मे तकसीम कर दी जाए,

☆ अपने घरवालो के साथ इंसाफ करने वाले नुर के मिम्बर पर होंगे ☆

♥हदीस : अब्दुल्लाह बिन अमर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है कि,
रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया -

"जो लोग इंसाफ करते है ओ अल्लाह सुब्हानहू तआला के यहां रहमान अजवजल के दाहीनी तरफ नुर के मिम्बरों पर होंगे और ये ओ लोग होंगे जो अपने घरवालों के साथ इंसाफ करते है,

और जो काम उनको दिया जाता है उसमे इंसाफ करते है ।"

☆ इंसान की जवानी का सवाल क्यामत मे ☆

♥हदीस : रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया के -"इंसान के कदम क्यामत के दिन अल्लाह तआला के सामने से उस वक्त तक नही हटेगें जब तक के उससे इसकी जवान के बारे मे सवाल न कर लिया जाए, की इसको कहां खर्च किया."
📚तिर्मीज शरिफ, हदीस-2416


💫 एक और रिवायत मे आता है -
♥हदीस : अबु बजरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है की,
रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया -
"क्यामत के दिन आदमी के दोनो कदम उस वक्त तक (हिसाब की जगह से) नही हट सकते, जब तक उससे इन पांच चीजों के बारे मे न पुछ लिया जाए~

•1)👉🏻अपनी उम्र किस काम मे खर्च की....??

•2)👉🏻अपने इल्म पर क्या अमल किया....??

☆ इस्लाम खतरे मे है या मुस्लमान....??☆

♥आज मुस्लमानों पर दिन-बा-दिन जुल्मो सितम की इन्तेहा देखकर अकसर लोगों के मुंह से ये बातें सुनने को मिलती है के"इस्लाम खतरे मे है"...

याद रखे जो लोग ये कहते है के इस्लाम खतरे मे है, ओ भुल जाईये के इस्लाम को कभी खतरा था न कभी होगा, बल्कि खतरे मे ओ मुस्लमान है जो इस दीन को छोड़कर अपने नफ्स की ताबेदारी कर रहे है,

*जबकी इस दीन की फितरत है के ये हर हाल मे इंसानियत तक पहुंचकर रहेगा....*

▪️और इसी बात को अल्लाह के रसुल (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने वाजेह फरमाया और कहा :-
"ये दीन तो हर घर मे दाखिल होकर रहेगा, चाहे कच्चा मकान हो या पक्का, या बन्द किले हो, या खुली वादियां हो ।

दीन-ए-इस्लाम सारे आलम-ए-इंसानियत तक पहुंचकर रहने वाला है.."

📚 मुस्नाद अहमद, हदीस-16998

अब हमे तय करना है के हमे साथ रहना है या नही रहना ,....

-जबकी अल्लाह ने तो अपना काम करना है,

-अपने दीन को इंसानों पर वाजेह करना है,

-दीन के साथ चलने वालो को आजमाना और उसका बदला देना है,

-और दीन को छोड़ने वालो को दुनियां और आखिरत मे इबरत बनाना और अजाब देना है,

☆ जब लोग अल्लाह और उसके रसूल के वादे का लिहाज नहीं करेंगे ☆

♥ हदीस: नबी-ए-करीम (सल्लाल्लाहु अलैही वसल्लम) फरमाते है -“जब लोग अल्लाह और उसके रसूल के
वादे का पास (लिहाज) नहीं करेंगे ,
तो अल्लाह उनपर बैरुने दुश्मन को तसल्लुद कर देता है,
और वो (बैरुने दुश्मन) इनकी सरवत का एक हिस्सा इनसे छीन लेता है |”
📕सुनन इब्न माजा, हदीस-3262

आज आलमे इंसानियत का यही हाल है के –
नौउज़ुबिल्लाह! हमने अल्लाह और उसके रसूल (सल्लाल्लाहु अलैही वसल्लम) की इतनी नाफ़रमानी की है के अल्लाह ने हमपर ऐसे बैरुने दुश्मन को तसल्लुद किया के –

– “कमाते हम है, तेल हम निकालते है लेकिन उसका भाव बैरुने मुल्क में बैठकर कोई और तय करता है,

– हमारे रुपये (Currency) का भाव वो तय करते है के डोलर के मुकाबले में आज कितना होगा,

इसी को (Capitalism) कहते है जिसमे इंसानों पर सीधे हुकूमत नही किया जाता लेकिन पूरा (Finance)

☆ जब बन्दा सुरह फातिहा की तिलावत करता है ☆

♥हदीस :  अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) कहते है मैंने रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को फरमाते सुना,"अल्लाह फरमाता है मैंने नमाज अपने और अपने बन्दे के दरमियान आधी-आधी तकसीम करदी है, लिहाजा मेरा बन्दा जो सवाल करेगा उसे मिलेगा"

जब बन्दा कहता है ( अल्हमदुलल्लिलाही-रब्बील-आलामीन ) तो अल्लाह फरमाता है "मेरे बन्दे ने मेरी तारिफ की ।"

जब बन्दा कहता है
(अर्रहमान-निरर्रहीम) तो अल्लाह फरमाता है मेरे बन्दे ने मेरी सना कि - और एक मर्ताबा यु फरमाता है " बन्दे ने अपने काम मेरे सुपुर्द किया ।"

और जब बन्दा कहता है
(मालीके-यौमीद्दीन) तो अल्लाह फरमाते है " ₹मेरे बन्दे ने मेरी बुजुर्गी ब्यान की ।"

जब बन्दा कहता है (इय्याकाना'-बुदु-वाइय्याका-नस्ताय्यीन) तो अल्लाह फरमाता है ये मेरे और मेरे बन्दे के

☆ अल्लाह अपने बन्दो की कोई फरियाद जाया नही करता ☆

♥हदीस : हजरते सलमान फर्सी (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से रिवायत है की,रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया -
"तुम्हारा रब बहुत बा-हया और करिम (करम वाला) है, जब उसका बन्दा उसके सामने अपने दोनो हाथ उठाता है तो उन्हें खाली लौटाते हुए उसे अपने बन्दे से हया आती है ।
📚 सुनन अबी दाऊद, 1488- सहीह

इस हदीस मे हया से मुराद अल्लाह अपने बन्दो की कोई भी फरियाद (दुआ) जाया नही करता, जिसके तल्लुक से एक रिवायत मे आता है के -

▫️हदीस - अल्लाह के रसुल (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फरमाते है के -
"कोई ऐसा मुस्लमान नही जो कोई दुआ करे जिसमे गुनाह और कित्ता रहमी न हो मगर अल्लाह उस दुआ की वजह से उसको 3 चीजों से जरुर नवाज देता है" -

👉🏻1) - या तो फिलहाल वही चीज दे देता है,

👉🏻2) - और उसकी आखिरत के लिए जकीरा देता है (आखिरत के लिए उस दुआ को बाकी रखता है),

👉🏻3) - या कोई ऐसी ही बुराई उससे हटा देता है (उस दुआ के बदले कोई मुसीबत टाल देता है).

सहाबा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने फरमाया - "इस हलात मे तो हम फिर खुब कसरत से दुआ किया

☆ जब जन्नती बन्दा अल्लाह के दिदार करेंगे ☆

♥हदीस : सुहैब (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है की रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया -"जब जन्नती जन्नत मे पहुंच जाएंगे तो अल्लाह तआला उनसे इरशाद फरमायेगा:
"क्या तुम चाहते हो की माजीद एक चीज अता करुं यानी तुमको जो कुछ अब तक अता हुआ है उस पर माजीद एक खास चीज इनायत करुं....??"

ओ कहेंगे : "क्या आपने हमारे चेहरे रौशन नही कर दिये और क्या आपने हमे दोजख से बचाकर जन्नत मे दाखिल नही कर दिये...?? (अब इसके अलवा और क्या चीज हो सकती है जिसकी हम ख्वाहीश करें!....
बंदो के इस जवाब के बाद) फिर अल्लाह तआला पर्दा हटा देगा (जिसके बाद ओ अल्लाह तआला का दिदार करेंगे)

अब उनका ये हाल होगा की जो कुछ अब तक इन्हें मिला था उन सबसे ज्यादा महबुब उनके लिए अपने रब की

▫Post-- 2G | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 2 " NAJASATON KA BAYAN "
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Mas'ala:

NAMAZ Padhte Me Jeb Me Koi Sheeshi Thi Jisme Peshab Ya Khoon Ya Sharab Hai To Namaz Nahi Hui.
{Bahare-E-Shariat, Hissa-2, Page-392}

Mas'ala:

Peshab Ki Bareek Chhiten Sooi Ki Nook Ke Barabar Agar Badan Ya Kapde Pe Lag Jaye To Badan Aur Kapda Dono Pak Hai, Aur Aisa Kapda Paani Me Mil Jay To Paani Bhi Pak Rahega.
{الفتاوٰی الھندیة، كتاب الطهارة، الباب السابع في نجاسةوأحكامها، الفصل الثاني، جلد-۱، صفحہ-۴۶}

Mas'ala:

Kisi Kapde Ya Badan Par Chand Jagah Najasate Galizah Lagi Hai Aur Kisi Jagah Dirham Ke Barabar Nahi, Magar Kul Mila Jaye To Dirham Ke Barabar Hoti Hai To Dirham Hi Samjha Jayga Aur Agar Ziyadah Hai To Ziyadah Hi Samajha Jayga, Najasate Khafifa Me Bhi Kul Milakar Hi Hukm Diya Jayga.
{Bahare-E-Shariat, Hissa-2, Page-393}

Mas'ala:

Raste Ki Keechad Pak Hai Jab Tak Uska Najis Hona Malum Na Ho, Agar Paon Ya Kapde Me Lagi Aur Be-Dhoye Namaz Padh Lee To Ho Gai Magar Dho Lena Behtar Hai. Yun Hi Sadak Pe Paani Chidka Ja Raha Uski Chiten Ud Kar Lagi To Kapda Ya Badan Napak Na Hoga Magar Dho Lena Behtar Hai.
{الدرالمختار" و "ردالمحتار" کتاب الطھارة، مطلب في العفو عن طين الشارع، جلد-۱، صفحہ-۵۸۳}

Mas'ala:

Aadmi Ki Khal Agar Thode Paani Me (Agar Bade Paani Me Gire Jaise Dah Dardah Haoz Ya Talab Nadi Etc Me To Napak Na Hoga) Gir Jaye To Wo Napak Ho Gaya Agar Che Khal Nakhun Ke

▫Post-- 2F | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 2 " NAJASATON KA BAYAN "
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Mas'ala:

Hathi Ke Sond Ki Ratubat Aur Sher Kutte Chite Aur Dusre Darindon Chopayon (4 Pair Wale) Ka Luaab (Thook) Najasate Galizah Hai.
{Bahare-E-Shariat Hissa-2, Page-391}

Mas'ala:

Jin Janwaron Ka Gosht Halal Hai (Jaise Gaye, Bail, Bhains, Bakri, Oont Wagera) Unka Peshab Neez Ghode Ka Peshab Aur Jis Parinde Ka Gosht Haram Hai Khawah Wo Shikari Ho Ya Na Ho (Kauwwa, Cheel, Shikra, Baaz, Behri) Uski Beet Najasate Khafifah Hai.
{Bahare-E-Shariat, Hissa-2, Page-391}

Mas'ala:

Chimgadar Ki Beet Aur Peshab Dono Pak Hai.
{Fatawa Alamgiri, Jild-1, Page-46}

Mas'ala:

Jo Parinde Uncha Udte Ho Jaise Kabootar, Maina, Murgabi Unki Beet Pak Hai.

▫Post-- 2E | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 2 " NAJASATON KA BAYAN "
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Mas'ala:

Khushki (Zameen) Ke Har Janwar Ka Behta Khoon Aur Murdar Ka Gosht Aur Charbi (Yani Wo Janwar Jisme Behta Hua Khoon Hota Ho Agar Wo Bagair Zabah Kiye Mar Gaya To Murdar Hai

Ya Phir Kisi Majoosi (Aag Ki Puja Karne Wala)

Ya But Parast (Hindu)

Ya Murtad Jo Islam Se Phir Gaya Jaise Wahabi/Deobandi Ne Halal Janwar Masalan Bakra, Bakri, Gaye, Bail, Zabah Kiya Ho To Uska Gosht Post Sab Napak Ho Gaya Aur Haram Janwar Ko Shari Tariqe Se Zabah Kiya To Uska Gosht Pak Ho Gaya Magar Khana Haram Hai, Siway Suwwar Ke, Ke Wo Pura Ke Pura Napak Hai Kisi Tarah Pak Nahi Ho Sakta).

Haram Chopaye Jaise Kutta, Sher, Lomri, Billi, Chuha, Gadha, Khachchar, Hathi, Suwar Ka Pakhana Peshab Aur Ghode Ki Leed Aur Har Halal Chopaye Ka Pakhana Jaise Gaye Bhains Ka Gobar Bakri

▫Post-- 2D | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 2 " NAJASATON KA BAYAN "
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Mas'ala:

Dukhti Ankh Se Jo Paani Nikle Wo Najasate Galizah Hai, Yun Hi Naaf Ya Pistan (Chhati) Se Dard Ke Saath Jo Pani Nikle Wo Najasate Galizah Hai.
{بھارشریعت، حصہ-۲-صفحہ-۳۹۰}

Mas'ala:

Doodh Peete Bachche Ka Peshab Bhi Najasate Galizah Hai.
{Bahare-E-Shariat, Hissa-2, Page-390}

Mas'ala:

Doodh Peete Bachche Ne Agar Muh Bhar Ke Doodh Paltaya (Ulti Ki) To Wo Bhi Najasate Galizah

▫Post-- 2C | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 2 " NAJASATON KA BAYAN "
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Mas'ala:

Najasate Khafifa Ka Hukm Galiza Se Alag Hai.

Najasate Khafifa Agar Kapde Ya Badan Ke Jis Hisse Pe Lage Aur Chaothai Hisse Se Kam Lagi Hai To Muaaf Hai Be Dhoye Namaz Ho Jaygi Agar Chaothai Ke Barabar Hai To Bina Dhule Namaz Nahi Hogi.

Example-

Agar Najasate Khafifah Pair Me Lage Haath Pe Lage Ya Aasteen Ya Kurte Ya Pajame Pe Lagi To Dekho Us Hisse Ke Chaothai Ke Barabar Hai Ya Kam ?
Phir Jaisa Ho Masle Ke Mutabiq Amal Kare.

*Mas'ala:*

Insan Ke Badan Se Koi Aisi Chiz Nikle Jisse Wazu Ya Gusl Wajib Hota Ho To Use Najasate GALEEZAH Kehte Hain.

Pakhana.
Peshab.
Behta Khoon.
Peep.
Muh Bhar Qay (Ulti)
Haiz O Nifas Aur Khune Istehaza.

▫Post-- 2B | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 2 " NAJASATON KA BAYAN "
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Mas'ala:

Jise Najasate Galizah Kehte Hain Uska Hukm Ye Hai Ki Agar Wo Kapde Ya Badan Pe 1 Dirham Se Ziyadah Lage To Uska Paak Karna Zaroori Hai Bepak Kiye Uspe Namaz Hogi Hi Nahi.

Agar Qasdan Padhi To Gunehgar Hua Aur Ba-Niyyate Istekhfafa (Namaz Ko Halka Jaan kar) Padha To Kafir Hua.

Aur Agar Najasate Galiza 1 Dirham Ke Barabar Hai To Kapde Ya Bada Ko Pak Karna Wajib Hai.
Aise Surat Me Namaz Padhi To Dhorana Wajib Hai.

Agar Dirham Se Kam Lagi Hai To Aisi Surat Me Kapde Ya Badan Ka Pak Karna Sunnat Hai.
Agar BePak Kiye Namaz Padha To Ho Gai Magar Sunnat Ke Khilaf Aisi Namaz Ka Dohrana Behtar Hai.
{بھارشریعت، حصہ/۲/صفحہ/۳۸۹}

Mas'ala:

Najasat Agar Garhi (MOTI) Hai Jaise Gobar Pakhana Ya Leed To Dirham Ke Wazan Ka Aitebar

▫Post-- 2A | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 2 " NAJASATON KA BAYAN "
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Hamari Namaz Sahi Tab Hogi Jab Wazu Sahi Hoga, Wazu Sahi Tab Hoga Jab Hamara Gusl Sunnat Ke Mutabiq Hoga.

Hum Me Aksar Logo Ko Alhamdulillah Wazu Gusl Namaz Ka Mukammal Tariqa To Malum Hai Magar Jab Napak Chiz Badan Ya Kapde Par Lage To Kya Kapda Ya Badan Pura Napak Hoga Ya Sirf Utne Hi Hisse Ko Dhone Se Wo Pak Hoga?

Aur Wo Kaunsi Nijasat (Gandagi) Hai Jiske Lagne Se Badan Ya Kapde Ke Us Hisse Ka Pak Karna Zaroori Hai Ye Bhi Pata Hona Chahiye.

Dekhiye Jis Tarah Namazi Ke Badan Ka Pak Hona Zaroori Hai Usi Tarah Uske Kapde Aur Us Jagah

▫Post-- 1G | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 1 " ISTINJE KA BAYAN "
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Mas'ala:

Jise Peshab Ke Baad Qatre Aane Ka Ehtemal Ho Uspe ISTIBRA Karna Wajib Hai.
Istibra Tahelne Se Hota Hai Ya Zameen Pe Zor Se Paon Mare Ya Unchi Jagah Niche Utre Ya Niche Se Upar Chadhe, Ya Itna Chale Ki Baqya Jame Qatre Nikal Jaye.
Istibra Ka Hukm Mardon Ke Liye Hai Aurat Ke Liye Hukm Hai Ki Hajat Se Faragat Ke Baad Thodi Der Ruk Kar Taharat Kare. 
{الفتاوٰی الھندیہ. کتاب الطھارة، الباب السابع فی النجاسة وأحکامھا، الفصل الثالث' جلد/۳،صفحہ/۶۹}

Mas'ala:

Wazu Ke Bache Pani Se Taharat Karna Durust Nahi Aur Taharat Ke Bache Paani Se Wazu Kar Sakte

▫Post-- 1F | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 1 " ISTINJE KA BAYAN "
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Mas'ala:

Aage Ya Piche Se Jab Nijasat Nikle To Dhelo Se Istinja Karna Sunnat Hai Aur Agar Sirf Pani Se Hi Dhoya Tab Bhi Jayez Hai Magar Mustahab Hai Ye Hai Ki Dhelo Ke Baad Pani Se Taharat Kare.
📜{Fatawa Hindiya, Jild-1, Page-48}

Mumbai Jaise Bade Shaher Me Dhele Mushkil Se Milte Hain Aur Na Masjid Me Rakhe Hote Hain Is Liye Yahan Faqat Paani Se Taraharat Khoob Achche Se Kare.

Mas'ala:

Kankar Patthar Phata Hua Kapda Ye Sab Dhele Ke Hukm Me Hai, In Se Bhi Saaf Karna Bila Karahat

▫Post-- 1E | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 1 " ISTINJE KA BAYAN "
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Mas'ala:

Jab Tak Baithne Ke Qareeb Na Ho Badan Se Kapda Na Hataye Aur Na Hajat Se Ziyadah Badan Khole, Phir Dono Paon Kushdah Kar Ke Ulte Paon Pe Zor De Kar Baithe, Kisi Deeni Masle Par Gaor Na Kare Ki Ye Baise Mehroomi Hai.

Chheenk Ya Salam Ya Azan Ka Jawab Zaban Se Na De, Aur Agar Chinke To Zaban Se Alhamdulillah Na Kahe, Dil Me Keh Le, Aur Bagair Zaroorat Apni Sharmgah Na Dekhe Aur Na Us Gandagi Ko Dekhe Jo Badan Se Nikli Hai.

Der Tak Na Baithe Isse Bawaseer Ka Andesha Hai, Aur Peshab Me Na Thuke Na Nak Saf Kare Na Bila Zarurat Khinkhare Na Bekar Me Baar Baar Badan Ko Chuye Na Aasman Ki Taraf Nigah Kare Balki Sharm Se Sar Jhukaye Rahe.

Jab Farig Ho Jaye To Mard Apne Aale Ki Jad Se Sire Tak Ulte Hath Se Ruke Huye Qatre Nikale,

▫Post-- 1D | 🔖 Haq Ki Bandagi ✅

✒Chapter- 1 " ISTINJE KA BAYAN "
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Mas'ala:

Kuwen Ya Hauz Ya Chashma Ke Kinare Ya Behte Paani Me Ya Ghaat Pe Ya Phaldar Darakht Ke Niche Ya Us Khet Me Jisme Fasal Ho Ya Jahan Log Uthte Baithte Hon Ya Masjid Ya Eidgah Ke Bagal Me Qabrastan Ya Raste Me Ya Jis Jaga Maweshi (Paltu Janwar) Bandhe Hon Un Sab Jagho Par Pakhana Ya Peshab Karna Makrooh Hai, Isi Tarah Jahan Gusl Ya Wazu Hota Ho Wahan Peshab Karna Makrooh Hai.
📜{Fatawa Hindiyah, Jild-1, Page-50}

Mas'ala:

Aisi Sakht Zameen Pe Peshab Karna Jisse Cheeten Ud Kar Aayen Mana Hai, Aisi Jagah Ko Kured Kar Narm Kare Ya Zara Sa Garha Khod Le.
📜{Alamgiri, Jild-1, Page-50}

Mas'ala:

Khade Ho Kar Ya Pura Nanga Ho Kar Peshab Karna Makrooh Hai, Neez Nange Sar Peshab Pakhana