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सहाबी_ए_रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रते अब्दुल्लाह अनीस रज़िअल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि एक गजवा में मेरे सर पर तलवार का जख्म आया और मैं दर्द से तड़प उठा अपने आका व मौला सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में हाजिर हो कर अपना ज़ख्म दिखाया ।

हुजूर अनवर शफी_ए_महशर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपना लुआबे दहन जख्म पर डाल दिया तो उस की बरकत से सारा जख्म जो कि जान लेवा था मुंदमिल हो गया यहाँ तक कि उस जख्म का निशान भी बाकी ना
रहा।

📕 लुआबे दहने मुस्तफ़ा ﷺ, पेज: 28-29

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🖌पोस्ट क्रेडिट -   शाकिर अली बरेलवी रज़वी  व  अह्-लिया मोहतरमा

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