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〽️ बनी निजार के एक बाग में एक दीवाना ऊँट घुस आया जो शख्स भी उस बाग में जाता वो ऊँट उसे काटने दौड़ता था। लोग बड़े परेशान थे और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाजिर हुए और सारा किस्सा अर्ज़ किया।

हुज़ूर ﷺ ने फरमाया- चलो मैं चलता हुँ।

चुनाँचे हुज़ूर ﷺ उस बाग में तशरीफ ले गए और उस ऊँट से फ़रमाया- इधर आओ उस ऊंट ने जब रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हुक्म सुना तो दौड़ता हुआ हाजिर हुआ और अपना सर हुज़ूरﷺ के कदमों में डाल दिया।

हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया इसकी नकेल लाओ, नकेल लाई गई और हुज़ूरﷺ ने उसे नकेल डाल कर उसके मालिक के हवाले कर दिया और वो आराम से चला गया।

हुज़ूरﷺ ने फिर सहाबा से फ़रमाया- काफिरों के सिवा मुझे जमी व आसमान
वाले सब जानते हैं मैं अल्लाह का रसूल हूँ।

#(हुज्जत-उल्लाअली अलआलमीन, सफा 458)


🌹सबक
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हमारे हुज़ूर ﷺ का हुक्म जानवरों पर भी जारी है और क़ायनात की हर शै बजुज़ काफिरों के हमारे हुज़ूर ﷺ की रिसालत व सदाक़त को जानती है।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 45-46, हिकायत नंबर- 23

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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