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〽️ एक जंगल में एक हिरनी रहती थी उसके दो बच्चे थे एक बार वो बाहर निकली तो किसी शिकारी ने राह में जाल बिछा रखा था बेखबर हिरनी उस जाल में फंस गई जब उसने देखा की मैं तो फंस गई हूँ तो बड़ी परेशान हुई।
उसकी खुश किस्मती देखिए के उसी जंगल में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ लाते हुए उसे नजर आए। जब उसने हुज़ूर रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा तो पुकारी या रसुलल्लाहﷺ! मुझ पर रहम फ़रमाईए। हुज़ूर ﷺ ने उसकी पुकार सुनी और उसके पास तशरीफ़ लाकर फरमाया क्या हाजत है❓ वो बोली हुज़ूरﷺ! मैं उस आराबी के जाल में फंस गई हूँ मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं जो उस करीब के पहाड़ों में हैं थोड़ी देर के लिए आप मेरी ज़मानत देकर इस जाल से मुझे आज़ाद करा दीजिए ताकी मैं आखिरी बार एक मर्तबा बच्चों को दूध पिला आऊँ। हुज़ूर ﷺ मैं दूध पिलाकर फिर यहीं वापस आजाऊँगी।
हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया अच्छा जा मैं तुम्हारी ज़मानत देता हूँ और तुम्हारी जगह यहीं ठहरता हूँ, तो बच्चों को दूध पिलाकर जल्दी वापस आ जाओ।
चुनाँचे हिरनी को आपने रिहा कर दिया और वहाँ खुद क़याम फ़रमा हो गए आराबी जो मुसलमान ना था कहने
लगा, अगर मेरा शिकार वापस ना आया तो अच्छा ना होगा।
हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया तुम देखो तो सही के हिरनी वापस आती है या नहीं।
चुनाँचे हिरनी बच्चों के पास पहुँची और बच्चों को दूध पिला कर फौरन वापस लौटी और आते ही हुज़ूरﷺ के कदमों पर सर डाल दिया ये ऐजाज़ देखकर वो आराबी भी कदमों पर गिर गया।
झुक गए सर हिरनी व काफिर के दोनों साथ-साथ,
मुस्तफ़ा ने उनके सर पर रख दिया रहमत का हाथ।
फिर बशारत उसको और उसको मिली सरकार से,
जाल से आज़ाद तू, और तू अज़ाबे नार से!
#(शिफ़ा शरीफ, सफा- 76, जिल्द- 2)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जानवरों तक के लिए रहमत हैं और जानवर भी हुज़ूर ﷺ के हुक्म की तामील करते हैं, *फिर जो इंसान होकर हुज़ूरﷺ का हुक्म ना माने वो जानवरों से भी गया गुज़रा है या नहीं❓*
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 49-50, हिकायत नंबर- 29
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html
〽️ एक जंगल में एक हिरनी रहती थी उसके दो बच्चे थे एक बार वो बाहर निकली तो किसी शिकारी ने राह में जाल बिछा रखा था बेखबर हिरनी उस जाल में फंस गई जब उसने देखा की मैं तो फंस गई हूँ तो बड़ी परेशान हुई।
उसकी खुश किस्मती देखिए के उसी जंगल में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ लाते हुए उसे नजर आए। जब उसने हुज़ूर रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा तो पुकारी या रसुलल्लाहﷺ! मुझ पर रहम फ़रमाईए। हुज़ूर ﷺ ने उसकी पुकार सुनी और उसके पास तशरीफ़ लाकर फरमाया क्या हाजत है❓ वो बोली हुज़ूरﷺ! मैं उस आराबी के जाल में फंस गई हूँ मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं जो उस करीब के पहाड़ों में हैं थोड़ी देर के लिए आप मेरी ज़मानत देकर इस जाल से मुझे आज़ाद करा दीजिए ताकी मैं आखिरी बार एक मर्तबा बच्चों को दूध पिला आऊँ। हुज़ूर ﷺ मैं दूध पिलाकर फिर यहीं वापस आजाऊँगी।
हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया अच्छा जा मैं तुम्हारी ज़मानत देता हूँ और तुम्हारी जगह यहीं ठहरता हूँ, तो बच्चों को दूध पिलाकर जल्दी वापस आ जाओ।
चुनाँचे हिरनी को आपने रिहा कर दिया और वहाँ खुद क़याम फ़रमा हो गए आराबी जो मुसलमान ना था कहने
लगा, अगर मेरा शिकार वापस ना आया तो अच्छा ना होगा।
हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया तुम देखो तो सही के हिरनी वापस आती है या नहीं।
चुनाँचे हिरनी बच्चों के पास पहुँची और बच्चों को दूध पिला कर फौरन वापस लौटी और आते ही हुज़ूरﷺ के कदमों पर सर डाल दिया ये ऐजाज़ देखकर वो आराबी भी कदमों पर गिर गया।
झुक गए सर हिरनी व काफिर के दोनों साथ-साथ,
मुस्तफ़ा ने उनके सर पर रख दिया रहमत का हाथ।
फिर बशारत उसको और उसको मिली सरकार से,
जाल से आज़ाद तू, और तू अज़ाबे नार से!
#(शिफ़ा शरीफ, सफा- 76, जिल्द- 2)
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जानवरों तक के लिए रहमत हैं और जानवर भी हुज़ूर ﷺ के हुक्म की तामील करते हैं, *फिर जो इंसान होकर हुज़ूरﷺ का हुक्म ना माने वो जानवरों से भी गया गुज़रा है या नहीं❓*
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 49-50, हिकायत नंबर- 29
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