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〽️ जंगे बद्र में जब अल्लाह ने मुसलमानों को फ़तह और क़ुफ्फार को शिकस्त दी तो मुसलमानों के हाथ जो कैदी आए उनमें हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चचा हज़रते अब्बास भी थे।

कैदियों से जब तावान तलब किया गया तो हज़रत अब्बास कहने लगे ऐ मोहम्मदﷺ! मैं तो एक गरीब आदमी हूँ मेरे पास क्या है मक्का में जब आपने मुझे छोड़ा था तो मैं तमाम कबीले के अफ्राद से गरीब था।

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया और अब जब के आपने अपने घर से फौज क़ुफ्फार के साथ जंगे बद्र में आना चाहा तो आप अपनी बीवी उम्मे फ़ज़्ल को पौशीदगी में चन्द सोने की ईंटें देकर आए थे, चचा जान! ये राज़ आप क्यों छुपा रहे हैं।

हज़रते अब्बास ये गैब की बात सुन कर हैरान रह गए और बकौले शायर -

जनाबे हज़रत अब्बास पह रऐशा हुआ तारी,
के पैगम्बर तो रखता है दिलों की भी खबरदारी।

ख़याल आया मुसलमाँ नेक व बद पहचान जाते हैं,

मोहम्मद ﷺ आदमी के दिल की बातें जाने जाते हैं।

हुज़ूरﷺ की ये इत्तिला अली अलगैब का मौजज़ा देखकर हज़रत अब्बास ईमान ले आए।

#(दलायल-उल-नबुव्वत, सफा-171, जिल्द- 2)


🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कोई बात मख़्फी नहीं अल्लाह ने हर चीज़ का हुज़ूर ﷺ को इल्म दे दिया है और ये इल्मे गैब भी हुज़ूर ﷺ का एक मौजज़ा है, जिस पर हर मुसलमान का ईमान है।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 47-48, हिकायत नंबर- 26

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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