मस्अला:- नमाज़ की हालत में कलाम (बात) करने से नमाज़ फासिद हो जाएगी फिर चाहे वोह कलाम करना अमदन हो, या ख़्ताअन हो या सहवन हो।

अमदन (जान बूजकर-Purposely) कलाम करने से येह मुराद है कि उसको मालूम था कि नमाज़ में कलाम करने से नमाज़ फासिद हो जाती है, फिर भी उसने जान बूजकर कलाम किया।

खताअन (दोष, क्षति-Mistake. Fault) कलाम करने से येह मुराद है कि उसे येह मस्अला मा'लूम ही न था कि नमाज़ में कलाम करने से नमाज़ फासिद हो जाती है और उसने कलाम कर लिया या किरअत वगैरह अज़कारे-नमाज़ कहना चाहता था और गलती से जबान से कोई जुमला (वाक्य) निकल गया।

सहवन (बिना इरादा, भूल से-Erroneously) कलाम करने से येह मुराद है कि उसको अपना नमाज़ में होना याद
न रहा हो और मुंह से कोई बात निकाल दी।

अल-ग़र्ज़ (तात्पर्य) ! अमदन, खताअन और सहवन किसी तरह भी नमाज़ में कलाम करने से नमाज़ फासिद हो जाएगी।

#(दुर्रे मुख़्तार; बहारे शरीअत हिस्सा-3 सफ़ा-147)
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वीअह्-लिया मोहतरमा

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