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〽️ मक्का मोअज्जमा में एक काफिर वलीद नामी रहता था, उसका एक सोने का बुत था जिसे वो पूजा करता था एक दिन उस बुत में हर्कत पैदा हुई और वो बोलने लगा, उस बुत ने कहा “लोगो! मोहम्मद अल्लाह का रसूल नहीं है, उसकी हर गिज़ तसदीक ना करना।” (मआज अल्लाह)

वलीद बड़ा खुश हुआ और बाहर निकल कर अपने दोस्तों से कहा, मुबारकबाद! आज मेरा मअबूद बोला है और साफ साफ उसने कहा है के मोहम्मद अल्लाह का रसूल नहीं है, ये सुनकर लोग उसके घर आए तो देखा के वाकई उसका बुत ये जुमले दोहरा रहा है, वो लोग भी बहुत खुश हुए और दूसरे दिन एक आम एलान के ज़रिये वलीद के घर में एक बहुत बड़ा इजतमअ हो गया ताकी उस दिन भी वो लोग बुत के मुंह से वही जुमला सुनें, जब बड़ा इजतमअ हो गया तो उन लोगों ने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को भी दअवत दी ताकी हुज़ूर खुद भी तशरीफ़ लाकर बुत के मुंह से वही बकवास सुन जाए चुनाँचे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी तशरीफ ले आए।

जब हुज़ूरﷺ तशरीफ़ लाए तो बुत बोल उठा ऐ मक्का वालो! खूब जान लो के मोहम्मद अल्लाह के सच्चे रसूल हैं।

उनका हर इर्शाद सच्चा है और उनका दीन बरहक है तुम और तुम्हारे बुत झूटे, गुमराह और गुमराह करने वाले हैं अगर तुम इस सच्चे रसूल पर ईमान ना लाओगे तो जहन्नम में जाओगे पस अक्लमंदी से काम लो और इस सच्चे
रसूल की गुलामी इख़्तियार कर लो।

बुत का ये वाज़ सुन कर वलीद बड़ा घबराया और अपने मअबूद को पकड़ कर ज़मीन पर दे मारा और उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए।

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फातेहाना तौर पर वापस हुए तो रास्ते में एक घोड़े का सवार जो सब्ज़ पोश था हुज़ूरﷺ से मिला उसके हाथ में तलवार थी जिससे खून बह रहा था, हुज़ूरﷺ ने फरमाया तुम कौन हो❓ वो बोला हुज़ूरﷺ! मैं जिन्न हूँ और आपका गुलाम और मुसलमान हूँ, जबले तूर पर रहता हूँ, मेरा नाम महीन बिन अलऐबर है, मैं कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर गया हुआ था आज घर वापस आया तो मेरे घर वाले रो रहे थे, मैंने वजह दरयाफ्त की तो मालूम हुआ के एक काफ़िर जिन्न जिसका नाम मुसफ्फर था वो मक्का में आकर वलीद के बुत में घुस कर हुज़ूर के खिलाफ बकवास कर गया है और आज फिर गया है ताकी फिर बुत में घुसकर आपके मुतअल्लिक बकवास करे या रसूल अल्लाह! मुझे सख्त गुस्सा आया, मैं तलवार लेकर उसके पीछे दौड़ा और उसे रास्ते ही में क़त्ल कर दिया और फिर मैं खुद वलीद के बुत के अन्दर घुस गया और आज जिस कद्र तकरीर की है मैंने ही की है या रसूल अल्लाह! हुज़ूरﷺ ने ये किस्सा सुना तो आपने बड़ी मुसर्रत का इजहार किया और उस अपने ग़ुलाम जिन्न के लिए दुआ फ़रमाई।
#(जामे-अलमौजजात, सफा- 7)


🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर जिन्नों के भी रसूल और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शाने पाक के ख़िलाफ़ सुनने सुनाने के लिए कोई जल्सा करना ये वलीद जैसे काफिर की सुन्नत है।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 32-33, हिकायात नंबर- 08

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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