♥नबी_ए_करिम (सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम) फरमाते हैं-
रश्क दो ही इंसानो पर होना चाहिये -
(1)- जिसे अल्लाह ने कुरआन का इल्म दिया और ओ इसके साथ रात की गहराईयों मे खड़ा होकर नमाज पढ़ता रहा,
(2)- जिसे अल्लाह ने माल दिया और ओ मोहताज पर दिन रात खैरात करता रहा ।"
📚 बुखारी, हदीस-5025, किताब-फजाइले कुरआन : बाब-कुरआन पढ़ने वाले पर रश्क करना जाएज है
💫 नोट : कोई नेअमत देखकर ये ख्याल पैदा हो के ये नेअमत उस के पास भी रहे मगर मुझे भी मिल जाए! इसे
रश्क कहते है, और ये जाएज है ।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
🔴और भी हिंदी हदीस-ए-पाक पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
http://www.MjrMsg.blogspot.com/p/hindi-hadees.html
रश्क दो ही इंसानो पर होना चाहिये -
(1)- जिसे अल्लाह ने कुरआन का इल्म दिया और ओ इसके साथ रात की गहराईयों मे खड़ा होकर नमाज पढ़ता रहा,
(2)- जिसे अल्लाह ने माल दिया और ओ मोहताज पर दिन रात खैरात करता रहा ।"
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💫 नोट : कोई नेअमत देखकर ये ख्याल पैदा हो के ये नेअमत उस के पास भी रहे मगर मुझे भी मिल जाए! इसे
रश्क कहते है, और ये जाएज है ।
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