♥हदीस : अल्लाह के रसुल (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फरमाते हैं कि -
"कोइ ऐसा मुस्लमान नही जो कोई दुआ करे जिसमे गुनाह और कित्ता रहमी न हो,
मगर अल्लाह उस दुआ की वजह से उसको 3 चीजों से जरुर नवाजता है-"

•1)- या तो फिलहाल वही चीज दे देता है

•2)- और उसकी आखिरत के लिए जकीरा देता है (आखिरत के लिए उस दुआ को बाकी रखता है,)

•3)- या कोई ऐसी ही बुराई उससे हटा देता है (या उस दुआ के बदले कोई मुसीबत टाल देता है)

सहाबा (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने फरमाया -
"इस हलात मे तो हम फिर खुब कसरत (Continuously) फे दुआ किया करेंगे ।"

आप (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) ने फरमाया

"अल्लाह के यहां इससे भी ज्यादा अता की कसरत है"
(यानी तुम दुआ मांगने मे कसरत करोगे वह फिर अता करने मे तुमसे ज्यादा कसरत करेगा,)

📚 बुक : अहमद बिन हंबल

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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