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〽️ हुदैबिया के रोज़ सारे लश्कर-ए-सहाबा में पानी खत्म हो गया हत्ता के वज़ू और पीने के लिए भी पानी का क़तरा तक बाकी ना रहा।

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास एक कोज़ह पानी का था हुज़ूर ﷺ जब उस कोज़ेह से वज़ू फ़रमाने लगे तो सब लोग हुज़ूर ﷺ की तरफ लपके और फ़रियाद की के या रसूलल्लाह! हमारे पास तो एक क़तरा भी पानी का बाकी नहीं रहा हम ना तो वज़ू कर सकते हैं और ना ही अपनी प्यास बुझा सकते हैं हुज़ूर! ये आप ही के कोंजे में पानी बाकी है हम सब के पास पानी खत्म हो गया और हम प्यास की शिद्दत से बेचैन हैं।

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये बात सुनकर अपना हाथ मुबारक उस कोज़े में डाल दिया लोगों ने देखा के हुज़ूर के हाथ मुबारक की पाँचों उंगलियों से पानी के पाँच चश्मे जारी हो गए और सब लोग उन चश्मों से सैराब
होने लगे और हर शख्स ने जी भर के पानी पिया और प्यास बुझाई सब ने वज़ू भी कर लिया।

हज़रत जाबिर से पूछा गया के लश्कर की तअदाद कितनी थी❓ तो फरमाया उस वक्त अगर एक लाख आदमी भी होते तो वो पानी सब के लिए काफी था मगर हम उस वक्त पन्द्रह सौ की तअदाद में थे।
#( मिश्कात शरीफ, सफा- 524)


🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूरﷺ को अल्लाह ने ये इख़्तियार व तसर्रुफ़ फरमाया है के आप थोड़ीं चीज़ को ज्यादा कर देते हैं “ना" से हाँ और मअदूम से मौजूद करना अल्लाह का काम है और थोड़े से ज्यादा कर देना मुस्तफ़ा का काम है और ये अल्लाह ही की अता है।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 40, हिकायात नंबर- 16

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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