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〽️ हिज्रत से पहले बैत-उल्लाह की कुंजी क़ुरैशे मक्का के कब्ज़े में थी और ये कुंजी उस्मान बिन तलहा के पास रहा करती थी, ये लोग बैत-उल्लाह को पीर और जुमेरात के रोज़ खोला करते थे।
एक दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ लाए और उस्मान बिन तलहा से दरवाजा खोलने को फरमाया तो उस्मान ने दरवाजा खोलने से इंकार कर दिया, हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया ऐ उस्मान! आज तो तू ये दरवाजा खोलने से इंकार कर रहा है और एक दिन ऐसा भी आएगा के बैत-उल्लाह की ये कुंजी मेरे कब्ज़े में होगी और मैं जिसे चाहूंगा ये कुंजी दूंगा।
उस्मान ने कहा तो क्या उस दिन कौमे कुरैश हलाक हो चुकी होगी❓ देखा जाएगा, फिर हिज्रत के बाद जब मक्का फतह हुआ और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सहाबा के कुद्दुसी लश्कर समेत मक्का में फातेहाना दाखिल हुए तो सबसे पहले कअबा शरीफ में तशरीफ लाए और उसी कलीद बरदार उस्मान से कहा, लाओ वो कुंजी मेरे हवाले कर दो, नाचार उस्मान को वो कुंजी देनी पड़ी।
हुज़ूरﷺ ने वो कुंजी लेकर उस्मान को मुखातिब फरमा कर फ़रमाया, उस्मान! लो, कलीद बरदार मैं भी तुझी
को मुकर्रर करता हूँ। तुम से कोई जालिम ही ये कुंजी लेगा |
उस्मान ने दोबारा कुंजी ली तो हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया उस्मान! वो दिन याद है जब मैंने तुम से कुंजी तलब की थी और तुम ने दरवाजा खोलने से इंकार कर दिया था और मैं ने कहा था के एक दिन ऐसा भी आएगा के ये कुंजी मेरे कब्ज़े में होगी और मैं जिसे चाहूंगा दूंगा, उस्मान ने कहा हाँ हुज़ूरﷺ! मुझे याद है और मैं गवाही देता हूँ के आप अल्लाह के सच्चे रसूल हैं।
#(हुज्जत-उल्लाह-अलआलमीन, 499)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर ﷺ अगली पिछली सब बातों के आलिम हैं और क़यामत तक जो कुछ भी होने वाला है सब आपे पर रोशन है खुदा ने आपको इल्मे गैब अता फरमाया है और आप दानाऐ गयूब व आलमे माकान व मा-यकून हैं फिर अगर कोई शख्स यूं कहे के हुज़ूर ﷺ को कल की बात का इल्म ना था तो वो किस कद्र जाहिल है।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 46-47, हिकायत नंबर- 24
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 हिंदी हिकायात पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/hikaayaat.html
〽️ हिज्रत से पहले बैत-उल्लाह की कुंजी क़ुरैशे मक्का के कब्ज़े में थी और ये कुंजी उस्मान बिन तलहा के पास रहा करती थी, ये लोग बैत-उल्लाह को पीर और जुमेरात के रोज़ खोला करते थे।
एक दिन हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ लाए और उस्मान बिन तलहा से दरवाजा खोलने को फरमाया तो उस्मान ने दरवाजा खोलने से इंकार कर दिया, हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया ऐ उस्मान! आज तो तू ये दरवाजा खोलने से इंकार कर रहा है और एक दिन ऐसा भी आएगा के बैत-उल्लाह की ये कुंजी मेरे कब्ज़े में होगी और मैं जिसे चाहूंगा ये कुंजी दूंगा।
उस्मान ने कहा तो क्या उस दिन कौमे कुरैश हलाक हो चुकी होगी❓ देखा जाएगा, फिर हिज्रत के बाद जब मक्का फतह हुआ और हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सहाबा के कुद्दुसी लश्कर समेत मक्का में फातेहाना दाखिल हुए तो सबसे पहले कअबा शरीफ में तशरीफ लाए और उसी कलीद बरदार उस्मान से कहा, लाओ वो कुंजी मेरे हवाले कर दो, नाचार उस्मान को वो कुंजी देनी पड़ी।
हुज़ूरﷺ ने वो कुंजी लेकर उस्मान को मुखातिब फरमा कर फ़रमाया, उस्मान! लो, कलीद बरदार मैं भी तुझी
को मुकर्रर करता हूँ। तुम से कोई जालिम ही ये कुंजी लेगा |
उस्मान ने दोबारा कुंजी ली तो हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया उस्मान! वो दिन याद है जब मैंने तुम से कुंजी तलब की थी और तुम ने दरवाजा खोलने से इंकार कर दिया था और मैं ने कहा था के एक दिन ऐसा भी आएगा के ये कुंजी मेरे कब्ज़े में होगी और मैं जिसे चाहूंगा दूंगा, उस्मान ने कहा हाँ हुज़ूरﷺ! मुझे याद है और मैं गवाही देता हूँ के आप अल्लाह के सच्चे रसूल हैं।
#(हुज्जत-उल्लाह-अलआलमीन, 499)
🌹सबक ~
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हमारे हुज़ूर ﷺ अगली पिछली सब बातों के आलिम हैं और क़यामत तक जो कुछ भी होने वाला है सब आपे पर रोशन है खुदा ने आपको इल्मे गैब अता फरमाया है और आप दानाऐ गयूब व आलमे माकान व मा-यकून हैं फिर अगर कोई शख्स यूं कहे के हुज़ूर ﷺ को कल की बात का इल्म ना था तो वो किस कद्र जाहिल है।
📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 46-47, हिकायत नंबर- 24
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