🌀पोस्ट- 69  |  ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हुजुर सरवरे आलम  (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फतेह मक्का के बाद एक दिन मक्का मोअज्जमा की एक क़ाफिरा औरत के मकान की दिवार से तकीया लगाकर किसी गुलाम से गुफ्तगु फरमा रहे थे।

उस मकान वाली क़ाफिरा औरत को जब पता चला की मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) मेरे मकान के दिवार से तकीया लगाए बैठे हैं, तो बुग्ज व अदावत से उसने अपने मकान की सब खिड़की बंद कर डाली ताकी हुजुर की आवाज न सुन पाए।

उसी वक्त जिब्राइल अमीन हाजीर हुए और अर्ज किया --
"या रसुलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) खुदा फरमाता है कि अगरचे यह औरत क़ाफिरा है मगर आपकी शान बड़ी अरफा व बुलंद है।

चुंकी उस क़ाफिरा के मकान की दिवार के साथ आपकी पुश्ते अनवर लग गयी है इसलिए मैं नही चाहता की यह मकान वाली अब जहन्नम में जले। उस औरत ने तो अपने मकान की खिड़कियां को बंद किया है मगर मैने उसके दिल की खिड़कि को खोल दी है। यह सिर्फ उसकी दिवार से आपके तकिया लगाकर खड़े होने की बर्कत से है। इतने में वह औरत बेचैन होकर घर से निकली और हुजुर के कदमों पर गिर गयी और सच्चे दिल से कलिमा
पुकार उठी:-
अशहदु अल ला इला ह इल्लल्लाह व अशहदु अन न क रसुलुल्लाह।

📕 नुजहतुल मजालिस, जिल्द -2, सफा-78


🌹सबक ~
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जिस औरत के मकान की दिवार से हुजुर की पुश्ते अनवर लग गयी वह औरत आग से बच गई, तो जिस खुश किस्मत और मुकद्दस खातुन हजरत अमीना के शिकमे अनवर मे हुजुर ने क्याम फरमाया हो वह मुकद्दस खातुन क्यों जन्नत की मालिक न होंगी??

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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