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प्यारे प्यारे सुन्नी भाइयों! उल्माये मुहिक्किीन ने तहकीक की है व सराहत फ़रमाई है कि रबियुन्नूर शरीफ का महीना तमाम महीनों से अफजल है, हत्ता कि रमाजानुल मुबारक की शान भी इससे कम है क्योंकि रमाजानुल मुबारक में कुरआन आया और रबियुन्नूर शरीफ में साहिबे कुरआन हबीबे रहमान आया।
अल्लामा इमाम कस्तलानी शारेह बुखारी कुद्स सिर्रहुल अजीज मवाहिबे लदानियह में फरमाते हैं कि वह मुबारक साअत जिसमें बाइसे तख़्लीके कायनात मुख़्तारे कुल जलवा अफरोज हुये वह साअत और वह शब शबे कद्र से भी अफजल है।
लैइलतुल कद्र की बरकतों से मोमिनीन फैजयाब होते हैं मगर शबे विलादत में तमाम मखलूक पर रहमते खुदावन्दी नाजिल होती है।
वमा अर्सलनाक इल्ला रहमतल-लील-आलमीन #(अलकुरआन 107/21)
रिसाला»» सुबहे शबे विलादत, पेज:7-8
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🖌️पोस्ट क्रेडिट ~ शाकिर अली बरेलवी रज़वी व अह्-लिया मोहतरमा
📌 इस उनवान के दूसरे पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करिये ⬇
https://MjrMsg.blogspot.com/p/wiladat.html
प्यारे प्यारे सुन्नी भाइयों! उल्माये मुहिक्किीन ने तहकीक की है व सराहत फ़रमाई है कि रबियुन्नूर शरीफ का महीना तमाम महीनों से अफजल है, हत्ता कि रमाजानुल मुबारक की शान भी इससे कम है क्योंकि रमाजानुल मुबारक में कुरआन आया और रबियुन्नूर शरीफ में साहिबे कुरआन हबीबे रहमान आया।
अल्लामा इमाम कस्तलानी शारेह बुखारी कुद्स सिर्रहुल अजीज मवाहिबे लदानियह में फरमाते हैं कि वह मुबारक साअत जिसमें बाइसे तख़्लीके कायनात मुख़्तारे कुल जलवा अफरोज हुये वह साअत और वह शब शबे कद्र से भी अफजल है।
लैइलतुल कद्र की बरकतों से मोमिनीन फैजयाब होते हैं मगर शबे विलादत में तमाम मखलूक पर रहमते खुदावन्दी नाजिल होती है।
वमा अर्सलनाक इल्ला रहमतल-लील-आलमीन #(अलकुरआन 107/21)
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