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1). मेरी बातें लोगो तक पहुंचाओ, चाहे एक ही आयत हो।
2). पाकी आधा ईमान है।
3). जन्नत की चाबी नमाज़ है और नमाज़ की चाबी वुजू।
4). एक दौर ऐसा आयेगा कि लोग मस्जिद में बैठकर दुनिया की बातें करेगें अगर तुम ऐसा दौर पाओ तो उनके पास न बैठना।
5). भूखों को खाना खिलाओ, मरीज़ को देखने जाओ और कैदी को कैद से छुड़ाओ।
6). जुमा की नमाज़ के लिये कोई भी शख्स अपने भाई को उठाकर उसकी जगह न बैठे।
7). मोमिन को मौत इस तरह आ जाती है जिस तरह माथे पर पसीना।
8). जिन्दगी में एक दिरहम सदका करना मरते वक्त सौ दिरहम सदक करने से बेहतर है।
9). तीन दुआओं के क़बूल होने में कोई शक नहीं (1) बाप की दुआ औलाद के लिये, (2) मुसाफिर की दुआ, (3) उसकी दुआ जिस पर जुल्म किया जाये।
10). जन्नत में मक्कार, कंजूस और एहसान जताने वाले न जायेंगे।
11). मज़दूर को उसका पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी दे दिया करो।
12). शैतान उस खाने को अपने लिये हलाल समझता है जिस पर अल्लाह का नाम नहीं लिया जाता।
13). अल्लाह तआला छींक को पसन्द फ़रमाता है और जमाही को नापसन्द फरमाता है।
14). वह मोमिन नहीं जो अपना पेट भरे और उसका पड़ोसी भूखा हो।
15). दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है।
16). मैने जन्नत में झांका तो उसमें ज़्यादातर गरीबो को देखा और मैंने दोज़ख़ में झांका तो ज़्यादातर
औरतों को देखा।
17). अपने से नीचे वाले को देखो, अपने से ऊपर वाले को न देखो।
18). मेरी उम्मत के लोगों की उम्र 60 से 70 वर्ष के बीच होगी।
19). तुम में से कोई भी उस वक़्त तक (पूरा) मोमिन नहीं हो सकता, जब तक कि अपने भाई के लिये भी वही पसन्द न करे, जो अपने लिये पसन्द करे।
20). बन्दा जब झूठ बोलता है तो उसकी बद्बू से फ़रिश्ता एक मील परे हट जाता है।
सोर्स:- 1. कंजुल ईमान, 2. सहीह बुख़ारी, 3. तिरमिज़ी, 4. मिश्कात शरीफ़, 5. सीरतुल मुस्तफ़ा, 6. तवारीख़ हबीबे इलाह, 7. अलखसाइसुला कुबरा, 8. तजकिरतुल अम्बिया, 9. अलबुनयानुल मरसूस।
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
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https://MjrMsg.blogspot.com/p/chand.html
1). मेरी बातें लोगो तक पहुंचाओ, चाहे एक ही आयत हो।
2). पाकी आधा ईमान है।
3). जन्नत की चाबी नमाज़ है और नमाज़ की चाबी वुजू।
4). एक दौर ऐसा आयेगा कि लोग मस्जिद में बैठकर दुनिया की बातें करेगें अगर तुम ऐसा दौर पाओ तो उनके पास न बैठना।
5). भूखों को खाना खिलाओ, मरीज़ को देखने जाओ और कैदी को कैद से छुड़ाओ।
6). जुमा की नमाज़ के लिये कोई भी शख्स अपने भाई को उठाकर उसकी जगह न बैठे।
7). मोमिन को मौत इस तरह आ जाती है जिस तरह माथे पर पसीना।
8). जिन्दगी में एक दिरहम सदका करना मरते वक्त सौ दिरहम सदक करने से बेहतर है।
9). तीन दुआओं के क़बूल होने में कोई शक नहीं (1) बाप की दुआ औलाद के लिये, (2) मुसाफिर की दुआ, (3) उसकी दुआ जिस पर जुल्म किया जाये।
10). जन्नत में मक्कार, कंजूस और एहसान जताने वाले न जायेंगे।
11). मज़दूर को उसका पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी दे दिया करो।
12). शैतान उस खाने को अपने लिये हलाल समझता है जिस पर अल्लाह का नाम नहीं लिया जाता।
13). अल्लाह तआला छींक को पसन्द फ़रमाता है और जमाही को नापसन्द फरमाता है।
14). वह मोमिन नहीं जो अपना पेट भरे और उसका पड़ोसी भूखा हो।
15). दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है।
16). मैने जन्नत में झांका तो उसमें ज़्यादातर गरीबो को देखा और मैंने दोज़ख़ में झांका तो ज़्यादातर
औरतों को देखा।
17). अपने से नीचे वाले को देखो, अपने से ऊपर वाले को न देखो।
18). मेरी उम्मत के लोगों की उम्र 60 से 70 वर्ष के बीच होगी।
19). तुम में से कोई भी उस वक़्त तक (पूरा) मोमिन नहीं हो सकता, जब तक कि अपने भाई के लिये भी वही पसन्द न करे, जो अपने लिये पसन्द करे।
20). बन्दा जब झूठ बोलता है तो उसकी बद्बू से फ़रिश्ता एक मील परे हट जाता है।
सोर्स:- 1. कंजुल ईमान, 2. सहीह बुख़ारी, 3. तिरमिज़ी, 4. मिश्कात शरीफ़, 5. सीरतुल मुस्तफ़ा, 6. तवारीख़ हबीबे इलाह, 7. अलखसाइसुला कुबरा, 8. तजकिरतुल अम्बिया, 9. अलबुनयानुल मरसूस।
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