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हज़रत अब्बास रदिअल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि जब अबू लहब मर गया तो मैंने एक साल बाद उसे ख्वाब में देखा कि वह बहुत बुरे हाल में है और कहा कि तुम से जुदा होने के बाद (यानि मोमिनों से) मुझे कोई राहत नहीं मिली।
हां इतनी बात जरूर है कि हर पीर के दिन मेरे अज़ाब में कमी की जाती है ।
हजरत अब्बास रदिअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि इस अज़ाब में कमी की वजह यह है कि हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत पीर शरीफ के दिन हुयी और सोबिया ने अबू लहब को आपकी विलादत की खुशखबरी सुनाई तो अबू लहब ने उसको इस खुशी में आज़ाद कर दिया। #(फतहुल बारी जिल्द 9)
रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:10-11
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 इस उनवान के दूसरे पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/wiladat.html
हज़रत अब्बास रदिअल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि जब अबू लहब मर गया तो मैंने एक साल बाद उसे ख्वाब में देखा कि वह बहुत बुरे हाल में है और कहा कि तुम से जुदा होने के बाद (यानि मोमिनों से) मुझे कोई राहत नहीं मिली।
हां इतनी बात जरूर है कि हर पीर के दिन मेरे अज़ाब में कमी की जाती है ।
हजरत अब्बास रदिअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि इस अज़ाब में कमी की वजह यह है कि हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत पीर शरीफ के दिन हुयी और सोबिया ने अबू लहब को आपकी विलादत की खुशखबरी सुनाई तो अबू लहब ने उसको इस खुशी में आज़ाद कर दिया। #(फतहुल बारी जिल्द 9)
रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:10-11
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