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〽️ हज़रत जाबिर रदीअल्लाहु अन्हु ने जंगे खन्दक के दिनों हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के शिकम अनवर पर पत्थर बंधा देखी तो घर आकर अपनी बीवी से कहा के क्या घर में कुछ है ताके हम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए कुछ पकाएँ और हुज़ूर को खिलाएँ❓
बीवी ने कहा, थोड़े से जौ हैं और ये एक बकरी का छोटा बच्चा है इसे ज़ब्ह कर लेते हैं आप हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बुला लाईये मगर चूंकी वहाँ लश्कर बहुत ज्यादा है इसलिए हुज़ूरﷺ से पौशीदगी में कहियेगा के वो अपने हमराह दस आदमियों से कुछ कम ही लाएँ।
जाबिर ने कहा, अच्छा तो लो मैं इस बकरी के बच्चे को ज़ब्ह करता हूँ तुम इसे पकाओ और मैं हुज़ूर को बुला लाता हूँ।
चुनाँचे जाबिर हुज़ूरﷺ की खिदमत में पहुँचे और कान में अर्ज किया हुज़ूर मेरे हाँ तशरीफ़ ले चलिये और अपने साथ दस आदमियों से कुछ कम आदमी ले चलिये।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सारे लश्कर को मुखातिब फरमा कर फरमाया चलो मेरे साथ चलो जाबिर ने खाना पकाया है और फिर जाबिर के घर आकर हुज़ूरﷺ ने उस थोड़े से आटे में अपना लुआब (थूक) मुबारक
डाल दिया और इसी तरह हंडिया में भी अपना लुआब (थूक) मुबारक डाल दिया और फिर हुक्म दिया के अब रोटियाँ और हंडिया पकाओ।
चुनाँचे उस थोड़े से आटे और गोश्त में लुआब (थूक) मुबारक की बर्कत से इतनी बर्कत पैदा हुई के एक हजार आदमी खाना खा गया मगर ना कोई रोटी कम हुई और ना कोई बोटी।
#(मिश्कात शरीफ, सफा- 524)
🌹सबक ~
=========
ये हुज़ूरﷺ के लुआब (थूक) मुबारक की बर्कत थी के थोड़े से खाने में इतनी बर्कत पैदा हो गई के हजार आदमी सेर शिकम होकर खा गया लेकिन खाना बदस्तूर वैसे का वैसा ही रहा और कम ना हुआ और ये हुज़ूर ﷺ की लुआब (थूक) मुबारक है और जो उनकी मिस्ल बशर बनने वाले हैं वो अगर कभी अपने घर की हंडिया में भी थूकें तो उनकी बीवी ही वो हंडिया बाहर फेंक देगी और कोई खाने को तैयार ना होगा, गोया उनके थूकने से थोड़े बहुत खाने से भी जवाब।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 39-40, हिकायात नंबर- 15
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html
〽️ हज़रत जाबिर रदीअल्लाहु अन्हु ने जंगे खन्दक के दिनों हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के शिकम अनवर पर पत्थर बंधा देखी तो घर आकर अपनी बीवी से कहा के क्या घर में कुछ है ताके हम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए कुछ पकाएँ और हुज़ूर को खिलाएँ❓
बीवी ने कहा, थोड़े से जौ हैं और ये एक बकरी का छोटा बच्चा है इसे ज़ब्ह कर लेते हैं आप हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बुला लाईये मगर चूंकी वहाँ लश्कर बहुत ज्यादा है इसलिए हुज़ूरﷺ से पौशीदगी में कहियेगा के वो अपने हमराह दस आदमियों से कुछ कम ही लाएँ।
जाबिर ने कहा, अच्छा तो लो मैं इस बकरी के बच्चे को ज़ब्ह करता हूँ तुम इसे पकाओ और मैं हुज़ूर को बुला लाता हूँ।
चुनाँचे जाबिर हुज़ूरﷺ की खिदमत में पहुँचे और कान में अर्ज किया हुज़ूर मेरे हाँ तशरीफ़ ले चलिये और अपने साथ दस आदमियों से कुछ कम आदमी ले चलिये।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सारे लश्कर को मुखातिब फरमा कर फरमाया चलो मेरे साथ चलो जाबिर ने खाना पकाया है और फिर जाबिर के घर आकर हुज़ूरﷺ ने उस थोड़े से आटे में अपना लुआब (थूक) मुबारक
डाल दिया और इसी तरह हंडिया में भी अपना लुआब (थूक) मुबारक डाल दिया और फिर हुक्म दिया के अब रोटियाँ और हंडिया पकाओ।
चुनाँचे उस थोड़े से आटे और गोश्त में लुआब (थूक) मुबारक की बर्कत से इतनी बर्कत पैदा हुई के एक हजार आदमी खाना खा गया मगर ना कोई रोटी कम हुई और ना कोई बोटी।
#(मिश्कात शरीफ, सफा- 524)
🌹सबक ~
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ये हुज़ूरﷺ के लुआब (थूक) मुबारक की बर्कत थी के थोड़े से खाने में इतनी बर्कत पैदा हो गई के हजार आदमी सेर शिकम होकर खा गया लेकिन खाना बदस्तूर वैसे का वैसा ही रहा और कम ना हुआ और ये हुज़ूर ﷺ की लुआब (थूक) मुबारक है और जो उनकी मिस्ल बशर बनने वाले हैं वो अगर कभी अपने घर की हंडिया में भी थूकें तो उनकी बीवी ही वो हंडिया बाहर फेंक देगी और कोई खाने को तैयार ना होगा, गोया उनके थूकने से थोड़े बहुत खाने से भी जवाब।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 39-40, हिकायात नंबर- 15
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