हमारे आका सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जिस शान से दुनिया में तशरीफ लाये उस शान से न कोई आया है और न ही आयेगा।

हमारे प्यारे प्यारे आका ताजदारे हरम, शहरयारे इरम ! सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नाफ बरीदा और खत्ना शुदा पैदा हुये ।

आपकी आंखों में कुदरती सुर्मा लगा हुआ था और जुबान पे यह अल्फाज जारी थे, "रब्बे हब्ली उम्मती" (ऐ रब मेरी उम्मत मेरे हवाले कर दे)

रब्बे हबली उम्मती कहते हुये पैदा हुये।
हक ने फरमाया कि बख़्शा अस्सलातो वस्सलाम।।

सरकारे दोआलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब रूये जमीन पर तशरीफ लाये तो आपके दोनों दस्ते करम
जमीन पर थे, सरे अकदस जानिबे आसमान उठा हुआ था जिस्म-ए-अतहर से ऐसी तेज खुशबू निकल रही थी कि जिससे सारा आलम महक रहा था, जिसको आला हजरत रदिअल्लाहु अन्हु ने इस तरह बयान फरमाया है:-

उनकी महक ने दिल के गुन्चे खिला दिये हैं।
जिस राह चल दिये हैं, कूंचे बसा दिये हैं।।

रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:6
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वीअह्-लिया मोहतरमा

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