पुरनूर है जमाना सुबहे शबे विलादत।
पर्दा उठा है किसका सुबहे शबे विलादत।।
अर्शे अजीम झूमे, काबा जमीन चूमे।
आता है अर्श वाला, सुबहे शबे विलादत।।
✍️(हजरत हसन रजा बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह)
आज सरजमीने अरब पर अजीब सी रौनक है, हर तरफ चहल पहल है। आसमान और जमीन में फरिश्ते उनकी
आमद का डंका बजा रहे हैं। हूराने जन्नत खुशी से झूमती हैं। जिबरईल अलैहिस्सलाम खुद झण्डे लहरा रहे हैं। वह वक्त आया ईसा अलैहिस्सलाम ने जिसकी बाबत था बताया।
कुरआन ने इस बताने को इस तरह याद फ़रमाया-
"और याद करो जब ईसा बिन मरियम ने कहा-ऐ बनी इस्राईल मैं तुम्हारी तरफ अल्लाह का रसूल हूं, अपने से पहली किताब तौरेत की तस्दीक करता हूं और रसूल की बिशारत सुनाता हूं जो मेरे बाद तशरीफ लायेंगे उनका नाम अहमद है।" #(पारा 28 आ.9)
कुफ्र की सियाही, शिर्क के बादल छट रहे हैं तौहीद व रिसालत का नूर छाने लगा है। बोझ और जुल्मो सितम के मारे हुये लोगों को रिहाई मिली है। रहमत का दरिया बन के नूर के पैकर जाते हक के मजहर काबे के बदरुदुजा, तैबा के शम्सुद्दुहा पीर शरीफ के दिन माहे रबियुन्नूर शरीफ की 12 तारीख को सुब्हे सादिक के वक्त 21 अप्रैल 571 ईसवी में हज़रते आमिना रदिअल्लाहु तआला अन्हा के बत्ने मुबारक से हजरते अब्दुल्ला बिन अब्दुल मुत्तलिब रदिअल्लाहु तआला अन्हु के घर जलवा अफरोज हुये।
सरकार आला हजरत बड़े प्यारे अन्दाज़ में फ़रमाते हैं:-
जिस सुहानी घड़ी चमका तैबा का चांद।
उस दिल अफरोज साअत पे लाखों सलाम।।
सुबहा तैबा में हुई बटता है बाड़ा नूर का।
सद्का लेने नूर का, आया है तारा नूर का।।
रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:2-3
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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