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〽️ एक आराबी अपनी आसतीन में कुछ छुपाए हुए हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हुआ और कहने लगा मोहम्मद! (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) अगर तू बता दे के मेरी आसतीन के अन्दर क्या है तो मान लूंगा के वाकई तू सच्चा नबी है।
हुज़ूर ﷺ ने फरमाया वाकई ईमान ले आओगे❓
उसने कहा हाँ वाकई ईमान ले आऊँगा, फरमाया तो सुनो! तुम एक जंगल से गुजर रहे थे तो तुमने एक दरख़्त देखा जिस पर कबूतर का एक घोंसला था, उस घोंसले में कबूतर के दो बच्चे थे तुम ने उन दोनों बच्चों को पकड़ लिया। उन बच्चों की माँ ने जब देखा तो वो माँ अपने बच्चों पर गिरी तो तुम ने उसे भी पकड़ लिया और वो दोनों बच्चे और उनकी माँ इस वक्त भी तुम्हारे पास हैं और इस आसतीन के अन्दर हैं।
आराबी ये सुनकर हैरान रह गया और झट पुकार
उठाः अशहद-अन-ला इलाहा इल-लल्लाह व अशहद अन्नका रसूल अल्लाह।
#(जामे-अलमौजज़ात, सफा- 21)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कोई चीज़ पनेहाँ ना थी और एक आराबी भी उस हकीकक़त जानता था के जो नबी हो वो गैब जान लेता है फिर बराए नाम पढ़ा लिखा होकर हुज़ूरﷺ के इल्म को तसलीम ना करे वो उजड और गंवार से भी ज्यादा उजड और गंवार हुआ या नहीं❓
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 48, हिकायत नंबर- 27
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html
〽️ एक आराबी अपनी आसतीन में कुछ छुपाए हुए हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हुआ और कहने लगा मोहम्मद! (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) अगर तू बता दे के मेरी आसतीन के अन्दर क्या है तो मान लूंगा के वाकई तू सच्चा नबी है।
हुज़ूर ﷺ ने फरमाया वाकई ईमान ले आओगे❓
उसने कहा हाँ वाकई ईमान ले आऊँगा, फरमाया तो सुनो! तुम एक जंगल से गुजर रहे थे तो तुमने एक दरख़्त देखा जिस पर कबूतर का एक घोंसला था, उस घोंसले में कबूतर के दो बच्चे थे तुम ने उन दोनों बच्चों को पकड़ लिया। उन बच्चों की माँ ने जब देखा तो वो माँ अपने बच्चों पर गिरी तो तुम ने उसे भी पकड़ लिया और वो दोनों बच्चे और उनकी माँ इस वक्त भी तुम्हारे पास हैं और इस आसतीन के अन्दर हैं।
आराबी ये सुनकर हैरान रह गया और झट पुकार
उठाः अशहद-अन-ला इलाहा इल-लल्लाह व अशहद अन्नका रसूल अल्लाह।
#(जामे-अलमौजज़ात, सफा- 21)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कोई चीज़ पनेहाँ ना थी और एक आराबी भी उस हकीकक़त जानता था के जो नबी हो वो गैब जान लेता है फिर बराए नाम पढ़ा लिखा होकर हुज़ूरﷺ के इल्म को तसलीम ना करे वो उजड और गंवार से भी ज्यादा उजड और गंवार हुआ या नहीं❓
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 48, हिकायत नंबर- 27
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