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〽️ बनी हाशिम में एक मुश्रिक शख्स रकाना नामी बड़ा जबरदस्त और दिलैर पहलवान था उसका रिकार्ड था के उसे किसी ने ना गिराया था। वो एक जंगल में जिसे इज्म कहते थे रहा करता था बकरियाँ चराता था और बड़ा मालदार था।
एक दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अकेले उस तरफ जा निकले, रकाना ने आपको देखा तो आप के पास आकर कहने लगाः ऐ मोहम्मद! तु ही वो है जो हमारे लात व उज्जा की तोहीन व तहकीर करता है और अपने एक खुदा की बड़ाई बयान करता है? अगर मेरा तुझ से ताल्लुक रहमी ना होता तो आज मैं तुझे मार डालता, आ मेरे साथ कुश्ति कर, तू अपने खुदा को पुकार! मैं अपने लात व उज्जा को पुकारता हुँ, देखें तो तुम्हारे खुदा में कितनी ताकत है?
हुज़ूर ﷺ ने फरमाया रकाना! अगर कुश्ति ही करना है तो चल में तैयार हुँ, रकाना ये जवाब सुनकर अव्वल तो हैरान हुआ और फिर बड़े गुरूर के साथ मुकाबले में खड़ा हो गया।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पहली ही झपट में उसे गिरा लिया और उसके सीने पर बैठ गए, रकाना उम्र
में पहली मर्तबा गिर कर बड़ा शर्मिंदा भी हुआ और हैरान भी, और बोला ऐ मोहम्मद! मेरे सीने से उठ खड़ा हो मेरे लात व उज्जा ने मेरी तरफ ध्यान नहीं किया एक बार और मौका दो और दूसरी मर्तबा कुश्ति लड़ो, हुज़ूरﷺ सीने से उठ खड़े हुए और दोबारा कुश्ति के लिए रकाना भी उठा, हुज़ूरﷺ ने दूसरी मर्तबा भी रकाना को पल भर में गिरा लिया, रकाना ने कहा ऐ मोहम्मद! मालूम होता है आज मेरा लात व उज्ज़ा मुझ पर नाराज़ है और तुम्हारा खुदा तेरी मदद कर रहा है, खैर एक मर्तबा और आओ, अब की दफा लात व उज्जा जरूर मेरी मदद करेंगे, हुज़ूरﷺ ने तीसरी मर्तबा की कुश्ति भी मंज़र फरमाई और तीसरी मर्तबा भी हुज़ूर ने उसे पिछाड़ दिया।
अब तो रकाना बड़ा ही शर्मिंदा हुआ और बोला ऐ मोहम्मद! मेरी इन बकरियों में जितनी चाहो बकरियाँ ले लो। हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया रकाना मुझे तुम्हारे माल की जरूरत नहीं, हाँ मुसलमान हो जाओ ताकी जहन्नम से बच जाओ।
वो बोला या मोहम्मद! मुसलमान तो हो जाऊँ मगर नफ्स झिझकता है के मदीना और नवाह की औरतें और बच्चे क्या कहेंगे के इतने बड़े पहलवान ने शिकस्त खाई और मुसलमान हो गया।
हुज़ूर ﷺ ने फरमाया तो तेरा माल तुझी को मुबारक! ये कहकर आप वापस तशरीफ ले आए।
इधर हजरत अबु बक्र व उमर रदीअल्लाहु अन्हुमा आपकी तलाश में थे और ये मालूम करके के हुज़ूर ﷺ वादीऐ इज्म की तरफ तशरीफ ले गए हैं, मुताफक्किर थे के इस तरफ रकाना पहलवान रहता है, मुयादा हुज़ूर को ईजा दे। हुज़ूरﷺ को वापस तशरीफ लाते देखकर दोनों हुज़ूर की खिदमत में हाजिर हुए और अर्ज किया या रसूलल्लाह! आप इधर अकेले क्यों तशरीफ ले गए थे जब के उस तरफ रकाना पहलवान जो बड़ा जोरआवर और दुश्मने इस्लाम है, रहता है?
हुज़ूर ﷺ ये सुनकर मिस्क़ुराये और फरमाया जब मेरा अल्लाह हर वक्त मेरे साथ हैं फिर किसी रकाना वकानी की क्या परवाह, लो इस रकाना की पहलवानी का किस्सा सुनो।
चुनाँचे हुज़ूर ﷺ ने सारा किस्सा सुनाया, सिद्दीक व फारूक सुन सुन कर खुश होने लगे और अर्ज किया हुज़ूर ﷺ वो तो ऐसा पहलवान था के आज तक उसे किसी ने गिराया ही ना था, उसे गिराना अल्लाह के रसूल ही का काम है।
#( अबु दाऊद, सफा- 209, जिल्द- 2)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर फ़ज़्लों कमाल के मुनब्बऐ व मख्ज़न हैं और दुनिया की कोई ताकत हुज़ूरﷺ के मुकाबले में नहीं ठहर सकती और मुखालफीन के दिल भी हुज़ूर के फ़ज़्लों कमाल को जानते हैं लेकिन दुनिया की आर से उसका इक़रार नहीं करते।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 34-36, हिकायात नंबर- 10
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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〽️ बनी हाशिम में एक मुश्रिक शख्स रकाना नामी बड़ा जबरदस्त और दिलैर पहलवान था उसका रिकार्ड था के उसे किसी ने ना गिराया था। वो एक जंगल में जिसे इज्म कहते थे रहा करता था बकरियाँ चराता था और बड़ा मालदार था।
एक दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अकेले उस तरफ जा निकले, रकाना ने आपको देखा तो आप के पास आकर कहने लगाः ऐ मोहम्मद! तु ही वो है जो हमारे लात व उज्जा की तोहीन व तहकीर करता है और अपने एक खुदा की बड़ाई बयान करता है? अगर मेरा तुझ से ताल्लुक रहमी ना होता तो आज मैं तुझे मार डालता, आ मेरे साथ कुश्ति कर, तू अपने खुदा को पुकार! मैं अपने लात व उज्जा को पुकारता हुँ, देखें तो तुम्हारे खुदा में कितनी ताकत है?
हुज़ूर ﷺ ने फरमाया रकाना! अगर कुश्ति ही करना है तो चल में तैयार हुँ, रकाना ये जवाब सुनकर अव्वल तो हैरान हुआ और फिर बड़े गुरूर के साथ मुकाबले में खड़ा हो गया।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पहली ही झपट में उसे गिरा लिया और उसके सीने पर बैठ गए, रकाना उम्र
में पहली मर्तबा गिर कर बड़ा शर्मिंदा भी हुआ और हैरान भी, और बोला ऐ मोहम्मद! मेरे सीने से उठ खड़ा हो मेरे लात व उज्जा ने मेरी तरफ ध्यान नहीं किया एक बार और मौका दो और दूसरी मर्तबा कुश्ति लड़ो, हुज़ूरﷺ सीने से उठ खड़े हुए और दोबारा कुश्ति के लिए रकाना भी उठा, हुज़ूरﷺ ने दूसरी मर्तबा भी रकाना को पल भर में गिरा लिया, रकाना ने कहा ऐ मोहम्मद! मालूम होता है आज मेरा लात व उज्ज़ा मुझ पर नाराज़ है और तुम्हारा खुदा तेरी मदद कर रहा है, खैर एक मर्तबा और आओ, अब की दफा लात व उज्जा जरूर मेरी मदद करेंगे, हुज़ूरﷺ ने तीसरी मर्तबा की कुश्ति भी मंज़र फरमाई और तीसरी मर्तबा भी हुज़ूर ने उसे पिछाड़ दिया।
अब तो रकाना बड़ा ही शर्मिंदा हुआ और बोला ऐ मोहम्मद! मेरी इन बकरियों में जितनी चाहो बकरियाँ ले लो। हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया रकाना मुझे तुम्हारे माल की जरूरत नहीं, हाँ मुसलमान हो जाओ ताकी जहन्नम से बच जाओ।
वो बोला या मोहम्मद! मुसलमान तो हो जाऊँ मगर नफ्स झिझकता है के मदीना और नवाह की औरतें और बच्चे क्या कहेंगे के इतने बड़े पहलवान ने शिकस्त खाई और मुसलमान हो गया।
हुज़ूर ﷺ ने फरमाया तो तेरा माल तुझी को मुबारक! ये कहकर आप वापस तशरीफ ले आए।
इधर हजरत अबु बक्र व उमर रदीअल्लाहु अन्हुमा आपकी तलाश में थे और ये मालूम करके के हुज़ूर ﷺ वादीऐ इज्म की तरफ तशरीफ ले गए हैं, मुताफक्किर थे के इस तरफ रकाना पहलवान रहता है, मुयादा हुज़ूर को ईजा दे। हुज़ूरﷺ को वापस तशरीफ लाते देखकर दोनों हुज़ूर की खिदमत में हाजिर हुए और अर्ज किया या रसूलल्लाह! आप इधर अकेले क्यों तशरीफ ले गए थे जब के उस तरफ रकाना पहलवान जो बड़ा जोरआवर और दुश्मने इस्लाम है, रहता है?
हुज़ूर ﷺ ये सुनकर मिस्क़ुराये और फरमाया जब मेरा अल्लाह हर वक्त मेरे साथ हैं फिर किसी रकाना वकानी की क्या परवाह, लो इस रकाना की पहलवानी का किस्सा सुनो।
चुनाँचे हुज़ूर ﷺ ने सारा किस्सा सुनाया, सिद्दीक व फारूक सुन सुन कर खुश होने लगे और अर्ज किया हुज़ूर ﷺ वो तो ऐसा पहलवान था के आज तक उसे किसी ने गिराया ही ना था, उसे गिराना अल्लाह के रसूल ही का काम है।
#( अबु दाऊद, सफा- 209, जिल्द- 2)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हर फ़ज़्लों कमाल के मुनब्बऐ व मख्ज़न हैं और दुनिया की कोई ताकत हुज़ूरﷺ के मुकाबले में नहीं ठहर सकती और मुखालफीन के दिल भी हुज़ूर के फ़ज़्लों कमाल को जानते हैं लेकिन दुनिया की आर से उसका इक़रार नहीं करते।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 34-36, हिकायात नंबर- 10
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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