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प्यारे प्यारे सुन्नी भाइयों, जान-ए-ईमान हबीबे रहमान सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश के मौके पर खुशी का इज़्हार करना आपकी मीलाद बयान करना ख्वाह वह नज़्म में हो या नस्र में हो। इस मौके पर लंगर खिलाना बाइसे खैर व बरकत है, गुनाहगार उम्मत की बख़्शिश का सामान है और यही राहे निजात है।
अज़ीम मुहक्किक हज़रत अल्लामा शैख अब्दुलर हक मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाह अलैहि अपने मलफूज में फ़रमाते हैं- "हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शबे विलादत में खुशियां मनाने वालों की जज़ा यह है कि रब तबारक व तआला अपने फ़ज़्लों करम से जन्नतुन नईम में दाखिल फरमायेगा। जो मुसलमान सरकारे दोआलम की विलादत शरीफ की खुशी में आपके जिक्र का एहतमाम करते हैं, मकानों को सजाते हैं, खाने पकवाते हैं, दिल खोलकर खर्च करते हैं, इन तमाम कामों की बरकत से उन पर रहमते खुदावन्दी का नुज़ूल होता है।
रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:9-10
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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अज़ीम मुहक्किक हज़रत अल्लामा शैख अब्दुलर हक मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाह अलैहि अपने मलफूज में फ़रमाते हैं- "हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शबे विलादत में खुशियां मनाने वालों की जज़ा यह है कि रब तबारक व तआला अपने फ़ज़्लों करम से जन्नतुन नईम में दाखिल फरमायेगा। जो मुसलमान सरकारे दोआलम की विलादत शरीफ की खुशी में आपके जिक्र का एहतमाम करते हैं, मकानों को सजाते हैं, खाने पकवाते हैं, दिल खोलकर खर्च करते हैं, इन तमाम कामों की बरकत से उन पर रहमते खुदावन्दी का नुज़ूल होता है।
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