🌀 पोस्ट- 63  |  ✅ सच्ची हिकायत
_____________________________________


〽️ जंगे बदर में  जब अल्लाह ने मुस्लमानो को फतह और कुफ्फार को शिकस्त दि तो मुस्लमानो के हाथ जो कैदी आये उनमे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के चचा हजरत अब्बास भी थे।

कैदीयो से जब तावान तलब किया गया तो हजरत अब्बास कहने लगे की ऐ मुहम्मद! मै तो एक गरीब आदमी हुँ। मेरे पास क्या है??
मक्का में जब आपने मुझे छोड़ा था तो मैं तमाम कबीला के अफराद से गरीब था।

हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया-
"अब जबकी आपने अपने घर से फौजे कुफ्फार के साथ जंगे बदर मे आना चाहा तो आपने अपनी बिवी उम्मे फजल को पोशीदगी में चंद सोने की ईंटे देकर आयें थे, चचा जान! यह राज आप क्युं छिपा रहे है ??"

हजरत अब्बास यह गैब की बात सुनकर हैरान रह गये, और बकौले शायर :-

जनाबे हजरत अब्बास पे राशा हुआ तारी,

कि पैगम्बर तो रखता है दिलो की भी खबरदारी।।

ख्याल आया मुस्लमां नेक व बद पहचान जाते हैं,

मुहम्मद ﷺ आदमी के दिल की बातें जान जाते हैं।।

हुजुर की यह इत्तेला अलल-गैब का मोजीजा देखकर हजरत अब्बास ईमान ले
आये।

📕 दलाइलुल-नब्वी जिल्द-2, सफा-171


🌹सबक ~
=========

हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) से कोई बात मख्फी नही। अल्लाह ने हर चीज का हुजुर को इल्म दे दिया है। यह इल्म गैब भी हुजुर का एक मोजीजा है जिस पर हर मुस्लमान का ईमान है।

--------------------------------------------------------
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

🔴और भी हिंदी हिक़ायत पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/sacchi-hikaayat.html