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〽️ हुज़ूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की रेश मुबारक के दो बाल मुबारक हज़रत सिद्दीके अक्बर रदीअल्लाहु अन्हु को मिल गए, आप उन दो बालों को बतौर तबर्रुक घर ले आए और बड़ी तअज़ीम के साथ अन्दर एक जगह रख दिए, थोड़ी देर के बाद अन्दर से कुरआन पढ़ने की आवाजें आने लगीं, सिद्दीके अक्बर रदीअल्लाहु अन्हु अन्दर गए तो मुलाक़ात की आवाजें तो आ रही थीं मगर पढ़ने वाले नज़र ना आते थे।

हज़रत सिद्दीके अक्बर रदीअल्लाहु अन्हु ने हुज़ूर की खिदमत में हाज़िर होकर सारा किस्सा अर्ज किया तो हुज़ूर ने मुस्कुरा कर फ़रमायाः

इन्नल मलाएकता यजतमीऊना अला शऐरी यक्-राऊनल क़ुरआन
“ये फ़रिश्ते हैं जो मेरे बाल के पास जमा होकर कुरआन पढ़ते हैं।"
#( जामओ-अल-मौजजात सफा 62)


🌹सबक ~
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हुज़ूर सरवरे आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हर बाल मुनब्बऐ अलकमाल है और आपका बाल बाल
शरीफ जियारतगाहे ख़लायक है, फिर जिन लोगों के बाल मुंड कर नाई नालियों में फैंक देता है वो अगर हुज़ूरﷺ की मिस्ल होने का दावा करने लगे तो किस कद्र जुल्म है।

📕»» सच्ची हिकायात ⟨हिस्सा अव्वल⟩, पेज: 37, हिकायात नंबर- 12

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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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