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〽️एक मर्तबा हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने हज़रत जिब्रईले अमीन अलैहिस्सलाम से दरयाफ्त फ़रमाया के ऐ जिब्रईल! तुम्हारी उम्र कितनी है❓

तो जिब्रईल ने अर्ज किया हुज़ूर ﷺ मुझे कुछ खबर नहीं हाँ इतना जानता हुँ के चौथे हिजाब में एक नूरानी तारा सत्तर हजार बरस के बाद चमकता था, मैंने उसे बहत्तर हज़ार मर्तबा चमकते देखा है।

हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने ये सुनकर फ़रमाया व इज्ज़ती रब्बी अना ज़ालिकल कोकब मेरे रब की इज्ज़त की कसम! मैं ही वो नूरानी तारा हुँ।
#( रूह-उल-बयान, सफा- 974, जिल्द- 1)


🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) कायनात की हर चीज़ से पहले पैदा
फरमाए गए हैं और आपका नूरे पाक उस वक्त भी था जब के ना कोई फ़रिश्ता था ना कोई बशर ना जमीन थी ना आसमान और ना कोई और शै। फ़सल-लल्लाहु अलैहि वसल्लम।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 26, हिकायात नंबर- 04

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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