🌀पोस्ट- 70  |   ✅ सच्ची हिकायत
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〽️ हुजुर सरकारे दो आलम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) एक मर्तबा सहाबा_ए_किराम अलैहिमुर्रिजवान मे तशरिफ फरमा थे की एक मुशरिका औरत जिसकी गोद मे दो माह के दुध पिता बच्चा था, उस तरफ से गुजरी। उस बच्चे ने हुजुर की तरफ नजर की तो एक दम जुबान से पुकार उठा: अस्सलामु अलैक या रसुल व या अकर म खल्किल्लाह!

मां ने जब देखा की मेरा दो माह का बच्चा कलाम करने लगा तो वह हैरान रह गयी और बोली:- बेटा! यह कलाम करना तुझे किसने बता दिया??

बच्चा अब अपनी मां से मुखातीब होकर कहने लगा की ऐ मां! यह कलाम करना मुझे उसी अल्लाह ने सिखाया है जिसने सब इंसानो को यह ताकत दी है और यह देख मेरे सर पर जिब्राइल अमीन खड़े हैं जो मुझे यह बता रहे है की यह अल्लाह के रसुल हैं।

मां ने ये एजाज देखा तो झट कलिमा पढ़कर मुस्लमान हो गयी।

मौलाना रुमी अलैहीर्रहमा:  मसनवी शरीफ मे फरमाते हैं कि फिर हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने उस
बच्चे को मुखतिब फरमाया और दर्याफ्त फरमाया की तुम्हारा नाम क्या है?

तो वह बोला:- "या रसुलल्लाहﷺ! इस मुश्ते खाक मां के नजदिक तो मेरा नाम अब्दे इज्जा है लेकीन अल्लाह के नजदिक मेरा नाम अब्दुल अजीज है।

📕 नुजहतुल मजालिस, जिल्द-2, सफा-78


🌹सबक ~
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एक दो माह का बच्चा तो हुजुर को जान और मान ले और अपनी मां को भी जन्नत मे ले जाये मगर अफसोस इन उम्र रसीदा बदबख्तो पर जिन्होने हुजुर को न जाना न माना और अपनी जिहालत व गुस्ताखियों से खुद भी डूबे और दुसरो को भी ले डुबे। —

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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस

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