मस्अला:- एक रूक्न अदा करने की मिकदार तक या तीन तस्बीह (या'नी तीन मरतबा ‘सुब्हानल्लाह' कहने) के वक्त की मिकदार तक सतरे-औरत (गुप्त अंग / जिस्म के छुपे हिस्से) खोले हुए या बक़दरे-माने (इतनी मात्रा के साथ जो मना है) नजासत या'नी नापाक पदार्थ के साथ नमाज़ पढ़ी, तो नमाज़ फासिद हो जाएगी। येह उस सूरत में है कि बिला कस्द हो और अगर कस्दन (अपने इरादे से) सतर खोला तो फौरन नमाज़ फासिद हो जाएगी। अगरचे फौरन ढांक ले, इसमें वक़फा की भी हाजत नहीं, बल्कि सतर खोलते ही फौरन नमाज़ फासिद हो जाएगी।
#(रदुल मोहतार; बहारे शरीअत हिस्सा-3 सफ़ा-153; फतावा रिज़वीया जिल्द-3 सफ़ा-1)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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