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हजरते अब्दुर्रहमान बिन औफ रज़ि अल्लाहु अन्हु का बयान है कि गजव_ए_बद्र के दिन मैं मुजाहेदीन की सफ में खड़ा था और मेरे दोनों जानिब दो नौ उम्र लड़के खड़े थे।

उनमें से एक ने राज़दारी से पूछा या अम्मे अरिनी अबी जहलिन  (बुखारी शरीफ जिल्द दोम स. 568)

ऐ चचा जान क्या आप अबू जहल का पता बता सकते हैं?

दूसरे नौ जवान ने भी यही पूछा ।

मैं ने उस से कहा कि क्यों? भतीजे तुम को अबू जहल से क्या काम है उस पर उन्होंने बड़ी बेबाकी और वेखौफी से कहा चचा जान यही तो वह खूंख्वार बद बख्त जालिम है जिस की शर अंगेजी इस दरजह को पहुंच चुकी है कि सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को गालियाँ तक देता है वह अल्लाह के रसूल का बहुत बड़ा दुश्मन है हम जरूर उस पर हमला आवर होंगे।

हजरत अब्दुर्रहमान बिन औफ रजि अल्लाहु अन्हु ने अबू जहल की निशानदेही कर दी फिर क्या था दोनों बच्चे शहबाजों की तरह अबू जहल पर झपट पड़ते हैं यहाँ तक कि अपनी तलवारों से मार मार कर अबू जहल को शदीद जख्मी कर देते हैं यह दोनों  हज़रते मऊज़ और मआज रजि अल्लाहु अन्हुमा थे जो इफरा के बेटे थे ।

अबू जहल के बेटे अकरमह ने अपने बाप के इन्तिकाम में हजरते मआज पर हमला कर दिया  (अकरमह उस वक्त हालते कुफ्र में थे)  सामने मुकाबला करने की हिम्मत न हुई तो पीछे से हज़रते मआज के बायें शाना पर तलवार पूरी ताकत से मारी जिस से उन का बाजू कट कर लटक गया ।

हज़रते मआज अकरमह का पीछा करके दूर तक दौड़ाते रहे मगर वह बच निकला हजरते मआज इस हालत में
भी दुश्मनाने दीनो इस्लाम से लड़ते रहे बढ़-बढ़ कर हमला करते रहे लेकिन कटे हुए बाजू के लटकने से जैहमत हो रही थी उन्हों ने अपने कटे हुए हाथ को पाओं के नीचे दबा कर उसे जोर से खींचा कि तसमह अलग हो गया फिर वह आजादी से लड़ते रहे और आखिर में कटे हुए बाजू को हाथ में उठाये हुए बारगाहे रिसालत सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम में हाजिर हुए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपना लुआबे दहन लगाकर बाजू को उसी जगह जोड़ दिया और पहले ही की तरह बिल्कुल दुरूस्त हो गया।

📕 लुआबे दहने मुस्तफ़ा ﷺ, पेज: 24-25

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🖌पोस्ट क्रेडिट -   शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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