-------------------------------------------------------
दूसरे अह्वाल की तरह हुज़ूरﷺ का बचपन भी सबसे निराला और अनोखा था बचपन में आपने कभी कपड़ों में पाखाना पेशाब न किया और न कभी बर्हना हुये और अगर कभी अचानक कपड़ा उठ भी गया तो फरिश्ते सतर छुपा देते थे। आपके इशारे पर चाँद झुक जाता और आपको रोने से बहलाता था।

एक बार आप चारागाह में थे कि फरिश्तों के सरदार हज़रत जिबरील आये, आपके सीना-ए-मुबारक को चाक किया और कल्ब मुबारक (दिल) को धोकर इल्म व इरफान से भर दिया फिर आपके सीना-ए-मुबारक को सी दिया।

जब आप 6 वर्ष के हो गये तो आपकी वालिदा अपनी एक बांदी 'उम्मे एमन' को साथ लेकर आपको मदीना शरीफ ले आयी कुछ दिन वहां गुज़ार कर आपको लेकर मक्का शरीफ वापस आ रही थीं कि *'आबवा'* नामी जगह पर वालिदा का विसाल हो गया। वहां से उम्मे एमन आपको मक्का शरीफ ले आयीं।

हज़रत आमिना के इन्तेकाल के बाद आपके दादा हज़रत अब्दुल मुत्तलिब ने आपको अपनी ज़िम्मेदारी में ले लिया और अपनी औलाद से बढ़कर चाहा लेकिन दादा की गोद में रहते हुये दो वर्ष ही गुज़रे थे कि उनका भी इन्तेकाल हो गया।

दादा की वफात के बाद आप अपने चाचा अबु तालिब के यहां परवरिश पाने लगे, अबु तालिब ने भी किफालत
का हक अदा कर दिया, आपके हर आराम का पूरा ख्याल रखा।

-------------------------------------------------------
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी  अह्-लिया मोहतरमा

📌 इस किताब के दूसरे पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/chand.html