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〽️ हमारे इमाम हज़रत इमामे आज़म रदीअल्लाहु अन्हु का एक दहरिया, खुदा की हस्ती के मुनकिर से मुनाज़रा मुकर्रर हुआ और मोजुए मुनाजुरा यही मसला था के आलम का कोई खालिक है या नहीं❓

इस अहम मसले पर मुनाज़रा और फिर इतने बड़े इमाम से चुनाँचे मैदाने मुनाज़रा में दोस्त दुश्मन सभी जमा हो गए मगर हज़रते इमाम आज़म वक्ते मुकर्ररह से बहुत देर के बाद मजलिस में तशरीफ लाए।

दहरिया ने पूछा के आपने इतनी देर क्यों लगाई❓

आपने फ़रमाया के अगर मैं इसका जवाब ये दुँ के मैं एक जंगल की तरफ निकल गया था वहाँ एक अजीब वाकेया नजरा आया जिसको देखकर मैं हैरत में आकर वहीं खड़ा हो गया और वो वाकेया ये था के दरया के किनारे एक दरख़्त था, देखते ही देखते वो दरख़्त खुद ब खुद कट कर ज़मीन पर गिर पड़ा फिर खुद उसके तख्ते तैयार हुए फिर उन तख़्तों की खुद ब खुद एक कश्ती तैयार हुई और खुद ब खुद ही दरया में चली गई और फिर खुद ब खुद ही वो दरया के इस तरफ के मुसाफिरों को उस तरफ और उस तरफ के मुसाफिरों को इस तरफ लाने और ले जाने लगी, फिर हर एक सवारी से खुद ही किराया भी वसूल करती थी, तो बताओ तुम मेरी इस बात पर यकीन कर लोगे

दहरिया ने ये सुन कर एक क़हेक़हा लगाया और कहा- आप जैसा बुजुर्ग और इमाम ऐसा झूट बोले तो तआज्जुब है, भला ये काम कहीं खुद ब खुद हो सकते हैं❓ जब तक कोई करने वाला ना हो किसी
तरह नहीं हो सकते।

हज़रते इमाम आज़म ने फरमाया के ये तो कुछ भी काम नहीं हैं तुम्हारे नजदीक तो उससे भी ज्यादा बड़े-बड़े आलीशान काम खुद ब खुद बगैर किसी करने वाले के तैयार होते हैं, ये ज़मीन, ये आसमान, ये चाँद, ये सुरज,
ये सितारे, ये बागात, ये सदहा किस्म के रंगीन फूल और शीरीं फल, ये पहाड़, ये चौपाए, ये इंसान, और ये सारी खुदाई बगैर बनाने वाले के तैयार हो गई।

अगर एक कश्ती का बगैर किसी बनाने वाले के खुद ब खुद बन जाना झूठ है तो सारे जहान को बगैर बनाने वाले के बन जाना इससे भी ज्यादा झुट है।

दहरिया आपकी तकरीर सुन कर दम ब खुद हैरत में आ गया और फौरन अपने अक़ीदे से तायब होकर मुसलमान हो गया।
#( तफ्सीर कबीर, सफा- 221, जिल्द-1)


🌹सबक ~
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इस कायनात का यक़ीनन एक ख़ालिक है जिसका नाम
अल्लाह है और वजूदे बारी का इंकार अक्ल के भी खिलाफ है।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 23-24, हिकायात नंबर- 01

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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