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हज़रते जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजि अल्लाहु अन्हु की मेज़बानी का वाकेअह इमाम बुखारी व मुस्लिम व दीगर मुहद्दिसीन ने रिवायत किए हैं।

गजव ए खन्दक की तैयारी के मौका पर जब हजरते जाबिर रजि अल्लाहु अन्हु सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के शिकमे मुबारक को कमर से चिमटा हुवा देख कर महसूस करते हैं कि आप फाका से हैं और भूक की वजह से आप की यह हालत हो गई ।

हज़रते जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजि अल्लाहु अन्हु अर्ज करते हैं कि या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अगर आप की इजाजत हो तो मैं घर तक हो आऊँ।

सरकार इजाज़त मरहमत फरमा देते हैं।

घर आकर बीवी से कहा, "मैं ने आका_ए_करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को सख्त फाका की हालत में देखा है क्या तेरे पास हुजूर की बारगाह में पेश करने के लिए कुछ है?

उस नेक बख्त खातून ने कहा इस वक्त थोड़ा सा जौ है और एक बकरी का बच्चा है इस के इलावह कोई चीज़ ऐसी नहीं है जिस से सरकार की मेहमान नवाजी का शर्फ हासिल किया जा सके।

हज़रते जाबिर रजि अल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि मैं ने उस बकरी के बच्चे को जिबह करके गोश्त पकने के लिए हाँडी में डालकर चूल्हे पर रख्खा और मेरी बीवी ने जौ पीस कर रोटी पकाने की तैयारी शुरू कर दी और मैं हुजूर की ख़िदमत में हाज़िर होने के लिए मैदाने जंग में जाने लगा।

मेरी बीवी ने मुझ से कहा कि हुजूर के सहाबा के रूबरू मुझे शरमिन्दह न करना मैं ने जब सरकार सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हो कर चुपके से अर्ज की या रसूलल्लाह हमारे पास बकरी का एक छोटा सा बच्चा है और एक सा जौ का आटा, हुजूर खुद भी तशरीफ़ ले चलें और अपने हमराह दस सहाबा को और एक दूसरी रिवायत में है कि उन्हों ने अर्ज की हुजूर के लिए थोड़े से खाने का इन्तिजाम किया है लिहाजा दो एक सहाबा के साथ तशरीफ ले चलें ।।

हुजूर ने इरशाद फ़रमाया कि अपनी बीवी से कहो जब तक मैं न पहुंचू चूल्हे से हाँडी को न उतारना और तन्दूर से रोटी न निकालना, यह कह कर हज़रते जाबिर को घर रवाना किया फिर तमाम लशकर में एलान करवा दिया कि ऐहले खन्दक आज जाबिर बिन अब्दुल्लाह के यहाँ सब की दावत है।

चुनांचे सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्ल्म के साथ मुहाजेरीन व अंसार जाबिर के घर की तरफ रवाना हो गए हज़रते जाबिर ने अपनी जौजह से बताया कि हुजूर तो तमाम लशकरे इस्लाम अपने साथ लेकर तशरीफ ला रहे हैं। इस्लाम की उस नेक बख़्त खातून ने कहाः अल्लाहु व रसूलहू नहनू अख्बरनाहु बिमा इन्दनाः अल्लाह और उस के रसूल खूब जानते हैं कि हमारे पास क्या है हमारी हालत कैसी है फिर जब हुजूर तशरीफ़ लाए तो गूंधा हुवा आटा पेश कर दिया। सरकार ने उस में अपना थूक शरीफ़ डाला और बरकत की दुआ फ़रमाई। उस के बाद हज़रते जाबिर को हुक्म दिया कि रोटी पकाने वाली औरतों को बुला लाओ जो तुम्हारी बीवी के साथ मिलकर रोटी पकाएं फिर आप ने हज़रते जाबिर से बताया कि मेरे साथ एक हजार आदमी आये हैं गोश्त की हाँडी को चूल्हे से मत उतारना वहीं से बरतनों में सालन डालते जाना।

हजरते जाबिर कहते हैं कि मैंने ऐसा ही किया सहाब_ए_किराम बारी-बारी आते गए और पेट भर खाना खाकर
जाते रहे और जिस कदर आटा पहले था उतना ही बाकी रहा और हाँडी का सालन भी कम न हुवा। ऐसा लगता था जैसे किसी ने एक चमचह भी सालन नहीं निकाला, फिर सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ऐ जाबिर तुम, खुद खाओ और पड़ोसियों रिश्तेदारों में बतौरे हदियह तकसीम कर दो हज़रते जाबिर फ़रमाते हैं कि हम सारा दिन खाते रहे, खिलाते रहे और बाँटते रहे।

📕 लुआबे दहने मुस्तफ़ा ﷺ, पेज: 25-28

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🖌पोस्ट क्रेडिट -   शाकिर अली बरेलवी रज़वी   व  अह्-लिया मोहतरमा

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