🌀पोस्ट- 67 | ✅ सच्ची हिकायत ✅
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〽️ एक जंगल में एक हिरनी रहती थी। उसके दो बच्चे थे। एक बार वह बाहर निकली तो शिकारी ने जाल बिछा रखा था। बेखबर हिरनी उस जाल मे फंस गई। जब उसने देखा की मै तो फंस गई हुँ, तो बड़ी परिशान हुई। उसकी खुश किस्मती देखीये की उसी जंगल में हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) तश्रिफ लाते हुए नजर आये। जब उसने हुजुर रहमते आलम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को देखा तो पुकारी या रसुलल्लाहﷺ ! मुझ पर रहम फरमाइये।
हुजुर ने उसकी पुकार सुनी और उसके पास तश्रिफ लाकर फरमाये- क्या हाजत है??
वह बोली हुजुर! मैं इस आराबी के जाल मे फंस गई हुँ। मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं जो इस करीब के पहाड़ो में है। थोड़ी देर के लिए आप मेरी जमानत देकर इस जाल से मुझे अजाद करा दिजिये, ताकी मैं आखरी एक मर्तबा बच्चों को दुध पिला आऊं। हुजुर! मैं दुध पिलाकर फिर वापस यही आ जाऊंगी। हुजुर ﷺ ने फरमाया : अच्छा जा मैं तुम्हारी जमानत देता हुँ और तुम्हारी जगह यही ठहरता हुँ तु बच्चों को दुध पिलाकर जल्दी वापस आ जा।
चुनांचे
हिरनी को आपने रिहा कर दिया और वहां खुद क्याम फरमा हो गये। आराबी जो मुस्लमान न था कहने लगा। अगर मेरा शिकार वापस न आया तो अच्छा न होगा।
हुजुरﷺ ने फरमाया :- तुम देखो तो सही की हिरनी वापस आती है या नही??
चुनांचे:-
हिरनी बच्चों के पास पहुंची और बच्चों को दुध पिलाकर फौरन वापस लौटी। आते ही हुजुर के कदमो पर सर
डाल दिया। यह एजाज देखकर वह आराबी भी कदमो पर गीर गया ।
📕 शिफा शरिफ, जिल्द-2, सफा-76
🌹सबक ~
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हमारे हुजुर (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) जानवरो तक के लिए रहमत हैं। जानवर भी हुजुर के हुक्म की तामील करते हैं ।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ मुहम्मद अरमान ग़ौस
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