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हज़रते सय्यदुना अबू कतादह रजि अल्लाहु अन्हु जिन का अस्ल नाम हारिस बिन रुबइल अंसारी अस्लमी है, एक जंग के मौका पर उन्हें तीर लगा और ज़ख़्म काफी गहरा और खतरनाक था, रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाहे नाज़ में हाज़िर हुए और अर्ज करते हैं -
या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुझे दुश्मन के तीर ने जख्मी कर दिया है।
हुजूर अपना लुआबे दहन शरीफ उन के ज़ख़्मों पर लगा देते हैं जिस की बरकत से न दर्द रहा न ज़ख़्म में खून या
पीप, जख्म बिलकुल दुरूस्त हो गया।
📕 लुआबे दहने मुस्तफ़ा ﷺ, पेज: 28
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🖌पोस्ट क्रेडिट - शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 इस उन्वान के दिगर पोस्ट के लिए क्लिक करिये -
https://MjrMsg.blogspot.com/p/luaabe-dahan.html
हज़रते सय्यदुना अबू कतादह रजि अल्लाहु अन्हु जिन का अस्ल नाम हारिस बिन रुबइल अंसारी अस्लमी है, एक जंग के मौका पर उन्हें तीर लगा और ज़ख़्म काफी गहरा और खतरनाक था, रहमते आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाहे नाज़ में हाज़िर हुए और अर्ज करते हैं -
या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुझे दुश्मन के तीर ने जख्मी कर दिया है।
हुजूर अपना लुआबे दहन शरीफ उन के ज़ख़्मों पर लगा देते हैं जिस की बरकत से न दर्द रहा न ज़ख़्म में खून या
पीप, जख्म बिलकुल दुरूस्त हो गया।
📕 लुआबे दहने मुस्तफ़ा ﷺ, पेज: 28
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