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कायदे की बात है के जब कहीं दूल्हा आता है तो दूल्हे की आमद पर उसकी हस्बे हैसियत इन्तेज़ामात होते हैं, अगर दूल्हा मामूली होता है तो इन्तेज़ामात भी मामूली होते हैं। अगर दूल्हा औसत दर्जे का होता है, तो इन्तेज़ामात भी दरमियानी, अगर दूल्हा आला दर्जे का होता है, तो इन्तेज़ामात भी आला, लेकिन ये दूल्हा तो इस शान का मालिक है, कि बकौल आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी

सबसे आला वो औला हमारा नबी, सबसे बाला वो वाला हमारा नबी।
सारे ऊँचों से ऊँचा समझीये जिसे, है उस ऊँचे से ऊँचा हमारा नबी।।

तो जब दूल्हा इतना अर्फओ आला बलंदो बाला तो उसकी शायाने शान ही इन्तेज़ामात भी हुये कि दूल्हा की आमद से सदियों बरस पहले ज़मीन का फर्श बिछाया गया, आसमान का शामियाना ताना गया, चाँद-सूरज के हण्डे जलाये गये, सितारों के कुमकुमे रौशन किये गये और उसकी आमद-आमद के ऐलानात बरसहा बरस पहले कर दिये गये और ऐलान करने वाले भी मामूली इन्सान न थे बल्कि कायनाते इन्सान में सबसे अशरफ़ो आला गिरोह अंबिया अलैहिस्सलातो वत्तसलीम को इस काम के लिये मुकर्रर किया गया कि इन्हीं में हज़रत आदम अबुल बशर भी हैं, आदमे सानी हज़रत नूह अलैहिस्सलम भी हैं, हज़रत इब्राहीमे खलीलुल्लाह अलैहिस्सलाम भी हैं, हज़रत इस्माईल ज़बीहुल्लाह अलैहिस्सलाम भी हैं, हज़रत याकूब व युसूफ, हज़रत यहया व जकरिया, हजरत सुलेमान, हज़रत दाऊद, हज़रत मूसा व ईसा भी हैं। बल्के अज़ अव्वल ताआखिर कमोबेश एक लाख चौबीस
हज़ार अम्बियाए किराम पैगम्बराने इज़ाम अपने अपने ज़माने और अपने अपने दौर में उस दूल्हा की आमद का ऐलान करते रहे, यहां तक कि सबसे आखिर में दूल्हा की आमद से तकरीबन साढ़े पांच सौ बरस पहले हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने खुशखबरी के साथ-साथ नाम भी बताया कि मेरे बाद आने वाले नबी का नाम अहमद होगा।

गरज ये कि दूल्हा तशरीफ लाये और इस शान से आये के-

वहां फलक पर, यहां ज़मीं में, रची थी शादी, मची थी धूमें।
उधर से अनवार हंसते आते, इधर से नफ़हात उठ रहे थे।।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वीअह्-लिया मोहतरमा

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