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〽️ एक सहाबी हज़रत हबीब अल्लाह बिन फिदयक रदीअल्लाहु अन्हु कहीं जा रहे थे के उनका पाँऊ इत्तेफाकन एक जहरीले साँप के अण्डे पर पड़ गया और वो पिस गिया और उसके जहर के असर से हज़रत हबीब बिन फिदयक रदीअल्लाहु अन्हु की आँखें बिलकुल सफेद हो गईं और नज़र जाती रही।

ये हाल देखकर उनके वालिद बहुत परेशान हुए और उन्हें लेकर हुज़ूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में पहुँचे, हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सारा किस्सा सुनकर अपना लुआब(थूक) मुबारक उनकी आँखों में डाला तो हज़रत हबीब बिन फिदयक की अंधी आँखें फौरन रोशन हो गईं और उन्हें नज़र आने लगा।

रावी का बयान है के मैंने खुद हजरत फ़िदयक को देखा उस वक्त उनकी उम्र अस्सी(80) साल की थी और आँखें
तो उनकी बिलकुल सफेद थीं मगर हुज़ूर ﷺ की लुआब (थूक) मुबारक के असर से नजर इतनी तेज़ थी के सूई में धागा डाल लेते थे।
#(दलायल-उल-नबव्वत, सफा- 167)


🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मिस्ल बनने वालों के लिए मुकाम गौर है के हुज़ूरﷺ वो हैं जिनकी लुआब (थूक) मुबारक से अंधी आँखों में बीनाई और नूर पैदा हो जाए और वो वो हैं के उनकी थूक के मुतअल्लिक रेल गाड़ियों में ये लिखा होता है के “थूको मत! इससे बीमारी फैलती है।” फिर मर्ज व शिफा दोनों बराबर कैसे हो सकती हैं❓

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 38-39, हिकायात नंबर- 14

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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