-------------------------------------------------------
आपका जिस्म चमकता, दमकता, महकता। रंग बहुत ही साफ ऐसा लगता जैसे आप चांदी से बनाये गये हैं। एक सहाबी फरमाते हैं कि मैने हर तरह के रेशम देखे लेकिन जो नरमी और नफासत आपके हाथ पाक में देखी वह कहीं नज़र न आयी।
चेहरा ऐसे चमकता जैसे चौहदवीं का चाँद। जिस्म शरीफ का साया न था। जब सूरज के सामने खड़े होते तो आपके चेहरे की चमक के आगे सूरज की चमक फीकी पड़ जाती।
पेशानी कुशादा और चमकदार, आँखे बहुत खूबसूरत ऐसा लगता जैसे सुर्मा लगाये हुये हैं जबकि आप सुर्मा लगाये हुये न होते। आगे, पीछे, दायें, बायें, ऊपर, नीचे हर तरफ एक सा देखते। नज़रें हमेश झुकी झुकी रहतीं, अबरू लम्बी-लम्बी पहली के चाँद की तरह बारीक। पलके मुबारक लम्बी, रूख़्सार मुबारक भरे हुये, नाक मुबारक ऊँची, दाँत मुबारक बहुत ही चमकदार मोती की तरह, मुस्कुरादें तो रोशनी हो जाये, दाढ़ी मुबारक घनी, गेसू मुबारक लम्बे और घने कभी कानों के नर्म हिस्से तक होते कभी कंधों को चूम लेते।
दोनों कंधो के बीच सुराही दार गर्दन और उसके पीछे नबुव्वत की मोहर, सीना मुबारक चौड़ा, हाथ मुबारक
रेशम से ज्यादा मुलायम, अंगुलियां मुबारक लम्बी-लम्बी खूबसूरत, कालाईयां लम्बी, पांव मुबारक गोश्त से भरे हुये, ताज़गी का यह आलम कि यूं मालूम होता कि अभी उनसे पानी बहकर अलग हुआ है।
-------------------------------------------------------
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 इस किताब के दूसरे पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/chand.html
आपका जिस्म चमकता, दमकता, महकता। रंग बहुत ही साफ ऐसा लगता जैसे आप चांदी से बनाये गये हैं। एक सहाबी फरमाते हैं कि मैने हर तरह के रेशम देखे लेकिन जो नरमी और नफासत आपके हाथ पाक में देखी वह कहीं नज़र न आयी।
चेहरा ऐसे चमकता जैसे चौहदवीं का चाँद। जिस्म शरीफ का साया न था। जब सूरज के सामने खड़े होते तो आपके चेहरे की चमक के आगे सूरज की चमक फीकी पड़ जाती।
पेशानी कुशादा और चमकदार, आँखे बहुत खूबसूरत ऐसा लगता जैसे सुर्मा लगाये हुये हैं जबकि आप सुर्मा लगाये हुये न होते। आगे, पीछे, दायें, बायें, ऊपर, नीचे हर तरफ एक सा देखते। नज़रें हमेश झुकी झुकी रहतीं, अबरू लम्बी-लम्बी पहली के चाँद की तरह बारीक। पलके मुबारक लम्बी, रूख़्सार मुबारक भरे हुये, नाक मुबारक ऊँची, दाँत मुबारक बहुत ही चमकदार मोती की तरह, मुस्कुरादें तो रोशनी हो जाये, दाढ़ी मुबारक घनी, गेसू मुबारक लम्बे और घने कभी कानों के नर्म हिस्से तक होते कभी कंधों को चूम लेते।
दोनों कंधो के बीच सुराही दार गर्दन और उसके पीछे नबुव्वत की मोहर, सीना मुबारक चौड़ा, हाथ मुबारक
रेशम से ज्यादा मुलायम, अंगुलियां मुबारक लम्बी-लम्बी खूबसूरत, कालाईयां लम्बी, पांव मुबारक गोश्त से भरे हुये, ताज़गी का यह आलम कि यूं मालूम होता कि अभी उनसे पानी बहकर अलग हुआ है।
-------------------------------------------------------
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 इस किताब के दूसरे पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/chand.html