मस्अला:-  कलाम करने में ज़्यादा या कम बोलने का फर्क नहीं और येह भी फर्क नहीं कि वोह कलाम नमाज के बाहर के काम के मुतअल्लिक (सम्बन्धित) हो, या नमाज के मुतअल्लिक या'नी नमाज की इस्लाह (सुधार) के लिये हो, मस्लन इमाम का'द-ए-उला में बैठना भूल गया और तीसरी रकअत के लिये खड़ा हो गया और मुक्तदी
ने इमाम को गलती बताने के लिये 'बैठ जाओ' कहा, या सिर्फ 'हूं' ही कहा, तो मुक्तदी की नमाज़ फासिद हो गई ।

#(दुर्रे मुख़्तार; आलमगीरी)
--------------------------------------------------------
🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वीअह्-लिया मोहतरमा

📌 नमाज़ के मसाइल पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/namaz.html