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〽️ अरब के एक सहरा में एक बहुत बड़ा काफ़िला राह पैमा था के अचानक उस काफ़िले का पानी खत्म हो गया उस काफ़िले में छोटे, बड़े, बूढ़े, जवान और मर्द औरतें सभी थे प्यास के मारे सब का बुरा हाल था और दूर तक पानी का निशान तक ना था और पानी उनके पास एक क़तरा तक बाकी ना रहा था। ये आलम देखकर मौत उनके सामने रक़्स करने लगी मगर उन पर ये खास करम हुआ के
नागहानी औं मगीस हर दोकौन,
मुस्तफ़ा पैदा , शुदह् अज़ बहरे औन।
यानी अचानक दो जहाँ के फरयादरस मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उनकी मदद फरमाने वहाँ पहुँच गए। हुज़ूर ﷺ को देख कर सबकी जान में जान आ गई और सब हुज़ूर के गिर्द जमा हो गए।
हुज़ूर ﷺ ने उन्हें तसल्ली दी और फरमाया के वो सामने जो टीला है उसके पीछे एक सियाह रंग हबशी गुलाम ऊंटनी पर सवार हुए जा रहा है उसके पास पानी का एक मशकीज़ह है उसको ऊंटनी समेत मेरे पास ले आओ।
चुनाँचे कुछ आदमी टीले के उस पार गए तो देखा के वाक़ई एक ऊंटनी पर सवार हबशी जा रहा है वो उस हबशी को हुज़ूर के पास ले आए। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस हबशी से मशकीज़ह ले लिया और अपना दस्ते रहमत उस मशकीज़हे पर फैर कर उसका मुंह खोल दिया और फरमाया, आओ अब जिस कद्र भी
प्यासे हो आते जाओ और पानी पी-पी कर अपनी प्यास बुझाते जाओ।
चुनाँचे सारे काफ़िले ने उस एक मशकीज़हे से जारी चश्माऐ रहमत से पानी पीना शुरू किया और फिर सब ने अपने-अपने बर्तन भी भर लिए, सब के सब सैराब हो गए और सब बर्तन भी पुरआब हो गए।
हुज़ूर ﷺ का ये मौजज़ा देखकर वो हबशी बड़ा हैरान हुआ और हुज़ूरﷺ के दस्ते अनवर चूमने लगा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपना दस्ते अनवर उसके मुंह पर फैरा तो
शुद, सपैदाँ रंगी जादहऐ हबश।
हमचू बदरूरोजे रोशन शुद शबश।।
उस हबशी का सियाह रंग काफूर हो गया और वो सफेद पुरनूर हो गया फिर उस हबशी ने कलमा पढ़ कर अपना दिल भी मुनव्वर कर लिया और मुसलमान होकर जब वो अपने मालिक के पास पहुँचा तो मालिक ने पूछा तुम कौन हो❓
वो बोला तुम्हारा गुलाम हूँ, मालिक ने कहा तुम गलत कहते हो, वो तो बड़ा सियाह रंग का था वो बोला ये ठीक है मगर मैं उस मुनब्बअए नूर जाते बाबर्कात से मिल कर और उस पर ईमान लाकर आया हूँ जिसने सारी कायनात को मुनव्वर फ़रमा दिया है मालिक ने सारा किस्सा सुना तो वो भी ईमान ले आया।
#(मसनवी शरीफ)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर ﷺ बइज़्न अल्लाह दो जहान के फरयादरस हैं और मुसीबत के वक्त मदद फरमाने वाले हैं फिर अगर कोई शख्स यू कहे के हुज़ूरﷺ किसी की मदद नहीं फरमा सकते और किसी की फ़रियाद नहीं सुनते तो वो किस कद्र जाहिल व बेखबर है पस अपना अकीदह ये रखना चाहिए -
फ़रियाद उम्ती जो करे हाले ज़ार में।
मुमकिन नहीं के खैर बशर को ख़बर ना हो।।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 41-42, हिकायत नंबर- 17
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html
〽️ अरब के एक सहरा में एक बहुत बड़ा काफ़िला राह पैमा था के अचानक उस काफ़िले का पानी खत्म हो गया उस काफ़िले में छोटे, बड़े, बूढ़े, जवान और मर्द औरतें सभी थे प्यास के मारे सब का बुरा हाल था और दूर तक पानी का निशान तक ना था और पानी उनके पास एक क़तरा तक बाकी ना रहा था। ये आलम देखकर मौत उनके सामने रक़्स करने लगी मगर उन पर ये खास करम हुआ के
नागहानी औं मगीस हर दोकौन,
मुस्तफ़ा पैदा , शुदह् अज़ बहरे औन।
यानी अचानक दो जहाँ के फरयादरस मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उनकी मदद फरमाने वहाँ पहुँच गए। हुज़ूर ﷺ को देख कर सबकी जान में जान आ गई और सब हुज़ूर के गिर्द जमा हो गए।
हुज़ूर ﷺ ने उन्हें तसल्ली दी और फरमाया के वो सामने जो टीला है उसके पीछे एक सियाह रंग हबशी गुलाम ऊंटनी पर सवार हुए जा रहा है उसके पास पानी का एक मशकीज़ह है उसको ऊंटनी समेत मेरे पास ले आओ।
चुनाँचे कुछ आदमी टीले के उस पार गए तो देखा के वाक़ई एक ऊंटनी पर सवार हबशी जा रहा है वो उस हबशी को हुज़ूर के पास ले आए। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस हबशी से मशकीज़ह ले लिया और अपना दस्ते रहमत उस मशकीज़हे पर फैर कर उसका मुंह खोल दिया और फरमाया, आओ अब जिस कद्र भी
प्यासे हो आते जाओ और पानी पी-पी कर अपनी प्यास बुझाते जाओ।
चुनाँचे सारे काफ़िले ने उस एक मशकीज़हे से जारी चश्माऐ रहमत से पानी पीना शुरू किया और फिर सब ने अपने-अपने बर्तन भी भर लिए, सब के सब सैराब हो गए और सब बर्तन भी पुरआब हो गए।
हुज़ूर ﷺ का ये मौजज़ा देखकर वो हबशी बड़ा हैरान हुआ और हुज़ूरﷺ के दस्ते अनवर चूमने लगा हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपना दस्ते अनवर उसके मुंह पर फैरा तो
शुद, सपैदाँ रंगी जादहऐ हबश।
हमचू बदरूरोजे रोशन शुद शबश।।
उस हबशी का सियाह रंग काफूर हो गया और वो सफेद पुरनूर हो गया फिर उस हबशी ने कलमा पढ़ कर अपना दिल भी मुनव्वर कर लिया और मुसलमान होकर जब वो अपने मालिक के पास पहुँचा तो मालिक ने पूछा तुम कौन हो❓
वो बोला तुम्हारा गुलाम हूँ, मालिक ने कहा तुम गलत कहते हो, वो तो बड़ा सियाह रंग का था वो बोला ये ठीक है मगर मैं उस मुनब्बअए नूर जाते बाबर्कात से मिल कर और उस पर ईमान लाकर आया हूँ जिसने सारी कायनात को मुनव्वर फ़रमा दिया है मालिक ने सारा किस्सा सुना तो वो भी ईमान ले आया।
#(मसनवी शरीफ)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर ﷺ बइज़्न अल्लाह दो जहान के फरयादरस हैं और मुसीबत के वक्त मदद फरमाने वाले हैं फिर अगर कोई शख्स यू कहे के हुज़ूरﷺ किसी की मदद नहीं फरमा सकते और किसी की फ़रियाद नहीं सुनते तो वो किस कद्र जाहिल व बेखबर है पस अपना अकीदह ये रखना चाहिए -
फ़रियाद उम्ती जो करे हाले ज़ार में।
मुमकिन नहीं के खैर बशर को ख़बर ना हो।।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 41-42, हिकायत नंबर- 17
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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