🌀 पोस्ट- 61 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ हिजरत से पहले बैतुल्लाह की कुंजी कुरैशे मक्का के कब्जे मे थी। यह कुंजी उस्मान बिन तलहा के पास रहा करती थी। यह लोग बैतुल्लाह को पिर और जुमेरात के रोज खोला करते थे।
एक दिन हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) तश्रिफ लाए और उसमान बिन तवहा से दरवाजा खोलने को फरमाया, तो उस्मान ने दरवाजा खोलने से इंकार कर दिया। हुजुर ने फरमाया: ऐ उस्मान! आज तु यह दरवाजा खोलने से इंकार रहा है। एक दिन ऐसा भी आयेगा की बैतुल्लाह की यह कुंजी मेरे कब्जे मे होगी। मै जिसे चाहुंगा यह कुंजी दुंगा।
उस्मान ने कहा- तो उस दिन कौमे कुरैश हलाक हो चुकी होगी। हिजरत के बाद जब मक्का फतह हुआ और हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) सहाबा के लश्कर समेत मक्का मे फातिहाना दाखील हुए तो सबसे पहले काबा शरिफ मे तश्रिफ लाए और इसी कलीद बर्दार उस्मान से कहा-लाओ वह कुंजी मेरे हवाले कर दो। नाचार उस्मान को वह कुंजी देनी पड़ी। हुजुर ने वह कुंजी लेकर उस्मान को मुखातीब फरमाकर,
फरमाया- उस्मान! लो कलीद बर्दार मै भी तुझी को मुकर्रर करता हुँ। तुझसे कोई जालीम ही यह कुंजी लेगा। उस्मान ने दोबारा कुंजी ली तो हुजुर ने फरमाया- उस्मान!वह दिन याद है जब मैने तुझसे कुंजी तलब की थी और तुमने दरवाजा खोलने से मना कर दिया था। मैने कहा था एक दिन ऐसा भी आएगा की यह कुंजी मेरे कब्जे मे
होगी और मै जिसे चाहुंगा दुंगा। उस्मान ने कहा-हां हुजुर! मुझे याद है और मै गवाही देता हुँ कि आप अल्लाह का सच्चे रसुल हैं।
🌹सबक ~
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हमारे हुजुर अगली पिछली सब बातो के आलीम हैं।
क्यामत तक जो कुछ भी होने वाला है, सब आप पर रौशन है। खुदा ने आपको इल्मे गैब अता फरमाया है। आप दानाए गुयुब व आलिमे मा कान वमा याकुन हैं।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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